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जच्चा-बच्चा दोनों के लिए जरूरी है खानपान में परहेज: स्तनपान सप्ताह विशेष - effect of mother's diet on child

बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान माता को अपने खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. इसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है. वहीं मां के दूध का उत्पादन भी उसके खानपान पर निर्भर करता है. इसलिए मांओं को बच्चे के जन्म के बाद खानपान में विभिन्न प्रकार का परहेज करना होता है.

world breastfeeding week
विश्व स्तनपान सप्ताह
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Published : Aug 5, 2020, 12:41 PM IST

बच्चे के जन्म के बाद कहा जाता है कि मां सिर्फ अपने लिए नहीं खाती हैं, बल्कि अपने बच्चे के लिए भी खाती है. क्योंकि जच्चा जिस भी तरह का भोजन ग्रहण करती है, उसका सीधा असर दूध के जरिए उसके बच्चे पर भी पड़ता है. दूध पिलाने वाली माताओं को क्या खाना चाहिए और कितनी मात्रा में खाना चाहिए, जिससे वह स्वस्थ रहें और उसके शरीर में दूध का निर्माण भी ज्यादा हो इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने डॉ. एएमडी आयुर्वेदिक महाविद्यालय में प्रवक्ता तथा एमडी आयुर्वेद डॉ. राज्य लक्ष्मी माधवम से बात की.

क्या खाएं जच्चा

डॉ. माधवम बताती हैं कि आयुर्वेद नई मां यानि जच्चा के भोजन में दूध, घी, मक्खन को शामिल करने पर जोर देती हैं. वे कहती हैं कि ये खाद्य पदार्थ महिलाओं में रस धातु का असर बढ़ाती हैं, जिससे मां के शरीर में ज्यादा दूध का निर्माण होता है. इसके अलावा मां का खाना हल्का व सुपाच्य होना चाहिए, जिससे शरीर में गैस, एसिडिटी या वात जैसी किसी तरह की व्याधि उत्पन्न न हो. मां के शरीर में होने वाली किसी भी परेशानी दूध के माध्यम से सीधे बच्चे के शरीर में पहुंचती हैं.

दूध पिलाने वाली माताओं को चाहिए की वे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी, नारियल पानी, फलों का जूस और दूध का सेवन करें. इसके अलावा गेहूं की रोटी के अलावा वह गेहूं का दलिया या ओटमील को भी अपने नियमित भोजन में शामिल कर सकती हैं. ये न सिर्फ पचाने में हल्का होता है, बल्कि शरीर में दूध निर्माण में भी सहायक होता है. इसके अलावा फल तथा सूखे मेवे भी नई मांओं के भोजन में शामिल करें. क्योंकि ये शरीर में पोषण को बढ़ाते हैं. वहीं तिल जोकि कैल्शियम से भरपूर होता है, इसका सेवन भी हर तरीके से मां तथा माता के दूध के माध्यम से बच्चों को काफी फायदा देता है और उनकी हड्डियों को मजबूत बनाता है.

जच्चा को अपने खाने में सौंफ, अजवाइन तथा मेथी दोने को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए. इसके अलावा मौसम अनुसार अदरक तथा काली मिर्च, जीरा, दालचीनी, सितारा फूल तथा जायफल जैसे हमारी रसोई में मिलने वाले मसालों का सही मात्रा में सेवन भी माता की रोग प्रति रोधक क्षमता को बढ़ाता है, हाजमे को ठीक रखता है तथा उसके शरीर में दूध का निर्माण बढ़ाता है.

क्या न खाएं

जच्चा के भोजन में मिर्च तथा तेल की मात्रा कम से कम होनी चाहिए. इसके अलावा खट्टे फल, पिज्जा, बर्गर सहित अन्य जंक फूड तथा बाजार का चटपटा खाना, ज्यादा तेज गर्म खाना, पुदिना जैसे पदार्थ जिसमें बहुत ज्यादा खुशबू हो, राजमा दाल, मूली, पत्ता गोभी, मूंगफली, ब्रोकली, शराब, तम्बाकू, चॉकलेट तथा कॉफी से दूर रहना चाहिए. ये सभी खाद्य पदार्थ बच्चे के शरीर में गैस तथा अन्य व्याधियां उत्पन्न कर सकते है.

डॉ. माधवम बताती हैं कि जिस समय मां अपने बच्चे को दूध पिला रही होती हैं, उस समय शरीर में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन निकलता है, जिसके फलस्वरूप माता को कई बार दूध पिलाते समय बहुत प्यास लगती है. ऐसे में महिलाओं को हो सके तो दूध पिलाने से पहले ही पानी पी लेना चाहिए. स्तनपान के दौरान ज्यादा प्यास लगने पर वह थोड़े अंतराल पर पानी पी सकती है.

बच्चे के जन्म के बाद कहा जाता है कि मां सिर्फ अपने लिए नहीं खाती हैं, बल्कि अपने बच्चे के लिए भी खाती है. क्योंकि जच्चा जिस भी तरह का भोजन ग्रहण करती है, उसका सीधा असर दूध के जरिए उसके बच्चे पर भी पड़ता है. दूध पिलाने वाली माताओं को क्या खाना चाहिए और कितनी मात्रा में खाना चाहिए, जिससे वह स्वस्थ रहें और उसके शरीर में दूध का निर्माण भी ज्यादा हो इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने डॉ. एएमडी आयुर्वेदिक महाविद्यालय में प्रवक्ता तथा एमडी आयुर्वेद डॉ. राज्य लक्ष्मी माधवम से बात की.

क्या खाएं जच्चा

डॉ. माधवम बताती हैं कि आयुर्वेद नई मां यानि जच्चा के भोजन में दूध, घी, मक्खन को शामिल करने पर जोर देती हैं. वे कहती हैं कि ये खाद्य पदार्थ महिलाओं में रस धातु का असर बढ़ाती हैं, जिससे मां के शरीर में ज्यादा दूध का निर्माण होता है. इसके अलावा मां का खाना हल्का व सुपाच्य होना चाहिए, जिससे शरीर में गैस, एसिडिटी या वात जैसी किसी तरह की व्याधि उत्पन्न न हो. मां के शरीर में होने वाली किसी भी परेशानी दूध के माध्यम से सीधे बच्चे के शरीर में पहुंचती हैं.

दूध पिलाने वाली माताओं को चाहिए की वे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी, नारियल पानी, फलों का जूस और दूध का सेवन करें. इसके अलावा गेहूं की रोटी के अलावा वह गेहूं का दलिया या ओटमील को भी अपने नियमित भोजन में शामिल कर सकती हैं. ये न सिर्फ पचाने में हल्का होता है, बल्कि शरीर में दूध निर्माण में भी सहायक होता है. इसके अलावा फल तथा सूखे मेवे भी नई मांओं के भोजन में शामिल करें. क्योंकि ये शरीर में पोषण को बढ़ाते हैं. वहीं तिल जोकि कैल्शियम से भरपूर होता है, इसका सेवन भी हर तरीके से मां तथा माता के दूध के माध्यम से बच्चों को काफी फायदा देता है और उनकी हड्डियों को मजबूत बनाता है.

जच्चा को अपने खाने में सौंफ, अजवाइन तथा मेथी दोने को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए. इसके अलावा मौसम अनुसार अदरक तथा काली मिर्च, जीरा, दालचीनी, सितारा फूल तथा जायफल जैसे हमारी रसोई में मिलने वाले मसालों का सही मात्रा में सेवन भी माता की रोग प्रति रोधक क्षमता को बढ़ाता है, हाजमे को ठीक रखता है तथा उसके शरीर में दूध का निर्माण बढ़ाता है.

क्या न खाएं

जच्चा के भोजन में मिर्च तथा तेल की मात्रा कम से कम होनी चाहिए. इसके अलावा खट्टे फल, पिज्जा, बर्गर सहित अन्य जंक फूड तथा बाजार का चटपटा खाना, ज्यादा तेज गर्म खाना, पुदिना जैसे पदार्थ जिसमें बहुत ज्यादा खुशबू हो, राजमा दाल, मूली, पत्ता गोभी, मूंगफली, ब्रोकली, शराब, तम्बाकू, चॉकलेट तथा कॉफी से दूर रहना चाहिए. ये सभी खाद्य पदार्थ बच्चे के शरीर में गैस तथा अन्य व्याधियां उत्पन्न कर सकते है.

डॉ. माधवम बताती हैं कि जिस समय मां अपने बच्चे को दूध पिला रही होती हैं, उस समय शरीर में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन निकलता है, जिसके फलस्वरूप माता को कई बार दूध पिलाते समय बहुत प्यास लगती है. ऐसे में महिलाओं को हो सके तो दूध पिलाने से पहले ही पानी पी लेना चाहिए. स्तनपान के दौरान ज्यादा प्यास लगने पर वह थोड़े अंतराल पर पानी पी सकती है.

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