ETV Bharat / sukhibhava

वैक्सीन कोरोना वायरस के दूसरा और तीसरा दोनों वेरिएंट पर कारगर : वैज्ञानिक - स्वास्थ्य

भारत में सामने आए कोरोना वायरस के दूसरे और तीसरे वेरिएंट लगभग एक जैसे ही हैं और मौजूदा टीके उनके खिलाफ प्रभावी हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के निदेशक सौमित्र दास ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। सार्स-सीओवी-19 के जीनोम अनुक्रमण पर एक वेबिनार में बोलते हुए दास ने कहा कि दूसरे और तीसरे स्वरूप बोलचाल के लिए हैं और दोनों का संदर्भ कोरोना वायरस के समान वेरिएंट-बी.1.617 के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरा और तीसरा वेरिएंट एक ही हैं।

The vaccine works on both variants
वैक्सीन दोनों वेरिएंट पर कारगर
author img

By

Published : Apr 24, 2021, 3:47 PM IST

दूसरे और तीसरे वेरिएंट अतिव्यापी शब्द हैं और अलग-अलग संदर्भों में उनका अलग तरह से इस्तेमाल किया गया है। कल्याणी स्थित द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाला संस्थान है और देश की उन 10 प्रयोगशालाओं में से एक है जो कोरोनावायरस के जीनों अनुक्रमण में शामिल हैं।

इससे पहले गुरुवार को भारत में कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट का पता लगा था, जो तेजी से फैल सकता है और मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में सक्षम है। वैज्ञानिकों के अनुसार हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नए वेरिएंट के कारण देश में या पश्चिम बंगाल में वायरस से संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।

नए स्वरूप का पता सबसे पहले पश्चिम बंगाल में ही लगा था. नए वेरिएंट को बी.1.618 नाम दिया गया है, जो बी.1.617 से अलग है और इसे दोहरे उत्परिवर्तन वाले वायरस के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि भारत में दूसरी लहर में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि के पीछे यही स्वरूप है।

सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी), नई दिल्ली के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि बी. 1.618 के संबंध में जांच की जा रही है। बी.1.618 भारत में मुख्य रूप से पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 का एक नया वेरिएंट है।

दूसरे और तीसरे वेरिएंट अतिव्यापी शब्द हैं और अलग-अलग संदर्भों में उनका अलग तरह से इस्तेमाल किया गया है। कल्याणी स्थित द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाला संस्थान है और देश की उन 10 प्रयोगशालाओं में से एक है जो कोरोनावायरस के जीनों अनुक्रमण में शामिल हैं।

इससे पहले गुरुवार को भारत में कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट का पता लगा था, जो तेजी से फैल सकता है और मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में सक्षम है। वैज्ञानिकों के अनुसार हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नए वेरिएंट के कारण देश में या पश्चिम बंगाल में वायरस से संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।

नए स्वरूप का पता सबसे पहले पश्चिम बंगाल में ही लगा था. नए वेरिएंट को बी.1.618 नाम दिया गया है, जो बी.1.617 से अलग है और इसे दोहरे उत्परिवर्तन वाले वायरस के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि भारत में दूसरी लहर में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि के पीछे यही स्वरूप है।

सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी), नई दिल्ली के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि बी. 1.618 के संबंध में जांच की जा रही है। बी.1.618 भारत में मुख्य रूप से पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 का एक नया वेरिएंट है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.