एक उम्र के उपरांत महिलाओं तथा पुरुषों में शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा अपने आप विकसित होने लगती है। आमतौर पर इसे शरीर की प्राकृतिक जरूरत भी माना जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया ना सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाती है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। कुछ मामलों में महिलाओं तथा पुरुषों में रतिक्रिया को लेकर उत्साह में कमी तथा अनिच्छा भी नजर आती है। शारीरिक संबंधों को लेकर लोगों की इच्छा और अनिच्छा के कई कारण हो सकते हैं। ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ सांझा कर रहा है शारीरिक संबंधों को लेकर इच्छाओं को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानकारी तथा यौन जीवन के जुड़ी कुछ खास बातें।
क्यों होती है रतिक्रिया आनंददायी
अच्छे शारीरिक संबंधों के दौरान शरीर में उत्पन्न उत्तेजना तथा इस दौरान प्रवाहित होने वाले हार्मोन, ना सिर्फ शरीर बल्कि मस्तिष्क को भी आनंद और संतुष्टि का अनुभव कराते है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो शारीरिक संबंधों के दौरान हमारे शरीर में कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों प्रकार की होती है। वर्ष 1960 में शारीरिक संबंधों पर किए गए एक शोध में शोधकर्ता वीलियम मास्टर्स और वर्जीनिया जॉन्सन ने चार प्रकार की कामोत्तेजना यानी सेक्सुअल अराउज़ल का उल्लेख किया था, जो इस प्रकार हैं;
- उत्तेजना यानी एक्साइटमेंट: एक्साइटमेंट यानी उत्तेजना शारीरिक संबंधों में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस अवस्था के दौरान लिंग, योनि, श्रोणि, भग शिश्न यानी क्लिटोरिस में मौजूद तंतुओं में पर्याप्त मात्रा में रक्त भर जाता हैं। ऐसे में इन खास जगहों पर नसों में संवेदनशीलता भी बढ़ जाती है। जिससे ट्रांसलूसेंट नामक द्रव्य का निर्माण होता है, जो योनि में चिकनाहट लाता है।
- अधित्यका यानी प्लेट्यू : अधित्यका यानी प्लेट्यू भी रतिक्रिया का एक चरण होता है, जिसके चलते व्यक्ति में उत्तेजना की तीव्रता बनी रहती है तथा योनि, लिंग तथा क्लिटोरिस काफी संवेदनशील हो जाते हैं। इस दौरान संवेदनाएं बदलती रहती है, जैसे कभी व्यक्ति की उत्तेजना बढ़ जाती है, तो कभी कम होने लगती है।
- चरम सुख यानी ऑर्गेज्म : आमतौर पर संबंधों के दौरान मांसपेशियों के बीच संकुचन के चलते पुरुष व महिलाएं सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म यानी चरम सुख का एहसास करते हैं। लेकिन यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में अलग-अलग होता है। जैसे ज्यादातर महिलाओं में देखा गया है कि क्लिटोरल में उत्तेजना के कारण वे चरम सुख प्राप्त कर लेती है, और उनमें ऑर्गेज्म अपेक्षाकृत जल्दी भी आ सकता है। वहीं पुरुषों के लिंग के ऊपरी छोर में उत्तेजना का कारण आमतौर पर उन्हें ऑर्गेज्म का एहसास होता है। वैसे तो ज्यादातर पुरुषों में ऑर्गेज्म तक पहुंचने पर वीर्य स्खलन हो जाता है, लेकिन यह भी संभव है कि बिना वीर्य स्खलन के वे ऑर्गेज्म का एहसास कर पाए। पुरुषों में जहां लिंग, मलाशय तथा श्रोणि में संकुचन होता है, वहीं महिलाओं में योनि, गर्भाशय, तथा मलाशय में इसका एहसास होता है।
- संकल्प यानी रिसोल्यूशन : शोध के अनुसार कामोत्तेजना के लिए संकल्प भी जिम्मेदार होता है। यहां संकल्प को अच्छे सेक्स के लिए प्रयास से नहीं बल्कि ऑर्गेज्म से पहले और उसके उपरांत शरीर की प्रक्रिया, प्रतिक्रिया और स्थिति से जोड़ कर देखा जाता है। ये स्थिति पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है। उदारहण के लिए पुरुषों में वीर्य स्खलन के उपरांत ऑर्गेज्म का एहसास होता है, लेकिन जरूरी नहीं है की महिलाओं में भी ऐसा हो।
शोध के अनुसार इन चारों कारणों के चलते महिला और पुरुष को ना सिर्फ यौन संबंधों बल्कि हस्तमैथुन जैसी प्रक्रिया के दौरान आनंद का एहसास होता है।
यौन संबंधों का मस्तिष्क पर असर
रतिक्रिया के दौरान जनांगों से संबंधित नसें हमारे दिमाग को सिग्नल भेजती हैं। जिसके उपरांत मस्तिष्क का रासायनिक संदेशवाहक माना जाने वाला न्यूरोट्रांसमीटर शरीर के अन्य हिस्सों में शारीरिक संबंधों से जुड़ी संवेदनाओं को जागृत करने में मदद करता है, तथा विभिन्न प्रकार के हार्मोन के निर्माण तथा उन्हें प्रवाहित करने में मदद करता है। इस अवस्था में शरीर में उत्पन्न होने वाले हार्मोन तथा उनके कार्य इस प्रकार है;
- डोपामाइन : डोपामाइन हार्मोन भी चरम उत्तेजना के दौरान बढ़ जाता है।
- ऑक्सीटोसिन : माना जाता है की ऑक्सीटोसिन हार्मोन का रिसाव किसी भी दम्पत्ति में प्रेम बढ़ाता है। ऑर्गेज्म के बाद हमारा शरीर यह हार्मोन रिलीज करता है।
- नॉर-एपिनेफ्रीन : यह यौन उत्तेजना के दौरान शरीर में निर्मित होता है। यह रक्त वाहिकाओं को पतला और संकुचित करता है, जिससे जननांग अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
- सेरोटोनिन : सेक्स के दौरान उत्तेजना के चरम स्तर पर हमारे शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन का स्राव होता है, जो उत्तेजना के दौरान अच्छी और प्रसन्नता देने वाली भावनाओं का कारण बनता है।
- प्रोलैक्टिन : प्रोलैक्टिन हार्मोन की मात्रा शरीर में ऑर्गेज्म के दौरान काफी बढ़ जाता है।
हमेशा आनंददायक नहीं होते हैं यौन संबंध
शोध में शारीरिक संबंधों के संतुष्टिदायक या आनंददायक ना होने के कारणों के बारे में भी जानकारी दी गई है। शोधकर्ता वीलियम मास्टर्स और वर्जीनिया जॉन्सन बताते है की सेक्स सभी के लिए और हमेशा आनंददायक एहसास नहीं होता है। सेक्स के दौरान कई बार लोग दर्द का एहसास करते हैं। ऐसा ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलता है। शोध में बताया गया है की लगभग 75 फीसदी महिलाओं को जीवन में कभी ना कभी शारीरिक संबंधों के दौरान दर्द की समस्या देखने को मिलती है। वहीं करीब 10 से 20 फीसदी महिलाएं नियमित तौर पर सेक्स के दौरान दर्द का एहसास करती हैं। महिलाओं में सेक्स के दौरान होने वाले दर्द के सामान्य कारण इस प्रकार हैं;
- हार्मोनल बदलाव, योनि में चिकनाहट की कमी के कारण।
- शिशु के जन्म के बाद होने वाली चोट के कारण।
- योनि में संक्रमण के कारण।
पुरुष में रतिक्रिया के दौरान होने वाले दर्द का कारण;
- फिमोसिस यानी लिंग में संरचनात्मक समस्या के कारण ।
- प्रोस्टेट संबंधी परेशानी के कारण।
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महिलाओं और पुरुषों में सेक्स को लेकर अनिच्छा के कारण
- जरूरी मात्रा में चिकनाई की कमी के कारण होने वाला दर्द।
- यौन रोग और संक्रमण।
- एक या एक से अधिक पार्टनर के साथ सेक्स करने से।
- उत्तेजना में कमी।
- पूर्व में किसी प्रकार का यौन शोषण या दुर्घटना।
- पेशाब के दौरान दर्द या फिर योनि से असामान्य रक्तस्त्राव।