लखनऊ : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर ) ने जीन थेरेपी तकनीक को रिलायंस लाइफ साइंसेज द्वारा एक स्वदेशी उत्पाद के रूप में विकसित करके हड्डी और जोड़ों के समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश की है. संस्थान ने एक नैनो हाइड्रॉक्सीपैटाइट आधारित पॉलीमर कंपोजिट भी विकसित किया है, जिसका उद्देश्य हड्डी और जोड़ों से संबंधित समस्याओं को दूर करना है. यह बायोकम्पैटिबल हड्डी पुनर्जनन में सक्षम बताया जा रहा है.
कुछ ऐसी ही खोजों के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर 'इनोवेशन' कैटेगिरी में एनआईआरएफ रैंकिंग 2023 में शीर्ष स्थान हासिल किया है. 2022 में रिकॉर्ड तोड़ 109 आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) दायर किए गए और अब तक कुल 950 आईपीआर दाखिल किए गए हैं, साथ ही इंडस्ट्री पार्टनर्स 130 टेक्नोलॉजी को लाइसेंस दिया गया है। संस्थान के पास 13.68 प्रतिशत की ट्रांसलेशन रेट है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, आईआईटी-कानपुर के इनोवेशन में अभूतपूर्व कार्य में रिलायंस लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को एक अग्रणी तकनीक का लाइसेंस देना शामिल है, जिसमें विशेष रूप से कई जेनेटिक आई डिजीज के लिए जीन थेरेपी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता है.
'जीन थेरेपी' इस तरह के विकारों के इलाज के लिए जीन के एक फंक्शनल वर्जन के साथ फॉल्टी जीन को बदलने का एक तरीका है। यह चिह्न्ति करता है कि एक जीन थेरेपी से संबंधित टेक्नोलॉजी डेलवप की गई है और एक शैक्षणिक संस्थान से भारत में एक कंपनी को ट्रांसफर की गई है.
आईआईटी-कानपुर की जीन थेरेपी तकनीक को रिलायंस लाइफ साइंसेज द्वारा एक स्वदेशी उत्पाद के रूप में विकसित किया जाएगा.
प्रीमियम संस्थान ने एक नैनो-हाइड्रॉक्सीपैटाइट आधारित पॉलीमर कंपोजिट भी विकसित किया है, जिसका उद्देश्य हड्डी और जोड़ों के विकारों से संबंधित समस्याओं को दूर करना है, और बायोकम्पैटिबल हड्डी पुनर्जनन में सक्षम है. इस इनोवेशन को ऑर्थो रीजनिक्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक हेल्थकेयर-आधारित कंपनी को लाइसेंस दिया गया है.
इसे भी पढ़ें.. |
--आईएएनएस के इनपुट के साथ