पुरुषों की पौरुष ग्रंथि यानी प्रोस्टेट में होने वाला सबसे प्रचलित और आम कैंसर है, प्रोस्टेट कैंसर. उम्र दराज लोगों में सबसे अधिक पाई जाने वाली इस बीमारी को अनुवांशिक बीमारी भी माना जाता है. समय पर पता चल जाने से इस बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर पीड़ित को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हालांकि प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में काफी आम है, लेकिन बावजूद इसके लोगों में इसे लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. प्रोस्टेट कैंसर क्या है? क्यों होता है? तथा कैसे इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. इस बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर दीपक गर्ग से बात की.
क्या हैं प्रोस्टेट
डॉक्टर दीपक गर्ग बताते हैं की प्रोस्टेट एक छोटी अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है, जो मुख्य रूप से पुरूष के यूरिनरी ब्लैडर के पेनिस के बीच में मौजूद होती है. इस ग्रंथि को पौरुष ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका प्रमुख कार्य ऐसे वीर्य का निर्माण करना है, जिसमें स्पर्म मौजूद होता है.
क्या है प्रोस्टेट कैंसर
डॉ. गर्ग बताते हैं की प्रोस्टेट कैंसर को आमतौर पर अनुवांशिक बीमारी माना जाता है. प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य, घातक वृद्धि से ट्यूमर बन जाता है, इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है. इस कैंसर के लक्षण आमतौर पर पुरुषों में 40 साल की उम्र के बाद ही नजर आते हैं. 40 के बाद जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ने लगती है, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने का रिस्क भी बढ़ता रहता है. डॉ. गर्ग बताते हैं कि उनके पास आने वाले 80 साल की उम्र वाले मरीजों में 10 में से 8 मरीजों को प्रॉस्टेट कैंसर होता है, वहीं 70 से ज्यादा उम्र वाले पुरुषों में यह आंकड़ा 10 में से 4 मरीजों का होता है.
डॉ. गर्ग बताते हैं कि यदि समय पर प्रोस्टेट कैंसर का पता चल जाए, तो दवाइयों और उपचार की मदद से इस बीमारी के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है. पीड़ित की उम्र तथा उसका स्वास्थ्य उसके उपचार में सबसे महत्वपूर्ण कारक होते है. यदि किसी रोगी का स्वास्थ्य काफी अच्छा है, तो वह लंबे समय तक इस बीमारी से लड़ सकता है, चाहे उसकी उम्र ज्यादा ही क्यों ना हो. वहीं यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर है, साथ ही वह अन्य कोमोरबिड बीमारियां जैसे हृदय रोग, मधुमेह या उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का शिकार है, ऐसी अवस्था में प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारी उसकी जान पर भारी भी पड़ सकती है.
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
डॉ. गर्ग बताते हैं की अलग-अलग लोगों में कैंसर के अलग-अलग लक्षण पाए जाते है. ऐसे लोग जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा हो और यदि 40 वर्ष के बाद उनमें निम्नलिखित लक्षण नजर आने लगे, तो उन्हें तुरंत कैंसर के लिए जांच करानी चाहिए.
⦁ मूत्र त्याग शुरू करने में परेशानी
⦁ मूत्र का प्रवाह बाधित होना
⦁ बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में
⦁ मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में कठिनाई
⦁ मूत्र त्याग करने में दर्द या जलन महसूस होना
⦁ मूत्र या वीर्य में खून आना
⦁ स्खलन में दर्द
प्रोस्टेट कैंसर का परीक्षण
डॉक्टर गर्ग बताते हैं की प्रोस्टेट कैंसर की जांच शारीरिक परीक्षण, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है, जो इस प्रकार हैं;
1. डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE): यह प्रोस्टेट की जांच करने के लिए एक सामान्य टेस्ट है. प्रोस्टेट एक अंदरूनी अंग है, इसलिए इसे सीधा नहीं देखा जा सकता. ऐसा करने के लिए डॉक्टर मलाशय की जांच करते हैं कि कहीं कोई ठोस गांठें तो नहीं महसूस हो रही.
2. प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA): पीएसए प्रोस्टेट में बनने वाला एक प्रोटीन है. जिसकी जांच रक्त परीक्षण द्वारा की जाती है.
3. प्रोस्टेट बायोप्सी : बायोप्सी के लिए प्रोस्टेट का एक छोटा हिस्सा निकाला जाता है और उसकी जांच की जाती है. अगर आपकी प्रोस्टेट बायोप्सी की गयी है तो, आपको एक ग्लीसन स्कोर दिया जाता है. स्कोर से यह पता चलता है कि पैथोलॉजिस्ट ने प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को किस श्रेणी में रखा है.
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव
प्रोस्टेट कैंसर या किसी भी प्रकार की बीमारी के होने का खतरा उस समय कम हो जाता है, जब हम स्वस्थ आहार ग्रहण करते हैं. साथ ही एक स्वस्थ तथा अनुशासित जीवन जीते हैं. एक अच्छे और निरोगी जीवन के लिए जिन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, वह इस प्रकार हैं;
- स्वस्थ आहार खाएं : जहां तक संभव हो ताजा बना हुआ पौष्टिक तथा सुपाच्य भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिसमें ज्यादा से ज्यादा फल तथा सब्जियां शामिल हो. फलों और सब्जियों में कई विटामिन और खनिज मिलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं. जहां तक हो सके वसायुक्त भोजन तथा तेज मिर्च मसाले वाले भोजन से बचना चाहिए.
- व्यायाम करें : अपनी नियमित दिनचर्या में व्यायाम को शामिल कर ना सिर्फ प्रोस्टेट कैंसर बल्कि बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है. व्यायाम ना सिर्फ हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ भी बनाए रखते हैं. ऐसा पाया गया है कि जो पुरुष व्यायाम नहीं करते है, उनका पीएसए लेवल ज्यादा होता है, जिससे उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. जबकि जो पुरुष व्यायाम करते हैं, उनमें इसका कम जोखिम रहता है.