दीपावली का पांच दिवसीय (Diwali 2022) त्यौहार कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. वहीं देश के ऐसे हिस्सों में जहां ठंड पड़ती है गुलाबी ठंड शुरू होने लगी है. एक तो पहले से ही मौसम में परिवर्तन का यह काल उन लोगों पर भारी रहता जो श्वास संबंधी किसी बीमारी या एलर्जी का शिकार होते हैं. उस पर खास दिवाली का दिन, पटाखों के कारण उत्पन्न प्रदूषण, ना सिर्फ अस्थमा या संबधित एलर्जी से पीड़ित लोगों बल्कि आम लोगों कि मुश्किले बढ़ा देता है. विशेषतौर पर कोविड का गंभीर संक्रमण झेल चुके तथा वर्तमान में भी उसके कारण परेशानियाँ झेल रहें लोगों में इस अवसर पर परेशानी ज्यादा बढ़ने का खतरा है. Dipawali 2022 . Dipawali health precautions in diwali asthma patient care in Diwali . Health precautions in diwali
पिछले दो ढाई सालों से कोविड के साएं में रहने को मजबूर लोगों ने इस वर्ष लगभग सभी त्यौहार दोगुने उत्साह से मनाए हैं. लेकिन उनमें दीपावली का उत्साह और भी ज्यादा नजर आ रहा है. मान्यता है कि दिवाली का त्यौहार अपने साथ खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आता है. लेकिन कुछ लोगों के स्वास्थ्य पर यह त्यौहार भारी भी पड़ता है. दिवाली तक मौसम में ठंड का आगमन होने लगता है. जिसके चलते श्वास संबंधी (Respiratory diseases) बीमारियों के मरीज या मौसमी संक्रमण (Seasonal infections) को लेकर ज्यादा संवेदनशील लोगों से बीमार पड़ने या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बढ़ने कि आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में दिवाली के अवसर पर पटाखों के कारण बढ़ने वाला प्रदूषण (Firecrackers pollution) इस समस्यों को और भी ज्यादा बढ़ा देता है.
विशेष ध्यान रखने की जरूरत : इस बार चिंता कि बात यह है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कोविड के दौरान उत्पन्न हुई शारीरिक समस्याओं से पूरी तरह से उबरा नहीं है और अभी भी रिकवरी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में ठंड, प्रदूषण, त्यौहारी खानपान तथा सेहत लेकर अनदेखी उनकी सेहत पर ज्यादा भारी ना पड़ जाए, इसलिए अस्थमा व अन्य सांस संबंधी बीमारियों के साथ ऐसी अवस्था का सामना कर रहे लोगों को भी अपना विशेष ध्यान रखने कि जरूरत है.
क्यों बढ़ती है समस्या
दिल्ली के जनरल फिजीशियन डॉ आलोक कुमार (Dr Alok Kumar General Physician) बताते हैं कि एक तो वैसे ही देश में प्रदूषण काफी बढ़ गया है. उस पर दिवाली में पटाखों के कारण यह और भी ज्यादा बढ़ जाता है. अस्थमा या सांस संबंधी रोगों के मरीजों में एलर्जी टेंडेंसी पायी जाती है यानी यह किसी आहार, मौसम, वातावरण या चीज से ट्रिगर हो सकती है. ऐसे में जब प्रदूषण के कण सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंचते हैं तो एलर्जी को ट्रिगर करते हैं और लंग्स में कंजेशन और बलगम को बढ़ाने लगते हैं. जिससे मरीज में सांस लेने में समस्या, सांस फूलने, खांसी तथा कफ जैसी समस्या बढ़ने लगती है. समस्या बढ़ने पर कई बार पीड़ित (Breathing problem, shortness of breath, cough and phlegm) को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत भी आ सकती है. इस तरह के अटैक खतरनाक हो सकते हैं जिनमें कभी-कभी मरीज की जान भी जा सकती है.
अन्य समस्या
अस्थमा के अलावा दिवाली के आसपास फेफड़े के फाइब्रोसिस, एलर्जिक राइनाइटिस और ब्रोंकाइटिस (Lung fibrosis, allergic rhinitis and bronchitis diseases) रोगों के पीड़ित लोगों की समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. वहीं त्यौहार के बाद मौसम के प्रभाव तथा खानपान में असंतुलन भी लोगों में गला या पेट खराब होने तथा सर्दी, जुकाम, बुखार तथा कुछ त्वचा संबंधी (Cold, cold, fever skin problems) समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
कोविड से ठीक हुए लोग ज्यादा संवेदनशीलवह बताते हैं कि बहुत से लोग जिन्होंने कोरोना संक्रमण के कारण लंग्स में ज्यादा क्षति तथा अन्य परेशानियां झेली थी और जो फिलहाल रिकवरी के दौर में हैं लेकिन फिर भी कई संबंधित परेशानियों को झेल रहें है, उनके लिए भी ठंड और पटाखों जनित प्रदूषण काफी नुकसानदायक हो सकता है. दरअसल इस अवस्था का सामना करने वाले बहुत से लोगों के लंग्स अभी भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हुए हैं. वहीं कोरोना के पार्श्व प्रभाव के रूप में उन्हे और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
कैसे रखें ध्यान (How to care इन Diwali)
Dr Alok बताते हैं कि वैसे तो ऐसे लोग जो इस तरह कि समस्याओं के गंभीर स्वरूप से पीड़ित है और ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहां प्रदूषण बहुत ज्यादा हैं, उनके लिए कुछ समय के ऐसे स्थान पर जाना जहां प्रदूषण का प्रभाव कम हो और जहां की हवा अपेक्षाकृत ज्यादा साफ हो वहां जाना बेहतर हो सकता है. लेकिन ऐसा सभी के लिए संभव नहीं है. इसलिए त्यौहार से पहले से तथा उत्सव की सभी गतिविधियों के दौरान ऐसे लोगों के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हैं. जिनमें से कुछ प्रकार हैं.
- चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयों का नियमित व निर्धारित समय पर सेवन करें. विशेषतौर पर अस्थमा रोगी को अपना इनहेलर हमेशा अपने पास रखें और ऐसी चीजों के संपर्क में जाने से तथा ऐसी चीजों को खाने से परहेज करें जो उनकी एलर्जी को ट्रिगर कर सकती है. हाइजीन
- आहार का ध्यान रखें. ज्यादा तले-मसालेदार, तीखे, मीठे, प्रोसेस्ड तथा आर्टिफ़िशियल रंगों से तैयार मिठाइयों तथा आहार के सेवन से बचें. इसके अलावा ठंडे कोल्डड्रिंक या अन्य ठंडे पेय पदार्थ, फ्रिज में रखे ठंडे आहार या ठंडी तासीर वाले आहार से सेवन से परहेज करें. वहीं इसकी बजाय हल्का गरम पानी थोड़ी थोड़ी देर में पीते रहें . गरम पेय पदार्थों का सेवन भी अच्छा रहता है, लेकिन सीमा में. भोजन भी गरम और ताजा ही खाएं.
- जहां तक संभव हो घर से बाहर निकलने से बचे, लेकिन यदि निकलना जरूरी हो तो मुंह पर मास्क लगा कर ही निकलें. ज्यादा संवेदनशील या एलर्जिक लोगों के लिए बाहर जाते समय N95 मास्क पहनना ज्यादा उपयोगी होता है. वहीं सामान्य परिस्थितीयों में भी कपड़े या सामान्य मास्क पहनने से शरीर में प्रदूषण के कणों के प्रवेश को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.
- स्टीम लेने और गर्म पानी से गरारे करने से भी काफी लाभ मिल सकता है. दरअसल अस्थमा तथा फेफड़ों व श्वास संबंधी कई समस्याओं में बलगम गाढ़ा होने लगता है और समस्याओं का कारण बन सकता है. गर्म पानी की भाप ऐसे में बलगम को ढीला करने तथा साफ करने में मदद करती है. भांप के अलावा गर्म पानी की बोतल से सीने और पीठ की सिकाई से भी फायदा मिलता है.
- हाइजीन व साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा थोड़े-थोड़े समय के बाद हाथों को धोते रहें. लेकिन एलर्जी, अस्थमा या श्वास संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को स्वयं घर की सफाई करने विशेषकर ज्यादा धूल वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए. यह अटैक का कारण बन सकता है.
अस्थमा का दौरा आने पर क्या करें (When asthma attack)
Dr Alok बताते हैं कि तमाम सावधानियों के बावजूद यदि सांस ज्यादा फूल रही हो तथा लगातार खांसी, सांस लेने में परेशानी, सीने में भारीपन हो रहा हो, साथ ही आंख व नाक से पानी बह रहा हो, तो चिकित्सक को जरूर दिखाएं. वहीं यदि किसी व्यक्ति को अस्थमा का दौरा पड़ रहा है तो कुछ बातों को ध्यान में रखें. जैसे
- उसे सीधा व शांत बैठने के लिए तथा धीमे-धीमे लंबी व गहरी सांस लेने की कोशिश करने के लिए कहें. सीधे बैठने से सांस की नली खुलती है.
- Inhaler का इस्तेमाल करें और हर 30 से 60 सेकंड में 10 पफ तक लें. यदि इसके बाद भी आराम ना मिले तो बिना समय गवाएं तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें और मरीज को अस्पताल ले जाएं.
दशहरा के बाद से ही हवा में नरमी आ जाती है और हवा गर्मी की तुलना में अधिक प्रदूषित होने लगती है. ऐसे में मास्क ट्रिपल सुरक्षा देता है. मास्क आपको धूल, धुआं और कोविड संक्रमण से बचाता है. साथ ही अगर आप कोरोना की पहली या दूसरी लहर में कोविड पॉजिटिव रह चुके हैं तो इस दीपावली पर सावधान रहें. ऐसे लोग जो मधुमेह, रक्तचाप या ह्रदयरोग से भी पीड़ित है उनके लिए समस्याएं और भी ज्यादा जटिल हो सकती हैं. ऐसे में पोस्ट कोविड स्टेज (Post covid stage) का सामना कर रहे लोगों को भी अस्थमा या अन्य सांस की बीमारी वाले मरीजों की भांति अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है.