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सामान्य गर्भनिरोधक नहीं होती हैं इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स - अनचाही प्रेग्नेंसी

इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपात परिस्तिथ्यों में महिलाओं को अनचाही गर्भावस्था से बचाने में मदद करती हैं। यह सामान्य गर्भनिरोधक गोलियों से अलग होती है इसलिए इनका सेवन सिर्फ आपातकाल में ही करना चाहिए। इनका लगातार लंबे समय तक उपयोग शरीर को नुकसान भी पहुँचा सकता है।

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इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स
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Published : Sep 11, 2021, 12:33 PM IST

बिना सुरक्षा, शारीरिक संबंध बनाये जाने या अंतरंगता के दौरान कान्डोम के फटने जैसी दुर्घटना होने पर गर्भावस्था से बचने में मॉर्निंग-आफ़्टर पिल्स यानी इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स मददगार हो सकती हैं। आमतौर पर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां के कुछ ब्रांड के डब्बों पर लिखे ब्यौरों में बताया जाता है की असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने के 72 घंटों के भीतर एक गोली महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण से मुक्ति दिला सकती है। पिछले कुछ सालों में इन पिल्स का इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत सी महिलायें इन दवाइयों और सामान्य गर्भ निरोधक के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती हैं, और बिना जरूरत इनका इस्तेमाल करती हैं, जो ठीक नहीं है और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होने के साथ ही कई भ्रम भी हैं।

क्या हैं आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (ईसी)
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां का इस्तेमाल महिलायें असुरक्षित सेक्स या संबंधों के दौरान कान्डोम के फटने जैसी गड़बड़ी होने पर अनचाही और असमय प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए करती हैं।

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा जैन बताती हैं निर्देशों के अनुसार लिए जाने पर यह अवांछित गर्भावस्था से बचने का सुरक्षित तरीका हो सकता है, लेकिन यह शत प्रतिशत सफल हो यह जरूरी नहीं है। साथ ही इसका सेवन सामान्य गर्भनिरोधक गोली की तरह नहीं किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल तब किया जा सकता हैं, जब असुरक्षित तरीके, बिना प्रोटेक्शन या गलती से यौन संबंध बनाए गए हों। यदि इसका सेवन इमरजेंसी में किया जाय तो सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन लगातार इसका सेवन ठीक नहीं है।

इंदौर के दवा बाजार के मेडिकल स्टोर संचालक विवेक जैन बताते हैं की आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां की डिमांड और सप्लाई दोनों ही काफी ज्यादा होती है। जो पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है।

आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों से जुड़ी जानकारियाँ

  • यह गोलियां सामान्य गर्भनिरोधक गोली से अलग होती हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल नियमित रूप से नहीं करना चाहिए, सिर्फ आपातकाल में ही करना चाहिए।
  • हालांकि कुछ आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां दवाइयों के पैकेट पर लिखा होता है की इनका सेवन 72 घंटों तक किया जा सकता है लेकिन संबंध बनाने के 24 घंटे के भीतर इनका उपयोग ज्यादा कारगर रहता है। गोली लेने में देरी करने पर गर्भ धारण की आशंका बढ़ सकती है।
  • यह आमतौर पर सभी मेडिकल स्टोर पर सरलता से मिल जाती हैं और इन्हे खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इन दवाइयों को लेकर महिलाओं में यह भी भ्रम है की यह गर्भपात करती हैं, जो सही नहीं है। यह दवाइयाँ सिर्फ गर्भधारण होने से पहले उसे रोकने का कार्य करती हैं।

पार्श्व प्रभाव
कई बार महिलाओं में आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां के कुछ पार्श्व प्रभाव या दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं जैसे-जी मिचलाना, सिरदर्द, तनाव, पेट के निचले हिस्से में दर्द, ब्रेस्ट में दर्द और पीरियड्स के समय ज़्यादा रक्त स्राव होना आदि। वहीं इसका लगातार और लंबे समय तक अनावश्यक उपयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी असर डाल सकता है। इमरजेंसी पिल्स लेने के बाद यदि कोई भी समस्या को तो महिला रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

पढ़ें: यौन संचारित रोगों से बचाता है फीमेल कंडोम

बिना सुरक्षा, शारीरिक संबंध बनाये जाने या अंतरंगता के दौरान कान्डोम के फटने जैसी दुर्घटना होने पर गर्भावस्था से बचने में मॉर्निंग-आफ़्टर पिल्स यानी इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स मददगार हो सकती हैं। आमतौर पर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां के कुछ ब्रांड के डब्बों पर लिखे ब्यौरों में बताया जाता है की असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने के 72 घंटों के भीतर एक गोली महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण से मुक्ति दिला सकती है। पिछले कुछ सालों में इन पिल्स का इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत सी महिलायें इन दवाइयों और सामान्य गर्भ निरोधक के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती हैं, और बिना जरूरत इनका इस्तेमाल करती हैं, जो ठीक नहीं है और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होने के साथ ही कई भ्रम भी हैं।

क्या हैं आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (ईसी)
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां का इस्तेमाल महिलायें असुरक्षित सेक्स या संबंधों के दौरान कान्डोम के फटने जैसी गड़बड़ी होने पर अनचाही और असमय प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए करती हैं।

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा जैन बताती हैं निर्देशों के अनुसार लिए जाने पर यह अवांछित गर्भावस्था से बचने का सुरक्षित तरीका हो सकता है, लेकिन यह शत प्रतिशत सफल हो यह जरूरी नहीं है। साथ ही इसका सेवन सामान्य गर्भनिरोधक गोली की तरह नहीं किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल तब किया जा सकता हैं, जब असुरक्षित तरीके, बिना प्रोटेक्शन या गलती से यौन संबंध बनाए गए हों। यदि इसका सेवन इमरजेंसी में किया जाय तो सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन लगातार इसका सेवन ठीक नहीं है।

इंदौर के दवा बाजार के मेडिकल स्टोर संचालक विवेक जैन बताते हैं की आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां की डिमांड और सप्लाई दोनों ही काफी ज्यादा होती है। जो पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है।

आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों से जुड़ी जानकारियाँ

  • यह गोलियां सामान्य गर्भनिरोधक गोली से अलग होती हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल नियमित रूप से नहीं करना चाहिए, सिर्फ आपातकाल में ही करना चाहिए।
  • हालांकि कुछ आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां दवाइयों के पैकेट पर लिखा होता है की इनका सेवन 72 घंटों तक किया जा सकता है लेकिन संबंध बनाने के 24 घंटे के भीतर इनका उपयोग ज्यादा कारगर रहता है। गोली लेने में देरी करने पर गर्भ धारण की आशंका बढ़ सकती है।
  • यह आमतौर पर सभी मेडिकल स्टोर पर सरलता से मिल जाती हैं और इन्हे खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इन दवाइयों को लेकर महिलाओं में यह भी भ्रम है की यह गर्भपात करती हैं, जो सही नहीं है। यह दवाइयाँ सिर्फ गर्भधारण होने से पहले उसे रोकने का कार्य करती हैं।

पार्श्व प्रभाव
कई बार महिलाओं में आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां के कुछ पार्श्व प्रभाव या दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं जैसे-जी मिचलाना, सिरदर्द, तनाव, पेट के निचले हिस्से में दर्द, ब्रेस्ट में दर्द और पीरियड्स के समय ज़्यादा रक्त स्राव होना आदि। वहीं इसका लगातार और लंबे समय तक अनावश्यक उपयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी असर डाल सकता है। इमरजेंसी पिल्स लेने के बाद यदि कोई भी समस्या को तो महिला रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

पढ़ें: यौन संचारित रोगों से बचाता है फीमेल कंडोम

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