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पहले के मुकाबले अब ज्यादा खुश रहती हैं महिलाएं : रिपोर्ट

पहले के मुकाबले आज के दौर में महिलाओं में खुशी का स्तर बढ़ा है. हाल ही में हुए एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है. पढ़ें खबर...

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खुश महिला
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Published : Oct 23, 2021, 12:25 PM IST

खुश रहना हर किसी का अधिकार है , लेकिन माना जाता है की महिला हो या पुरुष, खुशी तभी महसूस कर पाता है जब वह स्वतंत्र महसूस करे . स्वतंत्रता, अपनी इच्छा से जीने की और सबसे ज्यादा अपने लिए निर्णय लेने की. लेकिन ना सिर्फ हमारे समाज में बल्कि दुनिया भर में सारी जिम्मेदारियाँ निभाने के बावजूद महिलाएं शादी से पहले पुरुष और शादी के बाद पति पर आश्रित मानी जाती है. यहाँ तक अपनी पसंद का खाने और कपड़े पहनने की आजादी भी ज्यादातर महिलाओं को नहीं मिल पाती हैं. कुछ प्रतिशत ही सही मगर यह बातें महिलाओं की खुशी को प्रभावित करती है.

लेकिन अब बदलते समय के साथ समाज की सोच में धीरे-धीरे आ रहे अंतर का नतीजा है की कुछ हद तक महिलाएं अपनी पसंद के हिसाब के जीने लगी है और अपने जीवन के सामान्य फैसले लेने लगी हैं जैसे वे क्या पहने क्या नहीं , क्या खाएं या क्या नहीं करें आदि. नतीजतन वे ज्यादा स्वतंत्र और प्रसन्न महसूस करने लगी हैं.

हाल ही में हुए सर्वे में पता चला है कि कुछ दशक पहले की तुलना में आज की युवतियां ज्यादा खुश रहने लगी हैं और ये बदलाव उनमें अपने जीवन से जुड़े फैसला लेने के अधिकार मिलने की वजह से आया है. उसके अलावा आध्यात्मिकता को भी इसके विशेष कारणों में गिना गया है.

पुणे के एक रिसर्च सेंटर दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र (Drishti Stree Adhyayan Prabhodhan Kendra) ने हाल ही में देश के 29 राज्यों की 18 साल से लेकर 70 साल के बीच आयु वाली 43 हजार महिलाओं पर सर्वे किया और जाना वह कितनी खुश हैं. इसके साथ ही सर्वे में उनकी खुशी के कारणों के बारें में भी जानने का प्रयास किया गया.

सर्वे में सामने आया की आज के दौर में अपेक्षाकृत कम उम्र की युवतियाँ अपने जीवन से ज्यादा संतुष्ट तथा प्रसन्न हैं . सर्वे में 18 से 40 साल के बीच की लगभग 80 % प्रतिशत महिलाओं ने माना की वे खुश हैं. इन महिलाओं में से काफी महिलाएं आध्यात्म और पूजा-पाठ या किसी तरह के मेडिटेशन जैसी गतिविधियों से जुड़ी हुई थीं.

इस सर्वे में आपात स्तिथि में महिलाओं की सूझ बूझ का भी आँकलन करने का प्रयास किया गया, जिसमें सामने आया की एक जैसी परिस्तिथि में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रतिक्रिया देती हैं, यहाँ तक की वे समस्याओं को बेहतर तरह से डील करती हैं.

महिलाओं में खुशी की अनुभूति को लेकर भारत के अलावा दूसरे देशों में भी कुछ शोध तथा अध्धयन हुए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) द्वारा किए गए एक शोध में शोधकर्ताओं ने यह समझने की कोशिश की कि एक दिन में महिलाओं की भावनाओं में कितना उतार-चढ़ाव आता है. इस शोध में शोधकर्ताओं ने “डे रिकंस्ट्रक्शन मेथड” की मदद ली थी. शोध के नतीजों में सामने आया था आजादी महिलाओं की खुशी के प्रमुख कारणों में से एक है. इसके अलावा नियमित व्यायाम करने वाली तथा कामकाजी महिलाएं जिन्हे तनख्वाह मिलती है अपेक्षाकृत ज्यादा प्रसन्न रहती हैं.

पढ़ें: यौन हिंसा की शिकार युवतियां बामुश्किल जी पाती हैं सामान्य जीवन

खुश रहना हर किसी का अधिकार है , लेकिन माना जाता है की महिला हो या पुरुष, खुशी तभी महसूस कर पाता है जब वह स्वतंत्र महसूस करे . स्वतंत्रता, अपनी इच्छा से जीने की और सबसे ज्यादा अपने लिए निर्णय लेने की. लेकिन ना सिर्फ हमारे समाज में बल्कि दुनिया भर में सारी जिम्मेदारियाँ निभाने के बावजूद महिलाएं शादी से पहले पुरुष और शादी के बाद पति पर आश्रित मानी जाती है. यहाँ तक अपनी पसंद का खाने और कपड़े पहनने की आजादी भी ज्यादातर महिलाओं को नहीं मिल पाती हैं. कुछ प्रतिशत ही सही मगर यह बातें महिलाओं की खुशी को प्रभावित करती है.

लेकिन अब बदलते समय के साथ समाज की सोच में धीरे-धीरे आ रहे अंतर का नतीजा है की कुछ हद तक महिलाएं अपनी पसंद के हिसाब के जीने लगी है और अपने जीवन के सामान्य फैसले लेने लगी हैं जैसे वे क्या पहने क्या नहीं , क्या खाएं या क्या नहीं करें आदि. नतीजतन वे ज्यादा स्वतंत्र और प्रसन्न महसूस करने लगी हैं.

हाल ही में हुए सर्वे में पता चला है कि कुछ दशक पहले की तुलना में आज की युवतियां ज्यादा खुश रहने लगी हैं और ये बदलाव उनमें अपने जीवन से जुड़े फैसला लेने के अधिकार मिलने की वजह से आया है. उसके अलावा आध्यात्मिकता को भी इसके विशेष कारणों में गिना गया है.

पुणे के एक रिसर्च सेंटर दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र (Drishti Stree Adhyayan Prabhodhan Kendra) ने हाल ही में देश के 29 राज्यों की 18 साल से लेकर 70 साल के बीच आयु वाली 43 हजार महिलाओं पर सर्वे किया और जाना वह कितनी खुश हैं. इसके साथ ही सर्वे में उनकी खुशी के कारणों के बारें में भी जानने का प्रयास किया गया.

सर्वे में सामने आया की आज के दौर में अपेक्षाकृत कम उम्र की युवतियाँ अपने जीवन से ज्यादा संतुष्ट तथा प्रसन्न हैं . सर्वे में 18 से 40 साल के बीच की लगभग 80 % प्रतिशत महिलाओं ने माना की वे खुश हैं. इन महिलाओं में से काफी महिलाएं आध्यात्म और पूजा-पाठ या किसी तरह के मेडिटेशन जैसी गतिविधियों से जुड़ी हुई थीं.

इस सर्वे में आपात स्तिथि में महिलाओं की सूझ बूझ का भी आँकलन करने का प्रयास किया गया, जिसमें सामने आया की एक जैसी परिस्तिथि में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रतिक्रिया देती हैं, यहाँ तक की वे समस्याओं को बेहतर तरह से डील करती हैं.

महिलाओं में खुशी की अनुभूति को लेकर भारत के अलावा दूसरे देशों में भी कुछ शोध तथा अध्धयन हुए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) द्वारा किए गए एक शोध में शोधकर्ताओं ने यह समझने की कोशिश की कि एक दिन में महिलाओं की भावनाओं में कितना उतार-चढ़ाव आता है. इस शोध में शोधकर्ताओं ने “डे रिकंस्ट्रक्शन मेथड” की मदद ली थी. शोध के नतीजों में सामने आया था आजादी महिलाओं की खुशी के प्रमुख कारणों में से एक है. इसके अलावा नियमित व्यायाम करने वाली तथा कामकाजी महिलाएं जिन्हे तनख्वाह मिलती है अपेक्षाकृत ज्यादा प्रसन्न रहती हैं.

पढ़ें: यौन हिंसा की शिकार युवतियां बामुश्किल जी पाती हैं सामान्य जीवन

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