दूसरे और तीसरे वेरिएंट अतिव्यापी शब्द हैं और अलग-अलग संदर्भों में उनका अलग तरह से इस्तेमाल किया गया है। कल्याणी स्थित द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाला संस्थान है और देश की उन 10 प्रयोगशालाओं में से एक है जो कोरोनावायरस के जीनों अनुक्रमण में शामिल हैं।
इससे पहले गुरुवार को भारत में कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट का पता लगा था, जो तेजी से फैल सकता है और मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से बच निकलने में सक्षम है। वैज्ञानिकों के अनुसार हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नए वेरिएंट के कारण देश में या पश्चिम बंगाल में वायरस से संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
नए स्वरूप का पता सबसे पहले पश्चिम बंगाल में ही लगा था. नए वेरिएंट को बी.1.618 नाम दिया गया है, जो बी.1.617 से अलग है और इसे दोहरे उत्परिवर्तन वाले वायरस के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि भारत में दूसरी लहर में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि के पीछे यही स्वरूप है।
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी), नई दिल्ली के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि बी. 1.618 के संबंध में जांच की जा रही है। बी.1.618 भारत में मुख्य रूप से पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 का एक नया वेरिएंट है।