बोस्टन में जोसलिन डायबिटीज सेंटर में क्लिनिकल एक्सरसाइज फिजियोलॉजी विभाग के प्रबंधक तथा मधुमेह शिक्षक जैकलीन शहर ( एम.एड, आरसीईपी, सीडीई) के अनुसार मधुमेह के प्रबंधन में व्यायाम हालांकि शुरुआती स्तर पर मुश्किल हो सकता है । लेकिन नियमित व्यायाम मधुमेह प्रबंधन में काफी मददगार हो सकता है।
मैसूर की योग प्रशिक्षक, ब्यूटी व हेल्थ थेरेपिस्ट तथा ट्रेनर मीनू वर्मा भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताती है की टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए शुरुआत में व्यायाम का अभ्यास मुश्किल हो सकता है। लेकिन चिकित्सीय सलाह पर तथा प्रशिक्षित ट्रेनर के निर्देशन में किया गया नियमित व्यायाम न सिर्फ मधुमेह प्रबंधन बल्कि शारीरिक सक्रियता बढ़ाने मदद करता है, साथ ही सभी प्रकार की बीमारियों में शरीर को फायदा पहुंचता है और मजबूत बनाता है। लेकिन जरूरी है की व्यायाम संबंधी दिनचर्या बनाने से पहले सभी जरूरी सावधानियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाय।
मधुमेह में व्यायाम से जुड़ी सावधानियाँ
एप्पल अस्पताल इंदौर के फिजीशियन डॉ संजय जैन के अनुसार व्यायाम निसन्देह किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य अवस्था में तथा शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करते है। लेकिन सावधानी के तौर पर मधुमेह, विशेषकर टाइप 2 पीड़ितों के लिए जरूरी है की किसी भी प्रकार का व्यायाम या अभ्यास शुरू करने से पहले चिकित्सक की सलाह लें ।
ट्रेनर मीनू वर्मा बताती है उनके पास आने वाले मधुमेह पीड़ितों की चिकित्सीय रिपोर्ट के आधार पर ही वह उनकी व्यायाम दिनचर्या की चरण-दर-चरण योजना बनाती है। यह एक बहुत जरूरी कदम है।
मधुमेह प्रबंधन के संबंध में जारी अपनी रिपोर्ट में जैकलीन शाहर बताते है की मधुमेह, उच्च रक्तचाप, या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा ले रहे लोगों के जोड़ों या मांसपेशियों में समस्या है, तो व्यायाम से पहले चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है की उनके लिए कौन सा तथा किस प्रकार का व्यायाम सुरक्षित है।
यही नही ऐसे रोगियों को नियमित तौर पर व्यायाम शुरू करने से पहले आंखो की भी जांच भी करानी चाहिए। क्योंकि टाइप 2 मधुमेह का सबसे ज्यादा असर हमारे नेत्रों पर पड़ता है। ऐसे में यदि पीड़ित की रेटिना या रिसाव में कोई समस्या को तो कुछ विशेष प्रकार के व्यायाम निषेध माने जाते है।
जैकलीन शाहर के अनुसार जब हम व्यायाम करते हैं तो हमारी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और शरीर की ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। मांसपेशियों के लिए ऊर्जा ग्लूकोज से आती है। ऐसे में व्यक्ति जितना व्यायाम करता है उतना ही अधिक ग्लूकोज जलाता हैं। व्यायाम करने के बाद आराम करने पर, इंसुलिन रक्त कोशिकाओं तक ग्लूकोज पहुंचाने में मदद करता है। हालांकि, ग्लूकोज इन कोशिकाओं में स्वतंत्र रूप से भी प्रवेश कर सकता है। व्यायाम के चलते मांसपेशियों में ग्लूकोज तथा इंसुलिन की प्रतिक्रियाएं रक्त शर्करा के प्रबंधन में काफी मदद करती है। इसके अलावा, जब आप शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं तो इंसुलिन बेहतर काम करता है। इसलिए नियमित व्यायाम से कई बार मधुमेह की दवाओं की आपकी आवश्यकता को कम किया जा सकता है।
ध्यान देने वाली बातें
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) के अनुसार टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को एक व्यायाम योजना बनाकर सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करना चाहिए। यदि पीड़ित का वजन ज्यादा है और उसे वजन कम करने की जरूरत है तो सप्ताह में छह दिन व्यायाम के 60 मिनट का लक्ष्य रखना चाहिए।
एडीए सिफारिश करता है की नियमित व्यायामों की श्रंखला की शुरुआत हमेशा हल्के और कम जोखिम वाले व्यायामों से ही करनी चाहिए। बाद में धीरे-धीरे कसरत की दिनचर्या को बढ़ाया जा सकता है। शुरुआत में दिन में केवल पांच मिनट से शुरू करें, और फिर धीरे-धीरे बढ़ाकर 10, फिर 15 मिनट समयावधि बढ़ाएं। और इसी तरह तब तक करें जब तक आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते। ऐसे में चोट लगने का जोखिम कम हो जाता है। यदि कोई व्यायाम करने पर परेशानी हो तो चिकित्सक से परामर्श लें ।
इसके साथ ही अपनी प्रगति को ट्रैक करें। अपनी शारीरिक गतिविधि का एक लॉग रखें - आप कितनी देर तक चले या आपने कितने मील की दूरी तय की, या हर बार जब आप जिम में थे तो आपने क्या किया। सिर्फ दैनिक ही नही बल्कि साप्ताहिक और मासिक लॉग की भी समीक्षा करें।