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एक रोग नही विभिन्न समस्याओं का समूह है मेटाबॉलिक सिंड्रोम

मेटाबॉलिक सिंड्रोम सिर्फ एक रोग का नाम नही है बल्कि यह शब्द उस अवस्था के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है, जब व्यक्ति में एक साथ जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह , मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल की समस्या नजर आती है. आइए जानते हैं की मेटाबोलिज़्म का स्वस्थ होना क्यों हैं जरूरी तथा क्या व क्यों होता है मेटाबॉलिक सिंड्रोम.

एक रोग नही विभिन्न समस्याओं का समूह है मेटाबॉलिक सिंड्रोम, Metabolic Syndrome A cluster of chronic diseases, what are the symptoms of Metabolic Syndrome, why is a healthy lifestyle important, tips for a healthy life
एक रोग नही विभिन्न समस्याओं का समूह है मेटाबॉलिक सिंड्रोम
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Published : Feb 3, 2022, 11:45 AM IST

स्वस्थ्य मेटाबोलिज़्म की जरूरत को लेकर पिछले कुछ समय में विशेषकर कोरोना काल में लोगों में काफी जागरूकता आई है. लेकिन मेटाबोलिज़्म की अस्वस्थता के कारण होने वाली समस्याओं या फिर उसके चलते होने वाली अवस्थाओं को लेकर अब भी लोगों में ज्यादा जानकारी नही है. ऐसी ही एक अवस्था है मेटाबॉलिक सिंड्रोम जिसके बारें में ज्यादा जानकारी ना होने के चलते अधिकांश लोगों में इसे लेकर काफी भ्रम रहते हैं. लोगों को लगता है कि यह एक बीमारी है जबकि सत्य यह है की मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोई एक बीमारी नहीं बल्कि एक ऐसी अवस्था है जिसमें उच्च रक्तचाप , मधुमेह , मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल अपनी उच्च अवस्था में एक साथ स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगते हैं. जिससे पीड़ितों में ह्रदय रोग तथा स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बारें में विस्तार से जानने से पहले यह जानना जरूरी है मेटाबोलिक स्वास्थ्य क्या होता है तथा यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

मेटाबोलिज़्म यानी चयापचय

मेटाबोलिज़्म के बारे में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए हरियाणा के जनरल फिजीशियन डॉ विवेक काला बताते हैं कि हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं उससे हमारे शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है. चयापचय या मेटाबोलिज्म हमारे शरीर की वह प्रणाली है जो भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करती है. जिसके चलते न सिर्फ हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है, फेफड़ों से शरीर की सभी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुँचती है, शरीर के सभी अंगों को पोषण मिलता है तथा शरीर की अस्थि मज्जा में सफेद श्वेत रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है. हमारे शरीर में हार्मोन और तंत्रिका तंत्र हमारे चयापचय को नियंत्रित करते हैं. जब हम भोजन करते हैं तो हमारी आंतों में पाचन एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को एक ऐसे रूप में तोड़ देते हैं जिसका उपयोग शरीर के विकास तथा उसकी ऊर्जा के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया में दो गतिविधियां एक ही समय में होती हैं. पहली शरीर के ऊतकों का निर्माण तथा दूसरी शरीर में ऊर्जा का भंडारण. यदि व्यक्ति का मेटाबोलिज़्म ज्यादा बेहतर है तो वह ज्यादा ऊर्जावान तथा सक्रिय महसूस करता है. वहीं यदि मेटाबोलिज़्म की दर कम हो तो वह ज्यादा थकावट महसूस करता है , साथ ही उसमें वजन बढ़ने , कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, मांसपेशियों व हड्डियों में समस्या, अवसाद जैसी मानसिक अवस्था तथा ह्रदय रोगों जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण तथा लक्षण

जानकार बताते हैं कि वर्तमान समय में लगभग 23 % वयस्क मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं. इस सिंड्रोम के मुख्य कारण निष्क्रिय जीवन शैली और इंसुलिन प्रतिरोध है. साथ हे कुछ अन्य कारणों में मोटापा, उम्र और आनुवंशिकी शामिल हैं. डॉ विवेक काला बताते हैं मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रभाव स्वरूप लोगों में ह्रदय रोग होने तथा स्ट्रोक जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. वह बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप , मधुमेह , मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल में से कोई एक समस्या है तो यह मेटाबोलिक सिंड्रोम की श्रेणी में नहीं आता है. इस सिंड्रोम में चारों समस्याओं से जुड़े लक्षण तथा उनके प्रभाव पीड़ित पर नजर आने लगते हैं जैसे महिलाओं तथा पुरुषों में मोटापा तथा वजन उचित अनुपात से ज्यादा बढ़ने लगता है तथा मधुमेह, रक्तचाप तथा उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा उनसे जुड़ी समस्याएं ज्यादा प्रभावित करने लगती है.

अब चूंकि यह अलग अलग रोगों के संयुक्त प्रभाव के चलते होता है इसलिए उन चारों समस्याओं से जुड़े लक्षण भी इस सिंड्रोम के होने की अवस्था में नजर आ सकते हैं. जैसे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाना और मधुमेह के कारण ज्यादा प्यास लगना और बार बार पेशाब जाना, ज्यादा थकान महसूस तथा रक्तचाप व मधुमेह के कारण नजर का कमजोर होना तथा सिर में दर्द होना आदि.

कैसे करें बचाव
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए बहुत जरूरी है स्वस्थ आहार तथा सक्रिय जीवन शैली को अपनाया जाय. फलों और सब्जियों से भरपूर ताजा आहार को जिसमें तमाम पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में हो , यदि नियमित तौर पर अपनाया जाय तथा अस्वास्थकारी भोजन जैसे जंक फूड, प्रोसेस्ड़ फूड, तेल मिर्च मसलों वाला आहार, ज्यादा नमक, चीनी या तेल वाले भोजन से परहेज किया जाय तो न सिर्फ मेटाबॉलिक सिंड्रोम बल्कि इसके तहत आने वाले किसी भी रोग या समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है. इसके अलावा सक्रिय जीवन शैली यानी नित्य जीवनशैली से जुड़ी स्वस्थ आदतों को अपनाया जाना भी बेहद जरूरी है जैसे सोने संबंधी सही आदतें, नियमित व्यायाम की आदत, किसी भी प्रकार के नशे तथा धूम्रपान से दूरी तथा सकारात्मक सोच आदि. इन आदतों को जीवन में अपनाने से न सिर्फ हमारा मेटाबोलिज़्म बेहतर होगा बल्कि हमारा शरीर कई अन्य प्रकार के रोगों व समस्याओं से लड़ने में भी सक्षम हो सकेगा.

पढ़ें: स्वस्थ जीवन शैली से संभव है मधुमेह से छुटकारा: शोध

स्वस्थ्य मेटाबोलिज़्म की जरूरत को लेकर पिछले कुछ समय में विशेषकर कोरोना काल में लोगों में काफी जागरूकता आई है. लेकिन मेटाबोलिज़्म की अस्वस्थता के कारण होने वाली समस्याओं या फिर उसके चलते होने वाली अवस्थाओं को लेकर अब भी लोगों में ज्यादा जानकारी नही है. ऐसी ही एक अवस्था है मेटाबॉलिक सिंड्रोम जिसके बारें में ज्यादा जानकारी ना होने के चलते अधिकांश लोगों में इसे लेकर काफी भ्रम रहते हैं. लोगों को लगता है कि यह एक बीमारी है जबकि सत्य यह है की मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोई एक बीमारी नहीं बल्कि एक ऐसी अवस्था है जिसमें उच्च रक्तचाप , मधुमेह , मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल अपनी उच्च अवस्था में एक साथ स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगते हैं. जिससे पीड़ितों में ह्रदय रोग तथा स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बारें में विस्तार से जानने से पहले यह जानना जरूरी है मेटाबोलिक स्वास्थ्य क्या होता है तथा यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

मेटाबोलिज़्म यानी चयापचय

मेटाबोलिज़्म के बारे में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए हरियाणा के जनरल फिजीशियन डॉ विवेक काला बताते हैं कि हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं उससे हमारे शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है. चयापचय या मेटाबोलिज्म हमारे शरीर की वह प्रणाली है जो भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करती है. जिसके चलते न सिर्फ हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है, फेफड़ों से शरीर की सभी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुँचती है, शरीर के सभी अंगों को पोषण मिलता है तथा शरीर की अस्थि मज्जा में सफेद श्वेत रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है. हमारे शरीर में हार्मोन और तंत्रिका तंत्र हमारे चयापचय को नियंत्रित करते हैं. जब हम भोजन करते हैं तो हमारी आंतों में पाचन एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को एक ऐसे रूप में तोड़ देते हैं जिसका उपयोग शरीर के विकास तथा उसकी ऊर्जा के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया में दो गतिविधियां एक ही समय में होती हैं. पहली शरीर के ऊतकों का निर्माण तथा दूसरी शरीर में ऊर्जा का भंडारण. यदि व्यक्ति का मेटाबोलिज़्म ज्यादा बेहतर है तो वह ज्यादा ऊर्जावान तथा सक्रिय महसूस करता है. वहीं यदि मेटाबोलिज़्म की दर कम हो तो वह ज्यादा थकावट महसूस करता है , साथ ही उसमें वजन बढ़ने , कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, मांसपेशियों व हड्डियों में समस्या, अवसाद जैसी मानसिक अवस्था तथा ह्रदय रोगों जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण तथा लक्षण

जानकार बताते हैं कि वर्तमान समय में लगभग 23 % वयस्क मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं. इस सिंड्रोम के मुख्य कारण निष्क्रिय जीवन शैली और इंसुलिन प्रतिरोध है. साथ हे कुछ अन्य कारणों में मोटापा, उम्र और आनुवंशिकी शामिल हैं. डॉ विवेक काला बताते हैं मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रभाव स्वरूप लोगों में ह्रदय रोग होने तथा स्ट्रोक जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. वह बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप , मधुमेह , मोटापा और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल में से कोई एक समस्या है तो यह मेटाबोलिक सिंड्रोम की श्रेणी में नहीं आता है. इस सिंड्रोम में चारों समस्याओं से जुड़े लक्षण तथा उनके प्रभाव पीड़ित पर नजर आने लगते हैं जैसे महिलाओं तथा पुरुषों में मोटापा तथा वजन उचित अनुपात से ज्यादा बढ़ने लगता है तथा मधुमेह, रक्तचाप तथा उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा उनसे जुड़ी समस्याएं ज्यादा प्रभावित करने लगती है.

अब चूंकि यह अलग अलग रोगों के संयुक्त प्रभाव के चलते होता है इसलिए उन चारों समस्याओं से जुड़े लक्षण भी इस सिंड्रोम के होने की अवस्था में नजर आ सकते हैं. जैसे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाना और मधुमेह के कारण ज्यादा प्यास लगना और बार बार पेशाब जाना, ज्यादा थकान महसूस तथा रक्तचाप व मधुमेह के कारण नजर का कमजोर होना तथा सिर में दर्द होना आदि.

कैसे करें बचाव
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए बहुत जरूरी है स्वस्थ आहार तथा सक्रिय जीवन शैली को अपनाया जाय. फलों और सब्जियों से भरपूर ताजा आहार को जिसमें तमाम पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में हो , यदि नियमित तौर पर अपनाया जाय तथा अस्वास्थकारी भोजन जैसे जंक फूड, प्रोसेस्ड़ फूड, तेल मिर्च मसलों वाला आहार, ज्यादा नमक, चीनी या तेल वाले भोजन से परहेज किया जाय तो न सिर्फ मेटाबॉलिक सिंड्रोम बल्कि इसके तहत आने वाले किसी भी रोग या समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है. इसके अलावा सक्रिय जीवन शैली यानी नित्य जीवनशैली से जुड़ी स्वस्थ आदतों को अपनाया जाना भी बेहद जरूरी है जैसे सोने संबंधी सही आदतें, नियमित व्यायाम की आदत, किसी भी प्रकार के नशे तथा धूम्रपान से दूरी तथा सकारात्मक सोच आदि. इन आदतों को जीवन में अपनाने से न सिर्फ हमारा मेटाबोलिज़्म बेहतर होगा बल्कि हमारा शरीर कई अन्य प्रकार के रोगों व समस्याओं से लड़ने में भी सक्षम हो सकेगा.

पढ़ें: स्वस्थ जीवन शैली से संभव है मधुमेह से छुटकारा: शोध

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