नई दिल्लीः बीमारियां हर वर्ग के लोगों को परेशान करती हैं. लेकिन बीमारियों से ठीक होने के लिए दवा लेना कई बार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और यहां तक की मध्यम वर्गीय लोगों के लिए भी चिंता का कारण बन जाती है. क्योंकि कई बार कुछ दवाइयां काफी महंगी होती है. ऐसे में बहुत से लोग किसी बीमारी या रोग के लिए अपना दवाई का कोर्स भी पूरा नहीं कर पाते हैं. किसी भी व्यक्ति के इलाज में दवाइयों की कीमत आड़े ना आए तथा जहां तक संभव हो हर व्यक्ति तक जरूरी दवाइयों की उपलब्धता हो, इसी उद्देश्य के साथ भारत सरकार द्वारा जेनेरिक दवाओं के प्रसार के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही कई जन औषधि केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं. जहां से जेनेरिक दवाइयां खरीदी जा सकती हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी बड़ी संख्या में लोगों को जेनेरिक दवाओं तथा जन औषधि केंद्रों के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है. वहीं उनकी गुणवत्ता को लेकर भी आमजन में कई तरह के भ्रम रहते हैं. लोगों में जेनेरिक दवाओं को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल मार्च के पहले सप्ताह में जन औषधि सप्ताह तथा 7 मार्च को जन औषधि दिवस या जेनेरिक मेडिसिन डे मनाया जाता है.
क्या है जेनेरिक मेडिसिन
जेनेरिक दवाएं दरअसल बिना ब्रांड वाली दवाएं होती हैं. इस दवाओं की कीमत अपेक्षाकृत काफी ज्यादा कम होती है, लेकिन ये उतनी ही सुरक्षित, असरदार तथा फायदेमंद होती हैं, जितनी प्रचलित ब्रांड की महंगी दवाइयां होती हैं.
इतिहास
जरूरतमंद लोगों तक कम कीमत में गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करने के उद्देश्य से नवंबर, 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत देश के कई हिस्सों में जन औषधि केंद्रों की शुरुआत की गई थी. साथ ही 7 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस दिन को 'जन औषधि दिवस' के रूप में मनाए जाने की घोषणा के बाद मनाया गया था.
गौरतलब है कि वर्तमान में देश में मौजूद 9 हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्रों पर 50% से 90% तक सस्ती दवाइयां मिलती हैं. लेकिन कीमत कम होने से यह तात्पर्य बिल्कुल नहीं है कि इन दवाओं में गुणवत्ता सही नहीं होती है. ये दवाएं उतनी ही असरदार होती हैं जितनी महंगी दवाएं होती है. यही बड़ी वजह है कि हर दिन करीब 12 लाख लोग इन जन औषधि केंद्रों पर जाते हैं.
जनऔषधि केंद्रों की संख्या तथा जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता को लेकर बात करें तो 31 जनवरी 2023 तक, देश में 764 जिलों में से 743 जिलों में 9082 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र स्थापित हो चुके हैं. जिनमें लगभग 1,759 दवाएं और 280 सर्जिकल उपकरण बहुत ही किफायती कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इस केंद्रों पर दवाओं और सर्जिकल उपकरणों के साथ प्रोटीन पाउडर, माल्ट-बेस्ड फूड सप्लीमेंट्स, प्रोटीन बार, इम्युनिटी बार, सैनिटाइजर, मास्क, ग्लूकोमीटर, ऑक्सीमीटर आदि तथा न्यूट्रास्यूटिकल्स उत्पाद भी उपलब्ध कराए जाते हैं. गौरतलब है कि भारत सरकार ने साल 2023 के अंत यानी दिसंबर माह तक 10 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा हुआ है.
उद्देश्य
दरअसल बाजार में मिलने वाली नामी कंपनियों की ब्रांडेड दवाइयां आमतौर पर काफी महंगी होती है. चूंकि वे ज्यादा प्रचलित होती है तथा सरलता से सभी मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध भी होती हैं ऐसे में चिकित्सक भी उन्हीं दवाओं को प्रिस्क्रिप्शन में लिखते हैं. वहीं जेनेरिक दवाएं जन औषधि केंद्रों पर मिलती हैं. उनकी कम कीमत तथा कुछ अन्य कारणों के चलते भी आमतौर पर लोगों के मन में ये सवाल रहते हैं कि क्या ये दवाइयां सही है और क्या ये उतनी ही असरदार है जितनी महंगी दवाएं होती है?
इन्हीं सब मुद्दों को लेकर आमजन में जागरूकता पैदा करना तथा जेनरिक दवाओं के प्रति लोगों में विश्वास पैदा करना ही जन औषधि दिवस तथा सप्ताह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है. साथ ही यह आयोजन हर व्यक्ति तक दवा उपलब्ध कराने के भारत सरकार के प्रयास तथा इस दिशा में उनकी उपलब्धियां को मनाने का भी दिन है.
जन औषधि दिवस व सप्ताह
जन औषधि दिवस से पहले मार्च माह की शुरुआत से ही सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिनमें चिकित्सक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ऐसे लोग जो जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जन औषधि केंद्रों से जुड़े लोग, बच्चे तथा आमजन भी शामिल होते हैं. इस अवसर पर पीएमबीजेपी तथा फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई )द्वारा शैक्षणिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों में सेमिनार, कार्यक्रम, हेरिटेज वॉक, स्वास्थ्य शिविर और कई अन्य गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है.
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