महिलाओं में सबसे ज्यादा प्रचलित स्तन कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी कई बार उनको ऐसी बातों पर भी विश्वास करने के लिए मजबूर कर देती हैं, जिनका वास्तव में सच्चाई से दूर-दूर तक लेना देना नहीं है. ऐसी ही प्रचलित अफवाह है कि स्तन कैंसर एक अनुवांशिक बीमारी है तथा ऐसी महिलाओं जिनके परिवार तथा नजदीकी रिश्तेदारों में पहले स्तन कैंसर का इतिहास रहा हो, तो उनकी आने वाली पीढ़ी में भी स्तन कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं, जो सही नहीं है. आमजन को स्तन कैंसर के अनुवांशिक बीमारी होने के भ्रम के बारे में जागरूक करने तथा सही तथ्यों से अवगत कराने के उद्देश्य से ETV भारत सुखीभवा की टीम ने उषालक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन, हैदराबाद के संस्थापक, सीईओ व निदेशक तथा केआईएमएस उषालक्ष्मी में निदेशक डॉक्टर पी रघुराम से बात की.
सामान्यतः अनुवांशिक नहीं होता है स्तन कैंसर
डॉक्टर रघुराम बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में स्तन कैंसर एक अनुवांशिक बीमारी नहीं होती है. बहुत ही कम मामले ऐसे होते हैं, जहां एक ही परिवार की अलग-अलग पीढ़ियों में स्तन कैंसर होने की घटनाएं देखने में आती हैं. हालांकि यह प्रतिशत बहुत ही कम होता है. डॉ. रघुराम बताते हैं कि हमारे समाज तथा लोगों में स्तन कैंसर को लेकर बहुत से भ्रम भरे हुए हैं. जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं.
- भ्रम
स्तन कैंसर को लेकर कई लोगों में यह धारणा है कि यह एक ऐसी बीमारी है, इसमें यदि आपके परिवार में किसी को पहले स्तन कैंसर हुआ हो, तो भविष्य में भी परिवार के अन्य सदस्य को स्तन कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.
- तथ्य
डॉक्टर रघुराम बताते हैं की स्तन कैंसर से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में पहले से स्तन कैंसर का इतिहास नहीं रहता है. कुल मामलों के केवल 5 से 10 प्रतिशत मामलें ऐसे रहते हैं, जिनमें पीड़ित के परिवार में किसी बुजुर्ग को यह बीमारी रही हो. गौरतलब है कि स्तन कैंसर की बीमारी ज्यादातर 40 वर्ष के उपरांत ही नजर आती है. इसलिए यह कहना कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है, गलत है.
- भ्रम
कई लोगों का मानना है कि चुंकि यह एक अनुवांशिक बीमारी है, इसलिए पीड़ित के बच्चों या उसके नजदीकी संबंधियों को जेनेटिक टेस्ट करवा लेना चाहिए, जिससे कि वह स्तन कैंसर के रिस्क के बारे में जान सके.
- तथ्य
यह सही नहीं है. यदि परिवार में किसी सदस्य को स्तन कैंसर है, तो जरूरी नहीं है कि अन्य सदस्यों को भी यह बीमारी हो सकती है. सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता है, लेकिन यदि ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें लगभग हर पीढ़ी में किसी ना किसी सदस्य को स्तन कैंसर होता है, तो ही चिकित्सक संपूर्ण शारीरिक जांच तथा काउंसलिंग के उपरांत हाई रिस्क की आशंका को देखते हुए जेनेटिक टेस्ट बीआरएसीए-1 तथा बीआरएसीए-2 करवाने की सलाह देते है. सामान्य तौर पर स्तन कैंसर के लिए जेनेटिक जांच केवल लोगों में डर और तनाव को बढ़ाती है.
कैसे जाने कि आप स्तन कैंसर के संभावित मरीज हैं;
- नजदीकी रिश्तेदारों में एक या एक से ज्यादा व्यक्ति का 40 साल की उम्र से पहले स्तन कैंसर से पीड़ित होना.
- दो या दो से ज्यादा नजदीकी रिश्तेदार या रक्त संबंधियों को किसी भी आयु में ब्रेस्ट कैंसर का होना.
- रक्त संबंधी या नजदीकी रिश्तेदार के दोनों स्तन में कैंसर का पाया जाना.
- परिवार में किसी पुरुष व्यक्ति में स्तन कैंसर का पाया जाना.
क्या है जेनेटिक टेस्ट
स्तन कैंसर के अनुवांशिक होने के बारे में जांच करने के लिए संभावित पीड़ित का बीआरएसीए नामक जीन टेस्ट किया जाता हैं. आमतौर पर चिकित्सक लोगों को जेनेटिक टेस्ट के लिए सलाह नहीं देते हैं, लेकिन यदि परिवार में स्तन कैंसर या किसी भी प्रकार के कैंसर का इतिहास रहा हो, तो ही इस टेस्ट के लिए कहा जाता है. बीआरएसीए टेस्ट काफी महंगा होता है.
- भ्रम
कैंसर के अनुवांशिक घोषित होने की अवस्था में दोनों स्तनों को सर्जरी द्वारा निकलवा देना ही स्तन कैंसर का एकमात्र उपचार है.
- तथ्य
यह सही है कि महिलाओं में मेनोपॉज से पहले यदि दोनों स्तनों तथा ओवरी और फैलोपियन ट्यूब को सर्जरी द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है, तो कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. लेकिन सर्जरी के अलावा भी कई तरीके हैं, जिनकी मदद से स्तन कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है. इसके अलावा वर्तमान समय में चिकित्सा जगत ने इतनी प्रगति कर ली है की सर्जरी कर कृत्रिम स्तनों का निर्माण किया जा सकता है.
बगैर सर्जरी के कैसे बचें स्तन कैंसर से
स्तन कैंसर के लिए संभावित मरीजों को टेमोक्सिफेन नामक दवाई दी जा सकती है. टेमोक्सिफेन स्तन के ऊतकों में एस्ट्रोजेन के प्रभाव, एक प्राकृतिक महिला हार्मोन को ब्लॉक करता है, जो स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार है. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह हैं की हर रोगी और उसकी अवस्था दूसरे मरीजों से अलग हो सकता है. इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर टेमोक्सिफेन की खुराक अलग हो सकती है.
इसके अलावा स्तन कैंसर के संभावित मरीजों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण तथा जरूरी चिकित्सा की मदद से उनमें रोग होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है.