होम्योपैथी में वैक्सीन का विकल्प माने जा रहे कोविड-19 नोसोड्स को लेकर आम जनता में काफी जिज्ञासा तथा भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कोरोना से बचाव तथा उससे रोकथाम में कोविड-19 नोसोड्स की भूमिका तथा सफलता को लेकर लोगों के मन में कई सवाल भी हैं। इन्ही सवालों के जवाब पाने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने होम्योपैथिक चिकित्सा शोधकर्ता तथा शिक्षाविद डॉ. राजेश शाह से बात की जो कि लाइफ फोर्स होम्योपैथी एंड बायो सिमिलिया, मुंबई के प्रमुख हैं। गौरतलब है कि डॉ. शाह ने वैज्ञानिक आधार पर विश्व की पहली कोविड-19 नोसोड विकसित की है।
क्या होती है वैक्सीन?
डॉ. शाह बताते हैं कि नोसोड्स और वैक्सीन की तुलना से पहले यह जानना जरूरी है की वैक्सीन क्या है, और वह शरीर पर कैसे कार्य करता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है। वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमजोर या निष्क्रिय अंश होते हैं, जो बीमारी का कारण बनते हैं। ये शरीर के 'इम्यून सिस्टम' यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं, जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं।
कोविड-19 नोसोड्स
होम्योपैथिक चिकित्सक तथा इस क्षेत्र के जानकार कोविड-19 नोसोड्स को वैक्सीन के समकक्ष मान रहें है। उनका कहना है की कोविड-19 नोसोड्स शरीर में बिल्कुल उसी प्रकार की प्रतिक्रिया देता है जैसी वैक्सीन देता है।
कोरोना से बचाव में नोसोड्स की भूमिका के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. शाह बताते हैं कि नोसोड्स का निर्माण पिछले डेढ़ सौ वर्षों से हमारे वातावरण में व्याप्त बैक्टीरिया तथा वायरस को ध्यान में रखकर किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में बहुत से होम्योपैथिक नोसोड्स का निर्माण हुआ है, जिनका निर्माण अलग-अलग विषाणुओं, जीवाणुओं तथा पैरासाइट्स का इस्तेमाल कर किया गया है। इसी श्रृंखला में इन्फ्लूएंजा, लेप्टोसिरोसिस तथा डेंग्यू के कीटाणुओं को लेकर विकसित किए गए नोसोड्स की जांच के बाद सामने आया है कि यह शरीर में संबंधित रोगों तथा संक्रमणों को लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करते हैं। इसी संबंध में ब्राजील और क्यूबा में किए गए कुछ शोध के अनुसार इन्फ्लूएंजा, लेप्टोसिरोसिस तथा डेंग्यू के कीटाणुओं को लेकर विकसित किए गए नोसोड्स भी कोरोना में भी मददगार साबित होते हैं।
भारत में निर्मित को कोविड-19 नोसोड
डॉ. शाह बताते हैं की सबसे पहली बार चीन से पूरी दुनिया में कोविड-19 के संक्रमण के फैलने के तत्काल बाद से ही दुनियाभर के होम्योपैथिक चिकित्सक कोविड-19 से बचाव के लिए नोसोड्स के बारे सोच तथा प्रयास कर रहे थे।
डॉक्टर शाह बताते हैं कि वे मार्च 2020 से हाफकिन इंस्टीट्यूट, मुंबई तथा गुजरात विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों तथा इस विषय के विशेषज्ञों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय ओईसीडी नियमावली के तहत जंतु मॉडल में सुरक्षा अध्ययन के आधार पर होम्योपैथी में कोविड-19 नोसोड्स के निर्माण पर कार्य कर रहे थे। होम्योपैथिक कोविड-19 नोसोड्स के प्रथम चरण में मनुष्यों पर इस दवाई के सफल असर नजर आए। इस दवा के ट्रायल के तहत व्यक्ति के शरीर में कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए बेहतरीन सुरक्षा नजर आई।
डॉ. शाह बताते हैं की नोसोड्स का ट्रायल मुंबई में बीएमसी द्वारा कुछ क्वारेंटाइन फैसिलिटी में किया गया था, जहां नोसोड्स की सफलता का आंकड़ा 62 फीसदी से ज्यादा रहा।
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कोरोना से बचाव में सफल है कोविड-19 नोसोड्स
कोविड-19 नोसोड्स को लेकर किए गए प्रयोगों में सामने आया कि यह संक्रमण के लिए अति संवेदनशील उन लोगों के शरीर पर बेहतरीन असर डालता है, जो एक ही परिवार में रह रहे हैं। यही नहीं यह ऐसे मरीज जोकि पहले ही से कोरोना संक्रमण का शिकार हैं, के लक्षणों को कम करने तथा उनके संक्रमण की अवधि को कम करने में कोविड-19 नोसोड्स को सफल माना जा रहा है।
डॉ. शाह बताते हैं की हालांकि इस क्षेत्र में अभी और भी शोध किए जा रहे हैं, लेकिन होम्योपैथी कोरोना के मद्देनजर कोविड-19 नोसोड्स एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए info@lifeforce.in पर संपर्क किया जा सकता है।