मातृत्व की राह हमेशा सरल नही होती है। आमतौर पर माताओं के लिए यह सफर सरल होता है लेकिन कई बार अलग अलग कारणों से कुछ माओं को विशेषतौर पर स्तनपान कराने में तकलीफों और समायाओं से गुजरना पड़ता है। शारीरिक समस्याओं , अनुभव की कमी या आसपास की पारिसतिथ्यों के कारण उत्पन्न इन समस्याओं और परेशानियों से बचने में कुछ उत्पाद महिलाओं की काफी मदद कर सकते हैं, जो इस प्रकार है।
ब्रेस्ट पंप:
इस बात से सभी वाकिफ हैं की बच्चे के जन्म के बाद 6 महीने तक माता का दूध उसके लिए कितना जरूरी होता है। देहरादून की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ लतिका जोशी बताती है की जिन बच्चों को जन्म के तत्काल बाद से स्तनपान कराया जाता है वे न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं बल्कि मानसिक क्षमताओं का विकास भी अपेक्षाकृत बेहतर तरीके से होता है। लेकिन कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चे को जरूरत होने पर हए बार स्तनपान करना मुश्किल भर हो सकता है ऐसे में यह उत्पाद उनके लिए काफी मददगार हो सकता है। इस पंप के माध्यम से माताएं अपना दूध निकाल कर एक निश्चित अवधि के लिए फ्रिज या किसी अन्य स्थान पर सुरक्षित रख सकती है। लेकिन यहाँ इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए यदि माता के एकत्रित दूध को एक सीमित अवधि तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। वही इस दूध को सीधे गैस या माइक्रोवेव में गर्म ना नहीं करना चाहिए। । इससे दूध के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
ब्रेस्ट मिल्क स्टोरेज बैग:
बच्चे को संभालने के साथ ही घर व ऑफिस का काम करना एक मां के लिए मुश्किल होता है। विशेषकर उन माताओं के लिए जिन्हें बच्चे को स्तनपान भी कराना होता है। ऐसे में ब्रेस्ट मिल्क स्टोरेज बैग काफी मददगार हो सकते हैं। माताएं अपना दूध इन बैग में एकत्रित कर सकती है और जरूरत पड़ने पर या सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने की बजाय बच्चे को इस बैग से सरलता से दूध पीला सकती है।
ब्रेस्ट पैड:
स्तनपान करने वाली महिलाओं में स्तनों के लगातार दूध रिसने की समस्या भी देखने में आती है। यह एक सामान्य बात हैं। लेकिन इसके कारण कई बार महिलाओं को शर्मिंदगी और असुविधा महसूस हो सकती है क्योंकि स्तनों से रिसने वाले दूध के कारण उसके कपड़े खराब हो सकते हैं। काम करनेवाली माताओं को यह समस्या ज्यादा परेशान कर सकती है । माता के स्तनों से ज्यादा मात्रा में निकलने वाले दूध का प्रभाव कपड़ों पर न दिखाई दे , इसमें ब्रेस्ट पैड काफी मददगार साबित होते हैं। आपको बस इतना करना है की इन पैड को अपनी ब्रा के कप में रखना है। ये दूध सोख लेते हैं, आपके कपड़ों पर दाग नहीं लगने देते।
निप्पल शील्ड:
कई बार माता के निप्पल के बड़े आकार या उनमें दरारें पड़ने जैसी किसी प्रकार की समस्या के कारण बच्चे को प्राकृतिक तरीके से दूध पीने में माता को दर्द या अन्य समस्या हो सकती है। ऐसे में चिकित्सक निप्पल शील्ड का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। निप्पल शील्ड एक पतला सिलिकॉन कवर जैसा होता है जिसे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल और एरोला के ऊपर पहना जाता है।
नर्सिंग पिलो या ब्रेस्टफीडिंग पिलो (तकिया):
स्तन पान कराते समय नर्सिंग पिलो काफी सुविधा प्रदान कर सकता है । आमतौर पर महिलाओं को प्रसव के उपरांत स्तनपान कराने के दौरान सीधे बैठने और झुककर दूध पिलाने में परेशनी होती है। ऐसे में नर्सिंग पिलो या जिसे ब्रेस्टफीडिंग पिलो भी कहा जाता है काफी मदद करता है। बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग पिलो पर लेटाने से मां के लिए स्तनपान करना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं यह मां की कमर को भी सहारा देता हैं जिससे मां को बैठने और बाजुओं में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
साफ सफाई जरूरी
डॉ लतिका जोशी बताती है की न सिर्फ बच्चे बल्कि माता के स्वास्थ्य की बेहतरी और उन्हे किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है की उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं बिल्कुल साफ हो। फिर चाहे वह किसी प्रकार का कपड़ा, सामान या ब्रेस्ट मिल्क पंप ही क्यों न हो। यदि कोई महिला पंप का इस्तेमाल कर रही है तो बहुत जरूरी है की उसके इस्तेमाल से पहले और बाद में उसे अच्छी तरह से गरम पानी से साफ किया जाय। वहीं ब्रेस्ट पैड के उपयोग में भी सुरक्षा बरतना जरूरी है जैसे यदि सूती पैड का इस्तेमाल किया जा रहा है तो पैड के गीला होने पर उसे तुरंत हटा दे, क्योंकि गीले पैड से त्वचा पर संक्रमण हो सकता है।
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