हमारे शरीर की उम्र बढ़ने के साथ-साथ सेहत और त्वचा दोनों पर उसके प्रभाव नजर आने लगते हैं, लेकिन कई बार व्यक्ति के शरीर पर सही उम्र आने से पहले ही उसकी सेहत और त्वचा पर ज्यादा उम्र में नजर आने वाले प्रभाव दिखने शुरू हो जाते हैं. विशेष तौर पर त्वचा की बात करें तो, आजकल 30–35 वर्ष से कम उम्र में भी महिलाओं और पुरुषों, दोनों में त्वचा संबंधी ऐसी समस्याओं के होने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं जो बढ़ती उम्र के प्रभावों में गिनी जाती हैं.
समय से पहले त्वचा पर बढ़ती उम्र का प्रभाव नजर आने यानी प्रीमेच्योर एजिंग के लिए ज्यादातर खराब जीवनशैली को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन कई बार कुछ गंभीर बीमारियों के प्रभाव के चलते भी त्वचा पर समय से पहले ज्यादा उम्र वाले प्रभाव नजर आने लगते हैं. क्या होते है प्रीमेच्योर एजिंग के कारण तथा कैसे उनसे बचाव किया जा सकता है, इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने उत्तराखंड की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर आशा सकलानी से बात की.
प्रीमेच्योर एजिंग के कारण
डॉक्टर आशा बताती हैं कि बढ़ती उम्र के साथ शरीर पर उसका प्रभाव नजर आना एक सामान्य बात है. हर व्यक्ति में बढ़ती उम्र का प्रभाव अलग-अलग उम्र में नजर आने शुरू हो सकते हैं . जैसे कुछ में 35, कुछ में 40 या कुछ में अन्य आयु में. लेकिन त्वचा की बात करें तो सामान्य तौर पर माना जाता है कि बढ़ती उम्र के प्रभाव 30 से 35 वर्ष की आयु के बाद ही त्वचा पर नजर आने शुरू होते हैं. लेकिन कई बार अलग-अलग कारणों के चलते ज्यादा उम्र में त्वचा पर नजर आने वाले प्रभाव या समस्याएं अपेक्षाकृत कम उम्र में भी नजर आने लगती हैं. यूं तो इसके लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है, लेकिन खराब जीवनशैली और त्वचा की देखभाल में कमी इसके प्रमुख कारणों में गिने जाते हैं.
वह बताती हैं कि खराब जीवनशैली से तात्पर्य है, समय पर ना सोना या देर से जागना या फिर नींद की गुणवत्ता खराब होना, शारीरिक सक्रियता में कमी जैसे व्यायाम ना करना या ऐसे कार्य ना करना जिनमें शरीर की सक्रियता बनी रहे, खाने का समय निर्धारित ना होना, आहार में पौष्टिक तत्व युक्त भोजन की बजाय जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड या फिर ऐसे आहार की मात्रा ज्यादा होना जिनमें तेल, चीनी और नमक बहुत ज्यादा मात्रा में हो तथा अत्यधिक तनाव युक्त दिनचर्या बिताना.
इसके अलावा कई बार किसी रोग या शारीरिक अवस्था तथा उसके इलाज या किसी विशेष थेरेपी के चलते शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण भी त्वचा पर उम्र का प्रभाव जल्दी नजर आ सकता है .
यही नहीं कई लोग ज़ब अपनी त्वचा की नियमित साफ-सफाई तथा देखभाल की जरूरत को अनदेखा करते हैं और चेहरे से मेकअप को सही तरीके से साफ करने, त्वचा को सही तरह से मोश्चराइज करने, धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का उपयोग करने और त्वचा को नियमित रूप से धोने में कोताही बरतते हैं तो भी त्वचा पर उम्र का प्रभाव समय से पहले नजर आने लगता है.
प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण
डॉक्टर आशा बताती हैं कि सामान्य तौर पर 30 वर्ष की आयु के आसपास त्वचा में झुर्रियों, झाइयों, ढीलेपन तथा त्वचा का रंग बदलने, उसके निखार में कमी आने तथा अन्य संबंधित समस्याओं के नजर आने को प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षणों में गिना जाता है.
प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या से जूझ रहे महिलाओं और पुरुषों को आमतौर पर बालों के झड़ने तथा समय से पहले उनके सफेद होने सहित बालों की कई अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.
कैसे करें बचाव
डॉक्टर आशा बताती हैं कि जीवन शैली में सुधार कर तथा अपनी दिनचर्या में कुछ अच्छी आदतों और सावधानियों को शामिल करके हम बहुत सरलता से शरीर पर बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम कर सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.
- विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, पोटैशियम, प्रोटीन तथा फास्फोरस जैसे सभी जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर आहार ग्रहण करें.
- शरीर को पूरी तरह से हाइड्रेट रखें, जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो . इसके लिए पानी के साथ-साथ अन्य पौष्टिक तरल पदार्थों की मदद भी ली जा सकती है.
- अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं जिनमें एंटी ऑक्सीडेंट तथा फाइटोन्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हों. यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं.
- समय पर सोएं और जागे, साथ ही कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें.
- रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें या ऐसी गतिविधियों को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं जो शरीर को सक्रिय रखती हैं.
- त्वचा की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें और उस पर किसी भी तीव्र रसायन वाले उत्पादों का उपयोग करने से बचें.
- मेकअप को सोने से पहले अच्छे से साफ करें.
- चेहरे को माइल्ड फेस वॉश से नियमित रूप से साफ करें तथा मोश्चराइज करें.
- दिन में घर से बाहर निकलते समय चेहरे पर एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का उपयोग अवश्य करें.
- धूप में घर से बाहर निकलते समय हमेशा जरूरतनुसार छाते, टोपी तथा दस्तानों का उपयोग करें.
- धूम्रपान शराब तथा अन्य नशीले पदार्थों से जहां तक संभव हो दूरी बनाकर रखें.
डॉ आशा बताती है कि इन उपायों को अपनाने के बावजूद यदि त्वचा की समस्याएं ज्यादा नजर आ रही हों तो डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह अवश्य लेनी चाहिए.