ETV Bharat / sukhibhava

भारत सभी लोगों तक कोरोना वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित कर पाएगा?

भारत में शुरू होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम में कई चुनौतियां का सामना करना पड़ सकता है. भारी आबादी वाला देश होने के कारण टीके की आपूर्ति को लेकर चिंता जताई जा रही है. फिलहाल उम्मीद जताया जा रहा है कि नियामक प्राधिकरण की ओर से एक महीने में वैक्सीन के लिए अनुमोदन (अप्रूवल) प्राप्त हो जाएगा.

author img

By

Published : Dec 19, 2020, 4:05 PM IST

Vaccine supply
वैक्सीन की आपूर्ति

अमेरिका और ब्रिटेन जैसे धनी देशों ने अपनी जनता को कोरोनावायरस वैक्सीन देनी शुरू कर दी है, मगर भारत के लिए टीकाकरण की आगे की राह बहुत उज्‍जवल नहीं दिखाई दे रही है. भारत में फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर दुर्लभ आपूर्ति, मुश्किल परिवहन और उचित कोल्ड चेन की कमी जैसे कारणों की वजह से टीकाकरण अभियान में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

130 करोड़ से अधिक भारतीयों के लिए दो वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विकसित व सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से तैयार की जा रही कोविशिल्ड, भारत बायोटेक लिमिटेड की ओर से तैयार की जा रही कोवैक्सीन अभी भी निर्माताओं या सरकार के नियंत्रण में नहीं होने वाले कारकों के कारण एक दूर का सपना दिखाई दे रही हैं.

कोवैक्सीन परीक्षण के प्रधान अन्वेषक (पीआई) संजय राय ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि कोवैक्सीन के रोलआउट में देरी हो सकती है. राय ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को, जहां इसका तीसरे चरण का मानव नैदानिक परीक्षण (ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल) चल रहा है, उसे परीक्षण शॉट्स लेने वालों को खोजने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नियामक प्राधिकरण की ओर से एक महीने में वैक्सीन के लिए अनुमोदन (अप्रूवल) प्राप्त हो जाएगा.

साल्वे ने कहा, 'पहले चरण में भारत 30 करोड़ लोगों को टीका (वैक्सीन) लगाने की योजना बना रहा है.' उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले चरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सैन्य पेशेवर, पुलिस बल, आपदा प्रबंधन कार्यकर्ताओं और 60 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों को वैक्सीन दी जाएगी.

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होना है.

ड्यूक यूनिवर्सिटी के 'लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर' का विश्लेषण, जो हर दो सप्ताह में अपडेट किया जाता है, दिखाता है कि भारत ने तीन वैश्विक वैक्सीन उम्मीदवारों की 1.6 अरब खुराक का सौदा तय किया हैं और उन्हें उपयोग के लिए प्रमाणित किया गया है.

वैश्विक स्तर पर कुल 10.1 अरब कोरोनावायरस वैक्सीन की खुराक आरक्षित की गई है.

गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा गुप्ता ने कहा कि टीकों की प्रभावशीलता भंडारण स्तर के तापमान पर निर्भर करती है.

डॉ. गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, 'कोल्ड चेन को ठीक से बनाए रखने की आवश्यकता है.'

उन्होंने जोर दिया कि सरकार को स्वास्थ्य कर्मचारियों, बुजुर्गों की आबादी और पहले से बीमारियों का सामना कर रहे लोगों के व्यापक टीकाकरण के लिए एक निर्दिष्ट स्टाफ रखने की आवश्यकता है.

एक वास्तविकता यह भी है कि भारत सहित कई देश कम सुरक्षात्मक कोविड-19 वैक्सीन का उपयोग करने का विकल्प चुन सकते हैं, जो बेहतर, महंगे शॉट्स के इंतजार के बजाय अधिक सस्ती उपलब्ध हो सकती हैं.

यह भी बताया जा रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बढ़ा सकता है.

अमेरिका और ब्रिटेन जैसे धनी देशों ने अपनी जनता को कोरोनावायरस वैक्सीन देनी शुरू कर दी है, मगर भारत के लिए टीकाकरण की आगे की राह बहुत उज्‍जवल नहीं दिखाई दे रही है. भारत में फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर दुर्लभ आपूर्ति, मुश्किल परिवहन और उचित कोल्ड चेन की कमी जैसे कारणों की वजह से टीकाकरण अभियान में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

130 करोड़ से अधिक भारतीयों के लिए दो वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विकसित व सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से तैयार की जा रही कोविशिल्ड, भारत बायोटेक लिमिटेड की ओर से तैयार की जा रही कोवैक्सीन अभी भी निर्माताओं या सरकार के नियंत्रण में नहीं होने वाले कारकों के कारण एक दूर का सपना दिखाई दे रही हैं.

कोवैक्सीन परीक्षण के प्रधान अन्वेषक (पीआई) संजय राय ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया कि कोवैक्सीन के रोलआउट में देरी हो सकती है. राय ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को, जहां इसका तीसरे चरण का मानव नैदानिक परीक्षण (ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल) चल रहा है, उसे परीक्षण शॉट्स लेने वालों को खोजने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नियामक प्राधिकरण की ओर से एक महीने में वैक्सीन के लिए अनुमोदन (अप्रूवल) प्राप्त हो जाएगा.

साल्वे ने कहा, 'पहले चरण में भारत 30 करोड़ लोगों को टीका (वैक्सीन) लगाने की योजना बना रहा है.' उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले चरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सैन्य पेशेवर, पुलिस बल, आपदा प्रबंधन कार्यकर्ताओं और 60 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों को वैक्सीन दी जाएगी.

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होना है.

ड्यूक यूनिवर्सिटी के 'लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर' का विश्लेषण, जो हर दो सप्ताह में अपडेट किया जाता है, दिखाता है कि भारत ने तीन वैश्विक वैक्सीन उम्मीदवारों की 1.6 अरब खुराक का सौदा तय किया हैं और उन्हें उपयोग के लिए प्रमाणित किया गया है.

वैश्विक स्तर पर कुल 10.1 अरब कोरोनावायरस वैक्सीन की खुराक आरक्षित की गई है.

गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा गुप्ता ने कहा कि टीकों की प्रभावशीलता भंडारण स्तर के तापमान पर निर्भर करती है.

डॉ. गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, 'कोल्ड चेन को ठीक से बनाए रखने की आवश्यकता है.'

उन्होंने जोर दिया कि सरकार को स्वास्थ्य कर्मचारियों, बुजुर्गों की आबादी और पहले से बीमारियों का सामना कर रहे लोगों के व्यापक टीकाकरण के लिए एक निर्दिष्ट स्टाफ रखने की आवश्यकता है.

एक वास्तविकता यह भी है कि भारत सहित कई देश कम सुरक्षात्मक कोविड-19 वैक्सीन का उपयोग करने का विकल्प चुन सकते हैं, जो बेहतर, महंगे शॉट्स के इंतजार के बजाय अधिक सस्ती उपलब्ध हो सकती हैं.

यह भी बताया जा रहा है कि दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बढ़ा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.