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जानलेवा हो सकता है रेबीज संक्रमण - उग्र रेबीज

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग डेढ़ सौ देशों में हर साल 59 हजार लोग रेबीज के चलते अपनी जान गवां देते हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 95 प्रतिशत मामले एशिया तथा अफ्रीकी देशों से आते हैं. इसलिए विषाणु जनित संक्रमण रेबीज के कारणों और रोकथाम के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को 'विश्व रेबीज दिवस' मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व रेबीज दिवस 2020 'रेबीज का खात्मा, सहयोग व टीकाकरण' की थीम पर मनाया जा रहा है.

world rabies day
विश्व रेबीज दिवस
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Published : Sep 28, 2020, 11:26 AM IST

किसी भी रेबीज ग्रस्त जानवर के काटने से इंसानों तथा जानवरों में रेबीज जैसा खतरनाक संक्रमण फैल सकता है. आमतौर पर लोगों में यह धारणा होती है कि सिर्फ कुत्ते के काटने पर ही रेबीज होता है, जबकि यह गलत है. कोई भी जानवर जो रेबीज से संक्रमित हो दूसरे जीवों में संक्रमण फैला सकता है. दरअसल रेबीज संक्रमण के नाम से लोग वाकिफ तो है, लेकिन यह बीमारी होती कैसे हैं? किन जानवरों के काटने से होती है, और उसके काटने पर क्या असर होता है? इस बारे में लोगों में जागरूकता नहीं है. रेबीज के कारणों और रोकथाम के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को 'विश्व रेबीज दिवस' मनाया जाता है.

क्या है रेबीज

रोग नियंत्रण तथा बचाव विभाग (सीडीसी) के अनुसार रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है. रेबीज विषाणु जनित जानवर के काटने या उसके नाखून की खरोच लगने के कारण फैलता है. रेबीज वायरस इंसानों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इस संक्रमण के कारण रोगी की अवस्था ज्यादा खराब होने पर उसकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है.

रेबीज को लेकर लोगों में भ्रम है कि यह सिर्फ कुत्तों के काटने से होता है, जबकि यह सत्य नहीं है. रेबीज के विषाणु कुत्तों के अलावा किसी भी जंगली तथा पालतू जानवर में भी पनप सकता हैं. जैसे यूनाइटेड स्टेट्स में रेबीज के विषाणु सबसे ज्यादा चमगादड़, लोमड़ी, रकून और अन्य जंगली जानवरों के काटने पर फैलता है. हालांकि दुनिया भर में रेबीज के सबसे अधिक मामले कुत्तों के काटने के चलते ही सामने आते हैं.

रेबीज के दो प्रकार माने गए हैं;

उग्र रेबीज

पैरालिटिक रेबीज

  1. उग्र रेबीज : इसमें संक्रमित लोग अति सक्रिय उत्साहित अनियमित व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं.
  2. पैरालिटिक रेबीज : इसमें रेबीज के गंभीर लक्षण नजर आते हैं, जैसे संक्रमित व्यक्ति का अपंग हो जाना, कोमा में चले जाना आदि. इस अवस्था में कई बार व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार रेबीज के 30 प्रतिशत मामले पैरालिटिक रेबीज वाले होते हैं.

विश्व रेबीज दिवस 2020

ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज की पहल पर वर्ष 2007 में सबसे पहली बार विश्व रेबीज दिवस मनाया गया था. इस विशेष दिवस को रेबीज के लिए सबसे पहले टीके का आविष्कार करने वाले फ्रांसीसी केमिस्ट तथा माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स लुई पाश्चर की मृत्यु की वर्षगांठ पर 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. हर साल इस विशेष दिवस को अलग-अलग थीम यानि विषय पर आयोजित किया जाता है. विश्व रेबीज दिवस की इस वर्ष की थीम 'रेबीज का खात्मा, सहयोग व टीकाकरण' है.

इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक रेबीज के पीड़ित व्यक्तियों की मृत्यु दर में कमी लाना है. डब्ल्यूएचओ के अतिरिक्त ग्लोबल एलाइंस फॉर रेबीज संस्था के अलावा भी कई सरकारी तथा निजी संस्थाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के आयोजन तथा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

रेबीज के कारण

जानकारों के अनुसार गर्म खून वाले जीवों चाहे वह मनुष्य हो या कोई अन्य जानवर को जब कोई रेबीज संक्रमित जानवर काटता है, तो उसके लार के माध्यम से यह वायरस फैल जाता है. यही नहीं यदि आपको पहले से कोई गहरा घाव है और उस जगह को कोई ऐसा जानवर चाटता है, जिसमें रेबीज का संक्रमण हो, इस अवस्था में भी रेबीज फैल सकता है. यह संक्रमण सिर्फ कुत्तों से ही नहीं बल्कि बिल्ली, गाय, नेवले, बकरी, घोड़े, चमगादड़, ऊंठ, लोमड़ी, बंदर, जंगली नेवले या गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से भी फैल सकता है.

रेबीज के लक्षण

रेबीज नियंत्रण हेतु वैश्विक संगठन जीएआरसी के अनुसार रेबीज के सामान्य लक्षणों में बुखार, सर दर्द, उल्टी आना, व्याकुलता महसूस करना, चिंता, अति सक्रियता, भोजन को निगलने में कठिनाई, पानी से डर लगना, नींद ना आना या पक्षाघात जैसे लक्षण शामिल है.

रेबीज से बचाव

जानवरों के लिए

  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं, जिसमें रेबीज का टीका अवश्य लगवाएं.
  • पालतू जानवरों को सड़क पर रहने वाले जानवरों से बचा कर रखें.
  • घर के आसपास रहने वाले पालतू या सड़क पर रहने वाले जानवरों के व्यवहार में यदि आपको कुछ अंतर नजर आए या फिर आप खतरा महसूस करें, तो तुरंत अपने आसपास के स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को सूचित करें.
  • अपने पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करवाते रहें.

मनुष्यों के लिए

  • जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें.
  • किसी भी जानवर के काटने, खेल-खेल में उसके दांत लगने या उसके नाखून से त्वचा पर खरोच आने पर पहले उस स्थान को अच्छे से साबुन से धोएं और तुरंत जाकर चिकित्सक से रेबीज का टीका लगवाएं.

रेबीज संक्रमित से दूसरा व्यक्ति को खतरा

जीएआरसी के अनुसार संक्रमित व्यक्ति की लार यदि किसी दूसरे व्यक्ति के घाव पर लग जाती है, तो उसमें भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है. इसके अतिरिक्त यदि संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित करता है, तो उस अवस्था में भी का संक्रमण फैलने का खतरा रहता है. सामान्य अवस्था में यदि संक्रमित व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को छूता है, तो उससे संक्रमण फैलने का कोई खतरा नहीं होता है. इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाना खाने, उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए जूठे बर्तन में खाना खाने तथा उनकी जूठी सिगरेट पीने से भी यह रोग फैल सकता है.

किसी भी रेबीज ग्रस्त जानवर के काटने से इंसानों तथा जानवरों में रेबीज जैसा खतरनाक संक्रमण फैल सकता है. आमतौर पर लोगों में यह धारणा होती है कि सिर्फ कुत्ते के काटने पर ही रेबीज होता है, जबकि यह गलत है. कोई भी जानवर जो रेबीज से संक्रमित हो दूसरे जीवों में संक्रमण फैला सकता है. दरअसल रेबीज संक्रमण के नाम से लोग वाकिफ तो है, लेकिन यह बीमारी होती कैसे हैं? किन जानवरों के काटने से होती है, और उसके काटने पर क्या असर होता है? इस बारे में लोगों में जागरूकता नहीं है. रेबीज के कारणों और रोकथाम के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को 'विश्व रेबीज दिवस' मनाया जाता है.

क्या है रेबीज

रोग नियंत्रण तथा बचाव विभाग (सीडीसी) के अनुसार रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है. रेबीज विषाणु जनित जानवर के काटने या उसके नाखून की खरोच लगने के कारण फैलता है. रेबीज वायरस इंसानों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इस संक्रमण के कारण रोगी की अवस्था ज्यादा खराब होने पर उसकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है.

रेबीज को लेकर लोगों में भ्रम है कि यह सिर्फ कुत्तों के काटने से होता है, जबकि यह सत्य नहीं है. रेबीज के विषाणु कुत्तों के अलावा किसी भी जंगली तथा पालतू जानवर में भी पनप सकता हैं. जैसे यूनाइटेड स्टेट्स में रेबीज के विषाणु सबसे ज्यादा चमगादड़, लोमड़ी, रकून और अन्य जंगली जानवरों के काटने पर फैलता है. हालांकि दुनिया भर में रेबीज के सबसे अधिक मामले कुत्तों के काटने के चलते ही सामने आते हैं.

रेबीज के दो प्रकार माने गए हैं;

उग्र रेबीज

पैरालिटिक रेबीज

  1. उग्र रेबीज : इसमें संक्रमित लोग अति सक्रिय उत्साहित अनियमित व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं.
  2. पैरालिटिक रेबीज : इसमें रेबीज के गंभीर लक्षण नजर आते हैं, जैसे संक्रमित व्यक्ति का अपंग हो जाना, कोमा में चले जाना आदि. इस अवस्था में कई बार व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार रेबीज के 30 प्रतिशत मामले पैरालिटिक रेबीज वाले होते हैं.

विश्व रेबीज दिवस 2020

ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज की पहल पर वर्ष 2007 में सबसे पहली बार विश्व रेबीज दिवस मनाया गया था. इस विशेष दिवस को रेबीज के लिए सबसे पहले टीके का आविष्कार करने वाले फ्रांसीसी केमिस्ट तथा माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स लुई पाश्चर की मृत्यु की वर्षगांठ पर 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. हर साल इस विशेष दिवस को अलग-अलग थीम यानि विषय पर आयोजित किया जाता है. विश्व रेबीज दिवस की इस वर्ष की थीम 'रेबीज का खात्मा, सहयोग व टीकाकरण' है.

इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक रेबीज के पीड़ित व्यक्तियों की मृत्यु दर में कमी लाना है. डब्ल्यूएचओ के अतिरिक्त ग्लोबल एलाइंस फॉर रेबीज संस्था के अलावा भी कई सरकारी तथा निजी संस्थाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के आयोजन तथा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

रेबीज के कारण

जानकारों के अनुसार गर्म खून वाले जीवों चाहे वह मनुष्य हो या कोई अन्य जानवर को जब कोई रेबीज संक्रमित जानवर काटता है, तो उसके लार के माध्यम से यह वायरस फैल जाता है. यही नहीं यदि आपको पहले से कोई गहरा घाव है और उस जगह को कोई ऐसा जानवर चाटता है, जिसमें रेबीज का संक्रमण हो, इस अवस्था में भी रेबीज फैल सकता है. यह संक्रमण सिर्फ कुत्तों से ही नहीं बल्कि बिल्ली, गाय, नेवले, बकरी, घोड़े, चमगादड़, ऊंठ, लोमड़ी, बंदर, जंगली नेवले या गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से भी फैल सकता है.

रेबीज के लक्षण

रेबीज नियंत्रण हेतु वैश्विक संगठन जीएआरसी के अनुसार रेबीज के सामान्य लक्षणों में बुखार, सर दर्द, उल्टी आना, व्याकुलता महसूस करना, चिंता, अति सक्रियता, भोजन को निगलने में कठिनाई, पानी से डर लगना, नींद ना आना या पक्षाघात जैसे लक्षण शामिल है.

रेबीज से बचाव

जानवरों के लिए

  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं, जिसमें रेबीज का टीका अवश्य लगवाएं.
  • पालतू जानवरों को सड़क पर रहने वाले जानवरों से बचा कर रखें.
  • घर के आसपास रहने वाले पालतू या सड़क पर रहने वाले जानवरों के व्यवहार में यदि आपको कुछ अंतर नजर आए या फिर आप खतरा महसूस करें, तो तुरंत अपने आसपास के स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को सूचित करें.
  • अपने पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करवाते रहें.

मनुष्यों के लिए

  • जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें.
  • किसी भी जानवर के काटने, खेल-खेल में उसके दांत लगने या उसके नाखून से त्वचा पर खरोच आने पर पहले उस स्थान को अच्छे से साबुन से धोएं और तुरंत जाकर चिकित्सक से रेबीज का टीका लगवाएं.

रेबीज संक्रमित से दूसरा व्यक्ति को खतरा

जीएआरसी के अनुसार संक्रमित व्यक्ति की लार यदि किसी दूसरे व्यक्ति के घाव पर लग जाती है, तो उसमें भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है. इसके अतिरिक्त यदि संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित करता है, तो उस अवस्था में भी का संक्रमण फैलने का खतरा रहता है. सामान्य अवस्था में यदि संक्रमित व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को छूता है, तो उससे संक्रमण फैलने का कोई खतरा नहीं होता है. इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाना खाने, उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए जूठे बर्तन में खाना खाने तथा उनकी जूठी सिगरेट पीने से भी यह रोग फैल सकता है.

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