हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. यह दिवस पहली बार 11 जुलाई1989 को मनाया गया था, जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी. प्रत्येक वर्ष जनसंख्या दिवस की एक थीम होती है जैसे की इस वर्ष- 'नोवल कोरोना वायरस पर रोक लगाना है: कैसे करें महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा' रखी गई है. इस दिवस का उद्देश्य लोगों का ध्यान बढ़ती आबादी से जुड़ी समस्याओं की ओर केंद्रित करना है.
दरअसल, तेजी से बढ़ती दुनिया की आबादी और फैलते कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लोगों के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. वर्तमान में दुनिया की आबादी 7.8 अरब पहुंच गई है, जो प्रत्येक सेकंड बढ़ती जा रही है.
आज दुनिया इस वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है. इस दिन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या वृद्धी से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जनसंख्या वृद्धि विश्व के कई देशों के सामने बहुत बड़ी समस्या बन गई है. खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट गहन चिंता का विषय है. एशिया सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, जिसमें चीन और भारत में विश्व की 36 प्रतिशत जनसंख्या यहां रहती है.
तो जनसंख्या के मुद्दे क्या हैं? मूल रूप से, जनसंख्या के मुद्दे में परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, बाल विवाह, मानव अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, बच्चे के स्वास्थ्य आदि शामिल हैं.
दुनिया में बढ़ती जनसंख्या की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए, पर्यावरण और विकास पर जनसंख्या के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाता है. इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2020 पर यूएनएफपीए का लक्ष्य महामारी के दौरान यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और कमजोरियों के लिए महिलाओं की जरूरतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. इसके अलावा, कैसे हम मजबूत प्रगति को सुरक्षित कर सकते हैं और स्थानीय एजेंडे पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार (SRHR) को सुरक्षित रख सकते हैं और 2030 तक नैरोबी में हमारे द्वारा जुटाए गए सतत् विकास लक्ष्य (SDG) की उपलब्धि के लिए गति को कैसे बनाए रखना है इसपर प्रकाश डालना है.
कुछ देशों में कोरोना वायरस महामारी के कारण अपने स्वास्थ्य बजट को पुनर्निर्देशित किया जा रहा है, जिससे प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रम सामान्य से भी अधिक कम हो गए हैं. वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनपेक्षित गर्भावस्था, महिला जननांग विकृति, बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा में वृद्धि का कारण बन रहा है.