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Vitiligo : एक प्रकार का चर्म रोग या स्किन डिसऑर्डर है

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Published : Jan 22, 2023, 12:37 AM IST

सफेद दाग की समस्या को विटिलिगो कहा जाता है. विटिलिगो को लेकर दुनिया भर में जागरूकता की कमी है, वहीं इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी व्याप्त है. आइए जानते हैं क्या है विटिलिगो और क्या इससे डरना सही है ? Vitiligo is a skin disorder .

Vitiligo is a skin disorder skin disease
चर्म रोग

आमतौर पर सड़क पर, बाजार में, किसी सार्वजनिक स्थल पर या फिर किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यदि कोई ऐसे पुरुष या महिला नजर आते हैं जिनकी त्वचा या शरीर के किसी हिस्से पर सफेद दाग नजर आ रहे हों, तो उनके आसपास के ज्यादातर लोग उनसे शारीरिक दूर बनाने लगते हैं. ऐसा सिर्फ हमारे देश में ही नहीं होता है बल्कि दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में ऐसी शारीरिक अवस्था का सामना कर रहे लोगों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. वहीं बहुत से लोग उनसे इस डर से दूरी बना लेते हैं कि उन्हे भी यह समस्या ना हो जाए. सफेद दाग की इस समस्या को विटिलिगो कहा जाता है. विटिलिगो को लेकर दुनिया भर में जागरूकता की कमी है, वहीं इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी व्याप्त है. आइए जानते हैं क्या है विटिलिगो और क्या इससे डरना सही है ?

हाल ही में एक Mamta Mohandas Malayalam actress ( मलयाली अभिनेत्री ममता मोहनदास ) का एक पोस्ट काफी चर्चित हुआ, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनमें “विटिलिगो” के होने की पुष्टि हुई है. जिसके चलते उनकी त्वचा का रंग बदल रहा है. सिर्फ ममता ही नहीं उनके अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी कई बेहद चर्चित हस्तियां हुई है जो Vitiligo बीमारी का शिकार रही है और जिन्होंने इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने तथा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है. जिनमें माइकल जैक्सन , Amitabh Bachchan , सुपर मॉडल विनी हारलों, अभिनेत्री Nafisa Ali तथा मशहूर टी वी प्रेजेंटर ग्राहम नोर्टन सहित कई बेहद चर्चित नाम शामिल हैं.

क्या है विटिलिगो : What is vitiligo
दिल्ली के चर्म रोग विशेषज्ञ Dr Suraj Bharti बताते हैं कि vitiligo दरअसल एक प्रकार का skin disease ( चर्म रोग ) या स्किन डिसॉर्डर ( Vitiligo is a skin disorder ) है जिसमें शरीर के एक या एक से ज्यादा अंगों में त्वचा पर छोटे या बड़े आकार में सफेद पैच नजर आने लगते हैं. यानी उस स्थान की त्वचा का रंग प्राकृतिक रंग से बदल कर सफेद या हल्का होने लगता है. इस समस्या का प्रभाव ना सिर्फ चेहरे बल्कि शरीर के किसी भी हिस्से में और यहां तक की बालों में भी नजर आ सकता है.

xv
श्वेत कुष्ठ

शुरुआत में ये सफेद दाग पीड़ित की त्वचा पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे के रूप में बनने शुरू होते हैं जो कभी-कभी फैलने भी लगते हैं, यानी छोटे छोटे सफेद धब्बे बड़े सफेद पैच में भी बदल सकते हैं. कुछ विशेष प्रकार के विटिलिगो में शरीर के अधिकांश हिस्सों की त्वचा का रंग भी बदल सकता है या सफेद हो सकता है. हालांकि यह एक दुर्लभ स्थिति होती है. इस समस्या के चलते कभी कभी त्वचा के रंग के साथ प्रभावित स्थान पर बालों का रंग और कई बार मुंह के अंदर की त्वचा का रंग भी बदल सकता है. विटिलिगो को “श्वेत कुष्ठ” या white leprosy नाम से भी जाना जाता है. वहीं कई बार लोग इसे कुष्ठ रोग समझने की भूल भी कर बैठते हैं जो सही नहीं है. आज भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो इसे एक संक्रामक रोग मानता हैं, और इस समस्या से पीड़ित लोगों को या उनके सामान को छूने और यहां तक की उनके पास बैठने तक से भी कतराता है. जो बिल्कुल सही नहीं है. विटिलिगो संक्रामक नहीं होता है.

क्या हैं कारण
डॉ भारती बताते हैं कि आमतौर पर किसी भी प्रकार के सफेद दाग को मेडिकल भाषा में विटिलिगो ही कहा जाता है. वह बताते हैं कि जब किसी भी रोग या अन्य कारण से त्वचा को रंग प्रदान करने वाले मेलानिन को बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं या किसी अन्य कारण से मेलानिन बनना बंद हो जाता है, तो इस रोग के विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है.

विटिलिगो के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
ऑटो इम्यून रोग/ स्वप्रतिरक्षित रोग होना. जिसमें हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है. ऐसा होने पर कई बार शरीर में मेलेनोसाइटस सेल्स यानी मेलानिन बनाने वाली कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट होने लगती हैं जिससे त्वचा पर सफेद रंग के पैच बनने लगते हैं. इसे विटिलिगो के सबसे प्रचलित कारणों में से एक माना जाता है. आनुवंशिक कारण, यानी परिवार में पहले से किसी को यह बीमारी होने के चलते भी यह हो सकता है. हालांकि यह एक बेहद दुर्लभ कारण हैं. यानी ऐसा बहुत कम देखने में आता है. त्वचा पर कई बार तेज धूप के दुष्प्रभाव के कारण, उसके औद्योगिक रसायन के संपर्क में आने, किसी प्रकार की स्किन एलर्जी या एक्जिमा, सोरायसिस या टीनिया वर्सिकलर जैसे त्वचा रोगों के कारण या ऐसे किसी विकार के चलते जिसमें त्वचा में मेलेनिन कोशिकाएं नष्ट हो जाती हों, के चलते भी सफेद दाग की समस्या हो सकती हैं. शरीर में पोषण की कमी, आहार में लापरवाही, तनाव तथा शरीर में हानिकारक टॉक्सिन्स जमा होने के कारण भी त्वचा में यह समस्या नजर आ सकती हैं. डॉ भारती बताते हैं कि कारणों तथा विटिलिगो के प्रभाव के आधार पर इसके निम्नलिखित प्रकार माने गए हैं .

आम विटिलिगो (जनरलाइज्ड)
यह इस समस्या का सबसे आम प्रकार है. इसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर सफेद धब्बे या जिन्हे मैक्यूल भी कहा जाता है, नजर आने लगते हैं. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है तथा कभी भी विकसित हो सकता है. वहीं इसका विकास कभी भी अपने आप रुक भी सकता है.

सेगमेंटल विटिलिगो
इसमें शरीर के किसी एक विशेष हिस्से या सेगमेंट पर ही सफेद धब्बे बनते हैं . अधिकतर मामलों में यह शुरुआत के एक से दो साल साल तक त्वचा पर फैलता है लेकिन उसके बाद यह अपने आप ही बढ़ना रुक जाता है.

म्यूकोसल विटिलिगो
इसमें शरीर के ऐसे हिस्सों पर जहां म्यूकस मेम्ब्रेन होती है, सफेद दाग बनने लगते हैं.

फोकल तथा यूनिवर्सल विटिलिगो
ये दोनों ही विटिलिगो के दुर्लभ प्रकार माने जाते हैं. इनके मामले अपेक्षाकृत काफी कम संख्या में नजर आते है. फोकल विटिलिगो में जहां शरीर के कुछ ख़ास हिस्सों में त्वचा पर छोटे-छोटे सफेद पैच बनते हैं, जो आकार में हमेशा छोटे ही रहते हैं और ज्यादा बढ़ते नहीं हैं, वहीं यूनिवर्सल विटिलिगो में शरीर के लगभग 80 % हिस्से में सफेद दाग नजर आते हैं. जो त्वचा के लगभग सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकते है.

एक्रोफेशियल विटिलिगो
इस अवस्था में चेहरे, हाथों और पैरों में सफेद धब्बे होने लगते है.

उपचार तथा सावधानियां
डॉ भारती बताते हैं कि विटिलिगो का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता हैं जैसे समस्या का कारण, उसका प्रकार व प्रभाव , पीड़ित की शारीरिक स्थिति (उसे किसी प्रकार का कोई अन्य रोग व समस्या तो नहीं है! ) तथा उसकी आयु आदि. उन्ही के आधार पर दवाओं, डिपिगमेंटेशन थेरेपी, लाइट थेरेपी तथा स्किन ग्राफ्टिंग आदि तकनीकों से इस समस्या का इलाज किया जाता है. तथा सही समय पर सही इलाज से बड़ी संख्या में इस समस्या में राहत मिल जाती है. इसके अलावा इलाज के साथ पीड़ित को उसकी जीवनशैली तथा खानपान को सुधारने की सलाह भी दी जाती है.

वह बताते हैं कि त्वचा रोग या विकार के कारण होने वाले विटिलिगो में कई बार प्रभावित स्थान की त्वचा काफी संवेदनशील हो जाती है, जैसे वहां खुजली ज्यादा हो सकती है या धूप की तेजी ज्यादा महसूस होती है. ऐसे में कभी-कभी प्रभावित स्थानों पर किसी प्रकार की क्रीम, मेकअप उत्पाद, स्किन केयर उत्पाद या स्प्रे आदि का इस्तेमाल परेशानी का कारण बन सकता है. इसलिए इन स्थानों पर किसी भी उत्पाद के इस्तेमाल से पहले तमाम सावधानियों, एलर्जी, उनमें रसायन की मात्रा आदि के बारें में जानना जरूरी है. जो उत्पाद इस प्रकार की संवेदनशील त्वचा को नुकसान ना पहुंचाए, उसका उपयोग करना ही बेहतर होता है. लेकिन सबसे पहले जरूरी है कि चिकित्सक से परामर्श ले लिए जाय कि वे प्रभावित स्थान पर किस प्रकार के उत्पाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही बहुत जरूरी है कि किसी से देख सुन कर किसी भी दवा या क्रीम का इस्तेमाल ना किया जाय . क्योंकि इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है. वह बताते हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में पीड़ितों को खानपान में कुछ विशेष प्रकार के आहार से परहेज की बात भी कही जाती है. वह बताते हैं कि बहुत जरूरी है कि शरीर में किसी भी हिस्से की त्वचा पर सफेद दाग दिखने शुरू होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लिया जाय .

आमतौर पर सड़क पर, बाजार में, किसी सार्वजनिक स्थल पर या फिर किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यदि कोई ऐसे पुरुष या महिला नजर आते हैं जिनकी त्वचा या शरीर के किसी हिस्से पर सफेद दाग नजर आ रहे हों, तो उनके आसपास के ज्यादातर लोग उनसे शारीरिक दूर बनाने लगते हैं. ऐसा सिर्फ हमारे देश में ही नहीं होता है बल्कि दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में ऐसी शारीरिक अवस्था का सामना कर रहे लोगों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. वहीं बहुत से लोग उनसे इस डर से दूरी बना लेते हैं कि उन्हे भी यह समस्या ना हो जाए. सफेद दाग की इस समस्या को विटिलिगो कहा जाता है. विटिलिगो को लेकर दुनिया भर में जागरूकता की कमी है, वहीं इसे लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी व्याप्त है. आइए जानते हैं क्या है विटिलिगो और क्या इससे डरना सही है ?

हाल ही में एक Mamta Mohandas Malayalam actress ( मलयाली अभिनेत्री ममता मोहनदास ) का एक पोस्ट काफी चर्चित हुआ, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनमें “विटिलिगो” के होने की पुष्टि हुई है. जिसके चलते उनकी त्वचा का रंग बदल रहा है. सिर्फ ममता ही नहीं उनके अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी कई बेहद चर्चित हस्तियां हुई है जो Vitiligo बीमारी का शिकार रही है और जिन्होंने इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने तथा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है. जिनमें माइकल जैक्सन , Amitabh Bachchan , सुपर मॉडल विनी हारलों, अभिनेत्री Nafisa Ali तथा मशहूर टी वी प्रेजेंटर ग्राहम नोर्टन सहित कई बेहद चर्चित नाम शामिल हैं.

क्या है विटिलिगो : What is vitiligo
दिल्ली के चर्म रोग विशेषज्ञ Dr Suraj Bharti बताते हैं कि vitiligo दरअसल एक प्रकार का skin disease ( चर्म रोग ) या स्किन डिसॉर्डर ( Vitiligo is a skin disorder ) है जिसमें शरीर के एक या एक से ज्यादा अंगों में त्वचा पर छोटे या बड़े आकार में सफेद पैच नजर आने लगते हैं. यानी उस स्थान की त्वचा का रंग प्राकृतिक रंग से बदल कर सफेद या हल्का होने लगता है. इस समस्या का प्रभाव ना सिर्फ चेहरे बल्कि शरीर के किसी भी हिस्से में और यहां तक की बालों में भी नजर आ सकता है.

xv
श्वेत कुष्ठ

शुरुआत में ये सफेद दाग पीड़ित की त्वचा पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे के रूप में बनने शुरू होते हैं जो कभी-कभी फैलने भी लगते हैं, यानी छोटे छोटे सफेद धब्बे बड़े सफेद पैच में भी बदल सकते हैं. कुछ विशेष प्रकार के विटिलिगो में शरीर के अधिकांश हिस्सों की त्वचा का रंग भी बदल सकता है या सफेद हो सकता है. हालांकि यह एक दुर्लभ स्थिति होती है. इस समस्या के चलते कभी कभी त्वचा के रंग के साथ प्रभावित स्थान पर बालों का रंग और कई बार मुंह के अंदर की त्वचा का रंग भी बदल सकता है. विटिलिगो को “श्वेत कुष्ठ” या white leprosy नाम से भी जाना जाता है. वहीं कई बार लोग इसे कुष्ठ रोग समझने की भूल भी कर बैठते हैं जो सही नहीं है. आज भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो इसे एक संक्रामक रोग मानता हैं, और इस समस्या से पीड़ित लोगों को या उनके सामान को छूने और यहां तक की उनके पास बैठने तक से भी कतराता है. जो बिल्कुल सही नहीं है. विटिलिगो संक्रामक नहीं होता है.

क्या हैं कारण
डॉ भारती बताते हैं कि आमतौर पर किसी भी प्रकार के सफेद दाग को मेडिकल भाषा में विटिलिगो ही कहा जाता है. वह बताते हैं कि जब किसी भी रोग या अन्य कारण से त्वचा को रंग प्रदान करने वाले मेलानिन को बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं या किसी अन्य कारण से मेलानिन बनना बंद हो जाता है, तो इस रोग के विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है.

विटिलिगो के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
ऑटो इम्यून रोग/ स्वप्रतिरक्षित रोग होना. जिसमें हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है. ऐसा होने पर कई बार शरीर में मेलेनोसाइटस सेल्स यानी मेलानिन बनाने वाली कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट होने लगती हैं जिससे त्वचा पर सफेद रंग के पैच बनने लगते हैं. इसे विटिलिगो के सबसे प्रचलित कारणों में से एक माना जाता है. आनुवंशिक कारण, यानी परिवार में पहले से किसी को यह बीमारी होने के चलते भी यह हो सकता है. हालांकि यह एक बेहद दुर्लभ कारण हैं. यानी ऐसा बहुत कम देखने में आता है. त्वचा पर कई बार तेज धूप के दुष्प्रभाव के कारण, उसके औद्योगिक रसायन के संपर्क में आने, किसी प्रकार की स्किन एलर्जी या एक्जिमा, सोरायसिस या टीनिया वर्सिकलर जैसे त्वचा रोगों के कारण या ऐसे किसी विकार के चलते जिसमें त्वचा में मेलेनिन कोशिकाएं नष्ट हो जाती हों, के चलते भी सफेद दाग की समस्या हो सकती हैं. शरीर में पोषण की कमी, आहार में लापरवाही, तनाव तथा शरीर में हानिकारक टॉक्सिन्स जमा होने के कारण भी त्वचा में यह समस्या नजर आ सकती हैं. डॉ भारती बताते हैं कि कारणों तथा विटिलिगो के प्रभाव के आधार पर इसके निम्नलिखित प्रकार माने गए हैं .

आम विटिलिगो (जनरलाइज्ड)
यह इस समस्या का सबसे आम प्रकार है. इसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर सफेद धब्बे या जिन्हे मैक्यूल भी कहा जाता है, नजर आने लगते हैं. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है तथा कभी भी विकसित हो सकता है. वहीं इसका विकास कभी भी अपने आप रुक भी सकता है.

सेगमेंटल विटिलिगो
इसमें शरीर के किसी एक विशेष हिस्से या सेगमेंट पर ही सफेद धब्बे बनते हैं . अधिकतर मामलों में यह शुरुआत के एक से दो साल साल तक त्वचा पर फैलता है लेकिन उसके बाद यह अपने आप ही बढ़ना रुक जाता है.

म्यूकोसल विटिलिगो
इसमें शरीर के ऐसे हिस्सों पर जहां म्यूकस मेम्ब्रेन होती है, सफेद दाग बनने लगते हैं.

फोकल तथा यूनिवर्सल विटिलिगो
ये दोनों ही विटिलिगो के दुर्लभ प्रकार माने जाते हैं. इनके मामले अपेक्षाकृत काफी कम संख्या में नजर आते है. फोकल विटिलिगो में जहां शरीर के कुछ ख़ास हिस्सों में त्वचा पर छोटे-छोटे सफेद पैच बनते हैं, जो आकार में हमेशा छोटे ही रहते हैं और ज्यादा बढ़ते नहीं हैं, वहीं यूनिवर्सल विटिलिगो में शरीर के लगभग 80 % हिस्से में सफेद दाग नजर आते हैं. जो त्वचा के लगभग सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकते है.

एक्रोफेशियल विटिलिगो
इस अवस्था में चेहरे, हाथों और पैरों में सफेद धब्बे होने लगते है.

उपचार तथा सावधानियां
डॉ भारती बताते हैं कि विटिलिगो का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता हैं जैसे समस्या का कारण, उसका प्रकार व प्रभाव , पीड़ित की शारीरिक स्थिति (उसे किसी प्रकार का कोई अन्य रोग व समस्या तो नहीं है! ) तथा उसकी आयु आदि. उन्ही के आधार पर दवाओं, डिपिगमेंटेशन थेरेपी, लाइट थेरेपी तथा स्किन ग्राफ्टिंग आदि तकनीकों से इस समस्या का इलाज किया जाता है. तथा सही समय पर सही इलाज से बड़ी संख्या में इस समस्या में राहत मिल जाती है. इसके अलावा इलाज के साथ पीड़ित को उसकी जीवनशैली तथा खानपान को सुधारने की सलाह भी दी जाती है.

वह बताते हैं कि त्वचा रोग या विकार के कारण होने वाले विटिलिगो में कई बार प्रभावित स्थान की त्वचा काफी संवेदनशील हो जाती है, जैसे वहां खुजली ज्यादा हो सकती है या धूप की तेजी ज्यादा महसूस होती है. ऐसे में कभी-कभी प्रभावित स्थानों पर किसी प्रकार की क्रीम, मेकअप उत्पाद, स्किन केयर उत्पाद या स्प्रे आदि का इस्तेमाल परेशानी का कारण बन सकता है. इसलिए इन स्थानों पर किसी भी उत्पाद के इस्तेमाल से पहले तमाम सावधानियों, एलर्जी, उनमें रसायन की मात्रा आदि के बारें में जानना जरूरी है. जो उत्पाद इस प्रकार की संवेदनशील त्वचा को नुकसान ना पहुंचाए, उसका उपयोग करना ही बेहतर होता है. लेकिन सबसे पहले जरूरी है कि चिकित्सक से परामर्श ले लिए जाय कि वे प्रभावित स्थान पर किस प्रकार के उत्पाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही बहुत जरूरी है कि किसी से देख सुन कर किसी भी दवा या क्रीम का इस्तेमाल ना किया जाय . क्योंकि इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है. वह बताते हैं कि कुछ विशेष परिस्थितियों में पीड़ितों को खानपान में कुछ विशेष प्रकार के आहार से परहेज की बात भी कही जाती है. वह बताते हैं कि बहुत जरूरी है कि शरीर में किसी भी हिस्से की त्वचा पर सफेद दाग दिखने शुरू होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लिया जाय .

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