हैदराबाद: प्रत्येक आत्महत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी है जो समय से पहले एक व्यक्ति की जान ले लेती है. और इसका निरंतर प्रभाव पड़ता है. किसी भी व्यक्ति के आत्महत्या से परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों का जीवन भी प्रभावित होता है. हाल के वर्षों में किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं के बीच आत्महत्याएं लगभग दोगुनी हो गई हैं. अनुमान है कि वर्तमान में दुनिया भर में प्रति वर्ष 7,00,000 से अधिक आत्महत्याएं करती हैं और हम जानते हैं कि हर आत्महत्या से कई और लोगों पर काफी गहराई से प्रभाव पड़ता है.
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आइये हम इस आत्महत्या रोकथाम माह में अपने प्रियजनों के चेतावनी संकेतों को पहचान कर उनकी सहायता करें ।
— Tele MANAS JHARKHAND (@tele_manas) September 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
किसी भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहायता के लिए, टेली-मानस को कॉल करें (24x7, निःशुल्क) : 14416 / 1800-89-14416#SuicidePrevention #SuicidePreventionMonth #SuicideAwareness pic.twitter.com/NVVKxIClsf
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इतिहास : विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच सहयोग से की गई थी. 10 सितंबर को मनाया जाने वाला यह दिन आत्महत्या के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने, इससे जुड़े कलंक को कम करने और आत्महत्याओं की रोकथाम पर जोर देते हुए संगठनों, सरकारों और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करता है.
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📊The painful truth of the Suicidal statistical report is a stark reminder of the urgent need for action. Let's work together to create hope and support for those in need.💚 #SuicidePrevention #Kota #IndiaVsBharat #PEPTJudgement #mentalhealth #sucide #WorldSuicidePreventionDay pic.twitter.com/rDoJa3rzj2
— Athma Hospitals and Research (@athmahospital) September 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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दुनिया में आत्महत्या सांख्यिकी 2023 में
- हर साल आत्महत्या के कारण 700,000 से अधिक लोग मरते हैं, जो रोकथाम के प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है.
- प्रत्येक आत्महत्या के लिए अनगिनत आत्महत्या के प्रयास होते हैं. पिछले आत्महत्या प्रयासों से सामान्य आबादी में बाद की आत्महत्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है.
- दुनिया भर में 15 से 29 साल के लोगों में मौत का चौथा प्रमुख कारण आत्महत्या है.
- चिंताजनक बात यह है कि 77% आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों से जुड़े हैं.
भारत में आत्महत्याएं
प्रति वर्ष 1,00,000 से अधिक आत्महत्याएं होने के साथ, भारत भी एक महत्वपूर्ण आत्महत्या समस्या से ग्रस्त देश बन चुका है. इन त्रासदियों में कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें पेशेवर कारण, अलगाव, दुर्व्यवहार, पारिवारिक संघर्ष, मानसिक स्वास्थ्य विकार, लत, वित्तीय तनाव और दीर्घकालिक दर्द शामिल हैं. 2021 में, भारत में कुल 1,64,033 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो 2020 की तुलना में 7.2% की वृद्धि दर्शाती हैं. अधिकांश आत्महत्याएं महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में केंद्रित थीं, सामूहिक रूप से आधे से अधिक आत्महत्याएं हुईं. देश में कुल आत्महत्याओं में से उल्लेखनीय रूप से उत्तर प्रदेश में, अपनी उच्च जनसंख्या के बावजूद, अपने आकार की तुलना में आत्महत्याओं का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है.
सोशल मीडिया, इंटरनेट और किशोर आत्महत्याएं
युवाओं में आत्महत्या में प्रमुख और चिंताजनक कारक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अत्यधिक उपयोग माना जा रहा है. इन प्लेटफार्मों पर अत्यधिक समय बिताने से छात्रों का ध्यान कम हो गया है, तनाव बढ़ गया है और चिंता बढ़ गई है. सोशल मीडिया पर क्यूरेटेड, आदर्शीकृत सामग्री का निरंतर प्रदर्शन अपर्याप्तता और निराशा की भावनाओं को बढ़ावा दे सकता है.
आत्महत्या की रोकथाम में माता-पिता की भूमिका
माता-पिता अपने बच्चों में मानसिक परेशानी के लक्षणों की पहचान करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बच्चों और उनके माता-पिता के बीच खुले मन से उनकी बातों को सुनना, सहानुभूति देना और प्रोत्साहित करना आत्महत्या के जोखिमों को दूर करने में काफी महत्वपूर्ण कदम हैं. माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए और संबंधित व्यवहार को केवल 'किशोर नाटक'/बचपना कहकर खारिज करने से बचना चाहिए.
भारत की राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति
नवंबर 2022 में भारत ने आत्महत्या की रोकथाम को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाने के उद्देश्य से अपनी राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएसपीएस) शुरू की. एनएसपीएस का लक्ष्य एक दृष्टिकोण के माध्यम से 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10% तक कम करना है जिसमें बढ़ी हुई निगरानी, जिला स्तर पर आत्महत्या रोकथाम सेवाओं की स्थापना और स्कूलों में मानसिक कल्याण शिक्षा को एकीकृत करना शामिल है.
आत्महत्याओं में चिंताजनक वृद्धि, विशेष रूप से छात्रों जैसी कमजोर आबादी के बीच, तत्काल और व्यापक कार्रवाई की मांग करती है. केवल सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से ही हम दुनिया भर में व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर आत्महत्याओं की दुखद संख्या को कम करने की उम्मीद कर सकते हैं.