मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान होता है. बच्चों के लिए संपूर्ण आहार माना जाने वाला मां का दूध न सिर्फ बच्चे के शरीर की जरूरी पोषक तत्वों को पूरा करता है, बल्कि मां को भी कई बीमारियों से दूर रखता है. स्तनपान के महत्व को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर में ब्रेस्ट फीडिंग यानि स्तनपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल एक से सात अगस्त को 'विश्व स्तनपान सप्ताह' के तौर पर मनाया जाता है.
स्तनपान क्यों है जरूरी
छोटे बच्चों के लिए स्तनपान क्यों जरूरी है और यह किस तरह से मां और बच्चे के स्वास्थ के लिए फायदेमंद है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने मुंबई शहर की मशहूर गायनाकोलॉजिस्ट तथा ऑबस्टेट्रिशियन डॉ. राजश्री कटके (एम.डी. ओबीजीवाय, पूर्व सुपरिटेन्डेन्ट सीएएमए तथा अलब्लेस अस्पताल मुंबई) से बात की. उन्होंने बताया कि मां का दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बच्चे को इस दौरान सभी पोषक तत्व मां के दूध से ही मिलता हैं.
जिन बच्चों को शुरू से ही मां का दूध मिलता है, वे दूसरे बच्चों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं. यहीं नहीं यदि बच्चा मां का दूध पी रहा है, तो उसे 6 महीने तक पानी पिलाने की भी जरूरत नहीं होती है. डॉ. कटके बताती हैं कि स्तनपान जितना बच्चों के लिए जरूरी होता है, उतना ही मां के लिए भी होता है. बच्चों को नियमित तौर पर स्तनपान कराने वाली मांओं को तनाव सहित कई बड़ी बीमारियों का खतरा अपेक्षाकृत कम रहता है.
स्तनपान के फायदे
डॉ. कटके बताती है कि स्तनपान करने वाले शिशुओं में श्वास संबंधी रोगों, कान के संक्रमण सहित अन्य प्रकार के संक्रमण, श्वेत रक्तता तथा पेट संबंधी रोगों का खतरा कम रहता है. स्तनपान मां और बच्चे के बीच के भावनात्मक रिश्ते को भी मजबूत करने का कार्य करता है. एक ओर जहां नियमित तौर पर स्तनपान करने वाले बच्चों का दिमाग तेज होता है, वहीं स्तनपान कराने से मांओं को भी स्तन के कैंसर, पूर्व रजोनिवृत्ति डिम्बग्रंथि के कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का खतरा भी कम होता है.
बच्चों को कितना दूध पिलाना चाहिए
जन्म से लेकर 6 महीने तक बच्चों को हर डेढ़ घंटे से तीन घंटे के अंतराल में दूध पिलाते रहना चाहिए. इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि जितनी जरूरत उतना दूध. छह महीने तक बच्चे को पानी ग्राइप वाटर या घुट्टी की जरूरत नहीं होती है. बच्चे का पेट अच्छे से भरा होगा तभी वह कम रोएगा और आराम से सो पाएगा. यदि किसी कारण से बच्चा दूध पीने के बाद भी लगातार रोता है, तो इसका मतलब है उसका पेट मां के दूध से नहीं भर पा रहा है. ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए.
कोरोना और स्तनपान
कोरोना के इस काल में बहुत से ऐसे केस देखने सुनने में आएं जहां नई मांओं को कोरोना हुआ. ऐसी परिस्थिति में ये सवाल सबके जहन में आया कि कोरोना पीड़ित मां को दूध पिलाना चाहिए या नहीं. डॉ. कटके बताती है कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है. बशर्ते मास्क, गाउन सहित तमाम दिशा निर्देशों का पालन करें और अपना इलाज जारी रखे. यही नहीं बच्चे को डायरिया के स्थिति में भी मां चिकित्सीय सलाह के उपरान्त बच्चे को दूध पिलाना जारी रख सकती है.
कैसा हो जच्चा का खानपान
जच्चा यानि नई मां का खाना पोषक तत्वों से भरा होना चाहिए. पौष्टिक खाने के साथ बहुत जरूरी है कि वह आयरन और कैल्शियम परिष्टि भी ले, जो उसके शरीर में खून की कमी को दूर करेगा. साथ ही उसकी हड्डियों को भी मजबूत बनाएगा. हम भारतीयों में वैसे भी बच्चे के जन्म के उपरान्त मेथी के लड्डू और पंजीरी खिलाने की परंपरा है. लेकिन बहुत जरूरी है इस बात को समझना की जो भी खाये नई मां एक निर्धारित मात्रा में ही खाये. किसी भी चीज की अति आपके शरीर को किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचा सकती है.