दुनिया भर में अधिकांश बीमारियों के लिए कोई ना कोई वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी , पैरासाइट या किसी ना किसी तरह से किसी विषैले तत्व या रसायन के संपर्क में आने को जिम्मेदार माना जाता है. इनमें से कुछ रोग या संक्रमण आमतौर पर देखने सुनने में आते हैं जैसे चिकनगुनिया , डेंगू, रेबीज, कुष्ठ रोग या पेट के कीड़े आदि, लेकिन उन्ही कारणों से होने वाले कुछ संक्रमण या रोग ऐसे भी होते हैं जिनके बारें में आमजन को ज्यादा जानकारी नहीं होती है. इन कारणों से होने वाले संक्रमणों या रोगों को “नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज” की श्रेणी में रखा जाता है. दुनिया भर में Neglected Tropical Health Disease या "उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों " के बारे में जागरूकता फैलाने तथा उनके उपचार के क्षेत्र में प्रयास करने के लिए साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में 30 जनवरी को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल हेल्थ डिजीज दिवस मनाया जाता है.
क्या है कारण
गौरतलब है कि World Health Organization विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक स्तर पर 20 बीमारियों या संक्रमण को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज या एनटीडी श्रेणी में रखा जाता है. जिनमें से हमारे देश में 12 बीमारियों के पीड़ित काफी बढ़ी संख्या में देखने में आते हैं. दुनिया भर में इस श्रेणी के तहत आने वाले रोगों में से अधिकांश के मामले ज्यादातर गरीबी रेखा के आसपास जीवन बिता रही आबादी में ज्यादा देखने आते है. क्योंकि इनके फैलने के लिए सेनिटेशन से जुड़ी सुविधाओं या साफ-सफाई की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं की अनउपलब्धता, आहार व पानी की गड़बड़ी जैसे कारण जिम्मेदार माने जाते हैं. WHO के अनुसार दुनिया भर में विशेषकर एशिया तथा अफ्रीका में हर पांच में से एक व्यक्ति नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज या एनटीडी के किसी न किसी प्रकार का शिकार बनता ही है.
इतिहास तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की दस वर्षीय योजना
गौरतलब है की इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सर्वप्रथम वर्ष 2020 में Tropical countries ( उष्णकटिबंधीय देशों ) में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छ जल और साफ-सफाई के अभाव के कारण होने वाले विभिन्न रोगों तथा उनके कारण होने वाली समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से की गई थी . इसके लिए WHO द्वारा एक NTD roadmap भी बनाया गया था. जिसके तहत वर्ष 2030 तक आम जन विशेषकर गरीब जनता को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले 20 रोगों से बचाव तथा उपचार मुहैया कराने, उन्हें साफ व पीने योग्य पानी तथा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा स्वच्छ तथा स्वस्थ वातावरण देने के लिए प्रयास करने का उद्देश्य रखा गया था. इसके साथ ही इस रोड मैप में कुछ अन्य उद्देश्यों को भी शामिल किया गया था, जैसे..
- NTD diseases की चपेट में आने वालों की संख्या में 90% तक कमी लाने के लिए प्रयास. कम से कम 100 देशों में एनटीडी रोगों का पूर्ण निस्तारण .
- सभी देशों में ड्राकुनकुलियासिस यानी गिनिया कृमि से होने वाले रोग तथा जीर्ण संक्रमण याज से पूरी तरह से मुक्ति
- इस श्रेणी में आने वाले रोगों के कारण होने वाली विकलांगता के मामलों में कम से कम 75% तक कमी लाना.
प्रमुख नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल हेल्थ डिजीज : विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिन्हित नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल हेल्थ डिजीज श्रेणी में आने वाले रोगों में से कुछ प्रचलित रोग इस प्रकार हैं.
- डेंगू, चिकनगुनिया : डेंगू तथा चिकनगुनिया मच्छर के काटने पर वायरस के प्रभाव में आने के चलते होने वाले रोग है. जिनके कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गवां देते हैं.
- ड्राकुनकुलियासिस : यह गिनिया कृमि या पैरासाइट के कारण होता है . यह जीर्ण संक्रमण संक्रमित व अस्वच्छ पानी के उपयोग से फैलता है.
- कुष्ठरोग/हैन्सेन रोग : कुष्ठ रोग माइकोबैक्टेरियम लेप्री और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जीवाणुओं के कारण होने वाली एक दीर्घकालिक या क्रोनिक बीमारी है.
- चगास रोग : यह रोग ट्रायटोमिन नामक एक कीड़े के काटने पर होता है, जिसे किसिंग बग भी कहा जाता है. चगास रोग किसी को भी हो सकता है
- रेबीज : यह बीमारी रेबीज नामक विषाणु के कारण होती हैं जो आमतौर पर संक्रमित पशुओं विशेषकर कुत्तों के काटने से होती है.
- हाथीपांव / लिम्फेटिक फाइलेरिया : हाथीपांव नाम से प्रचलित यह रोग भी मच्छरों के काटने से होता है . इस रोग में हाथ, अंडकोष, स्तन तथा गुप्तांगों काफी ज्यादा सूजन आ जाती है.
- बुरुली अल्सर : इसे बार्न्सडेल अल्सर या सियरल्स अल्सर भी कहा जाता है. यह संक्रामक रोग माइक्रोबैक्टेरियम अलसेरांस के कारण होता है.
- एकाईनिकाकोसिस : एकाईनिकाकोसिस टेपवर्म पैरासाइट के कारण होने वाला गंभीर संक्रमण है. यह ज्यादातर कुत्तों तथा जंगली जानवरों से फैलता है.
- अफ्रीकी ट्रिपेनोसोमयासिस अथवा स्लीपिंग सिकनेस : यह रोग मनुष्यों तथा पशुओं में होने वाला परजीवी जन्य रोग है, जो परजीवियों की एक प्रजाति ट्रिपैनोसोमा ब्रूसे के कारण होता है. यह संक्रमित सीसी मक्खी के काटने से फैलता हैं.
- माइसीटोमा : माइसीटोमा या कवक गुल्म, फंगस या जीवाणु के कारण होता है. जो मुख्यतः हमारी त्वचा को प्रभावित करता है.
- आंकोसर्कायसिस : इसे रिवर ब्लाइंडनेस और रॉब्लेस व्याधि के नाम से भी जाना जाता है. यह बीमारी सिम्युलियम प्रजाति की ब्लैक फ्लाई के काटने पर परजीवी कृमि के फैलने के कारण होती है.
- सिस्टोसोमियासिस : इस रोग को बिल्हर्जिया, स्नेल फीवर और कत्यामा फीवर भी कहते हैं.
- उच्च मृदा-संचारित हेलमनिथेसिस : उच्च मृदा-संचारित हेलमनिथेसिस यानी एसटीएच परजीवी कृमि के कारण होने वाली बीमारी या संक्रमण है.
- ट्रैकोमा/ आंख में रोहे : ट्रेकोमा आंखों का एक रोग है जो ‘क्लामिड्या ट्रेकोमैटिस’ नामक बैक्टीरिया से संक्रमण की वजह से होती है. इसके कारण आंख के अंदर की त्वचा में खुरदरापन, आंखों में दर्द या कॉर्निया में क्षति या अंधापन भी हो सकती है.
- कालाजार/ लीशमनियासिस : यह धीरे-धीरे विकसित होने वाला एक रोग है जो एक कोशीय परजीवी या जीनस लिस्नमानिया से होता है. कालाजार के बाद डरमल लिस्नमानियासिस (पीकेडीएल) एक ऐसी स्थिति है जब लिस्नमानिया त्वचा कोशाणुओं में जाते हैं और वहां रहते हुए विकसित होते हैं। यह डरमल लिसियोन के रूप में तैयार होते हैं.
इसके अतिरिक्त सर्पदंश, फसीओलीएसीस, साइस्टीसिरोसिस, भोजन जनित ट्रीमेटोडीएसिस तथा न्यूरोसीसटीसिरोसिस तथा याव रोग सहित कुछ और भी रोग हैं जो एनटीडी श्रेणी में आते है.
बचाव तथा उपचार
चिकित्सकों की माने तो सही समय पर संक्रमण या रोग के लक्षणों के पकड़ में आने पर नेगलेक्टेड ट्रोपीकल हेल्थ डिजीज के तहत आने वाले लगभग सभी रोगों का पूर्ण इलाज संभव है. लेकिन इस श्रेणी के तहत आने वाले रोगों से बचने के लिए बहुत जरूरी है की पानी व आहार के साथ-साथ वातावरणीय तथा अपने आसपास की साफ-सफाई व स्वच्छता का ध्यान रखा जाए.
Leprosy : 'कलंक' नहीं सिर्फ एक बीमारी है, जानिए अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस से जुड़ी जरूरी बातें