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BHU Latest News : बीएचयू के डॉक्टरों ने पहला एलोजेनिक स्टेम सेल किया ट्रांसप्लांट, कोरोना के इलाज के लिए ढूंढ़ा नया फार्मूला! - Sushil Kumar Dubey bhu

BHU IMS के बाल रोग विभाग ने Blood cancer से पीड़ित बच्चे में पहला एलोजेनिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया है. Dr Vinita Gupta ने बताया कि विभाग द्वारा दो वर्षों में किया गया यह 15वां स्टेम सेल प्रत्यारोपण है. IIT-BHU व Gujarat Ayurved University के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि सूखी अदरक पाउडर का उपयोग दवा के रूप में करने से कोरोना से राहत मिल सकती है.

dry ginger powder defeats corona BHU research reveals and allogeneic stem cell transplantation in bhu
एलोजेनिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 1:17 PM IST

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय -आईएमएस के बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने दोबारा तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) से पीड़ित 11 वर्षीय बच्चे में पहला एलोजेनिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया है. विभाग की प्रोफेसर एवं प्रभारी डॉ. विनीता गुप्ता ने बताया कि दो वर्षों में विभाग द्वारा किया गया यह 15वां स्टेम सेल प्रत्यारोपण है. पहले 14 प्रत्यारोपण ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण थे, जहां स्टेम कोशिकाएं रोगी से स्वयं एकत्र की गईं थीं.

इन्हें बाल चिकित्सा ठोस ट्यूमर (पेट में ट्यूमर और लिम्फ नोड्स के कैंसर) के लिए किया गया था. एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की पहचान की गई और पाया गया कि मरीज अपनी बड़ी बहन से पूरी तरह मेल खाता है. डोनर (बड़ी बहन) से एफेरेसिस की प्रक्रिया द्वारा स्टेम सेल एकत्र किए गए और रोगी को दिए गए. मरीज ने प्रक्रिया को अच्छी तरह से सहन किया और दो महीने अस्पताल में रहने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई. प्रत्यारोपण डॉ. विनीता गुप्ता, डॉ. प्रियंका अग्रवाल और उनके साथियों, जूनियर रेजिडेंट्स और नर्सिंग अधिकारियों की टीम द्वारा किया गया.

सूखी अदरक का पाउडर कोविड-19 के इलाज में प्रभावी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, आईआईटी-बीएचयू व गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि सुंठी (सूखी अदरक का पाउडर) कोविड19 के प्रबंधन में प्रभावी साबित हो सकता है. अध्ययन के अनुसार Dry Ginger Powder का इस्तेमाल कोविड19 के प्रसार को रोकने में कारगर है. बीएचयू के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला अंतर-विषययी अध्ययन है, जो कोरोना वायरस के संबंध में उच्चतम महत्व की औषधि (सुंठी) के आयुर्वेदिक संश्लेषण की चिकित्सकीय सुरक्षा और प्रभावकारिता पर प्रारंभिक प्रमाण प्रदान करता है.

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उन्होंने बताया कि वाराणसी में सरकार द्वारा संचालित कोविड19 अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के घर के सदस्यों और स्वास्थ्य कर्मियों (डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, पैरामेडिक) समेत 800 से अधिक प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया. डॉ. दुबे ने कहा कि इस अध्ययन के लिए वाराणसी के तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा सहयोग उपलब्ध कराया गया. इस अध्ययन में बहु-केंद्रीय, नॉन-रैंडमाइज्ड, ओपन-लेबल, सिंगल-आर्म, प्री-पोस्ट डिज़ाइन का उपयोग किया गया.

प्रतिभागियों ने 15 दिनों तक Ginger Powder (सुंठी पाउडर) का चार बार रोज़ाना सेवन किया, दो बार मौखिक रूप से (2 ग्राम) और दो बार नासिका द्वारा (0.5 ग्राम) लिया. उनका 15, 30 और 90 दिनों के बाद अध्ययन किया गया. इसके अलावा, फाइटोकेमिकल विश्लेषण में लिक्विड क्रोमाटोग्राफी को मास स्पेक्ट्रोमेट्री के साथ जोड़कर किया गया. शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजों से स्थापित हो पाया कि अदरक में फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोविड 19 के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं, और इसका आयुर्वेदिक संश्लेषण कोविड 19 के लक्षणों व प्रसार को कम करने में मददगार हैं.

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इस अध्ययन के नतीजे जर्नल ऑफ हर्बल मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं, जो ब्रिटेन में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल हर्बलिस्ट्स की औपचारिक पत्रिका है. ब्रिटेन में हर्बल चिकित्सकों का अग्रणी पेशेवर संगठन है. वैद्य सुशील दुबे के अनुसार यह अध्ययन, अब तक इस प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित भारत के मात्र दो कोविड 19 संबंधित चिकित्सा अध्ययनों में से एक है. अध्ययनकर्ताओं का सुझाव है कि सम्पूर्ण विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के कोविड 19 निवारण और प्रबंधन प्रोटोकॉल में सूखी अदरक को शामिल करना संक्रमण के ख़तरे की जद में आने वाले लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षित, प्रभावी, तुरंत लागू करने योग्य, और लागत-कुशल तरीका हो सकता है. इस शोध दल में डॉ. सुनील कुमार मिश्रा (आईआईटी बीएचयू) तथा डॉ. हितेश जानी (गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय) शामिल हैं.

(आईएएनएस)

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय -आईएमएस के बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने दोबारा तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) से पीड़ित 11 वर्षीय बच्चे में पहला एलोजेनिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया है. विभाग की प्रोफेसर एवं प्रभारी डॉ. विनीता गुप्ता ने बताया कि दो वर्षों में विभाग द्वारा किया गया यह 15वां स्टेम सेल प्रत्यारोपण है. पहले 14 प्रत्यारोपण ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण थे, जहां स्टेम कोशिकाएं रोगी से स्वयं एकत्र की गईं थीं.

इन्हें बाल चिकित्सा ठोस ट्यूमर (पेट में ट्यूमर और लिम्फ नोड्स के कैंसर) के लिए किया गया था. एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की पहचान की गई और पाया गया कि मरीज अपनी बड़ी बहन से पूरी तरह मेल खाता है. डोनर (बड़ी बहन) से एफेरेसिस की प्रक्रिया द्वारा स्टेम सेल एकत्र किए गए और रोगी को दिए गए. मरीज ने प्रक्रिया को अच्छी तरह से सहन किया और दो महीने अस्पताल में रहने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई. प्रत्यारोपण डॉ. विनीता गुप्ता, डॉ. प्रियंका अग्रवाल और उनके साथियों, जूनियर रेजिडेंट्स और नर्सिंग अधिकारियों की टीम द्वारा किया गया.

सूखी अदरक का पाउडर कोविड-19 के इलाज में प्रभावी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, आईआईटी-बीएचयू व गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि सुंठी (सूखी अदरक का पाउडर) कोविड19 के प्रबंधन में प्रभावी साबित हो सकता है. अध्ययन के अनुसार Dry Ginger Powder का इस्तेमाल कोविड19 के प्रसार को रोकने में कारगर है. बीएचयू के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला अंतर-विषययी अध्ययन है, जो कोरोना वायरस के संबंध में उच्चतम महत्व की औषधि (सुंठी) के आयुर्वेदिक संश्लेषण की चिकित्सकीय सुरक्षा और प्रभावकारिता पर प्रारंभिक प्रमाण प्रदान करता है.

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उन्होंने बताया कि वाराणसी में सरकार द्वारा संचालित कोविड19 अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के घर के सदस्यों और स्वास्थ्य कर्मियों (डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, पैरामेडिक) समेत 800 से अधिक प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया. डॉ. दुबे ने कहा कि इस अध्ययन के लिए वाराणसी के तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा सहयोग उपलब्ध कराया गया. इस अध्ययन में बहु-केंद्रीय, नॉन-रैंडमाइज्ड, ओपन-लेबल, सिंगल-आर्म, प्री-पोस्ट डिज़ाइन का उपयोग किया गया.

प्रतिभागियों ने 15 दिनों तक Ginger Powder (सुंठी पाउडर) का चार बार रोज़ाना सेवन किया, दो बार मौखिक रूप से (2 ग्राम) और दो बार नासिका द्वारा (0.5 ग्राम) लिया. उनका 15, 30 और 90 दिनों के बाद अध्ययन किया गया. इसके अलावा, फाइटोकेमिकल विश्लेषण में लिक्विड क्रोमाटोग्राफी को मास स्पेक्ट्रोमेट्री के साथ जोड़कर किया गया. शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजों से स्थापित हो पाया कि अदरक में फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोविड 19 के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं, और इसका आयुर्वेदिक संश्लेषण कोविड 19 के लक्षणों व प्रसार को कम करने में मददगार हैं.

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(आईएएनएस)

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