क्या आप जानते हैं कि हमारी हड्डियों में संक्रमण हमे अपंग भी बना सकता है? जी हां हड्डी में गंभीर संक्रमण होना तथा उसका सही तथा समय पर इलाज ना होना कई बार पीड़ित में शारीरिक अपंगता का कारण बन सकता है. चिकित्सकों कि माने तो ज्यादातर मामलों में हड्डी में संक्रमण या बोन इन्फेक्शन बेहद गंभीर समस्या माना जाता है. जिसका तत्काल इलाज बेहद जरूरी होता है. Osteomyelitis . bone infection . osteomyelitis is injurious . bone diseases .
कारण तथा प्रकार
Dr Hem Joshi Orthopedician , Dehradun, Uttarakhand ( हड्डीरोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी देहरादून उत्तराखंड ) बताते हैं जैसे हमारे शरीर में किसी भी अंग में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण संक्रमण हो सकता है वैसे ही हड्डी में भी इन्ही सब कारणों से संक्रमण हो सकता है या फैल सकता है. वह बताते हैं कि हड्डी में संक्रमण को osteomyelitis भी कहा जाता है तथा इसके लिए भी आमतौर वे ही बैक्टीरिया, फंगस या वायरस जिम्मेदार होते हैं जो शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं. जैसे जो वायरस pneumonia or diarrhea ( निमोनिया या डायरिया ) के लिए जिम्मेदार हो सकता है वह ही बोन इन्फेक्शन के लिए भी हो सकता है.
संक्रमण के लिए जिम्मेदार कारण के आधार पर ऑस्टियोमाइलाइटिस को bacterial osteomyelitis तथा fungal osteomyelitis की श्रेणी में बांटा जाता है. जैसे बैक्टीरियल संक्रमण के लिए ज्यादातर शरीर के किसी अन्य हिस्से में बैक्टीरियल संक्रमण होने तथा रक्त या अन्य माध्यम से उसका प्रभाव हड्डी तक पहुंचने को जिम्मेदार माना जाता है. वहीं फंगल संक्रमण के लिए किसी चोट या दुर्घटना की अवस्था हड्डी में हल्की या गंभीर चोट लगने तथा उसमें फंगस के कारण संक्रमण होने व फैलने को जिम्मेदार माना जाता है. इसके अलावा जरूरी नहीं है की चोट हड्डी में ही लगी हो रोगाणु संक्रमित त्वचा, मांसपेशियों में चोट या हड्डी के बगल में टेंडन से भी हड्डी तक संक्रमण फैल सकता है. वहीं हड्डी में रॉड या प्लेट लगने के बाद भी कई बार इसका जोखिम हो सकता है.
Dr Hem Joshi Orthopedician बताते हैं कि इस रोग की गंभीरता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है समस्या बढ़ने पर प्रभावित क्षेत्र की हड्डी गल तक सकती है या इतनी कमजोर हो सकती है की वह टूट जाय. पहले के समय में इसे लाइलाज रोग भी माना जाता था लेकिन वर्तमान समय में चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति के चलते फिलहाल ऐसी कई तकनीक, इलाज तथा विकल्प मौजूद है जो इस समय में काफी मददगार हो सकती हैं. वह बताते हैं कि osteomyelitis की अवस्था में ज्यादातर संक्रमित स्थान में मवाद या पस पड़ने लगता है. इसके अलावा चिंता की बात यह है कि इस संक्रमण के दौरान यदि हड्डी टूट जाए या सिर्फ हड्डी संबंधी ही नहीं बल्कि कोई अन्य रोग भी हो जाए तो उस समस्या के ठीक होने में भी काफी परेशानी हो सकती है.वहीं यदि संक्रमण के इलाज में देरी हो जाए या उपचार सही ना हो, तो यह बीमारी लंबी खिंच सकती है. वहीं एक बार ठीक होने के बाद दोबारा भी हो सकती है. वह बताते हैं कि हड्डी में TB यानी tuberculosis भी bone infection ( बोन इन्फेक्शन ) का ही एक प्रकार है.
Acute and chronic osteomyelitis ( एक्यूट व क्रॉनिक ऑस्टियोमाइलाइटिस )
वह बताते है कि कारण चाहे जो भी ऑस्टियोमाइलाइटिस एक बेहद गंभीर रोग है, हालांकि कारण तथा प्रभाव के आधार पर इसकी तीव्रता तथा गंभीरता कम या ज्यादा हो सकती है. इसलिए यह एक्यूट तथा क्रोनिक, दोनों प्रकार का हो सकता है.
Acute osteomyelitis : वह बताते हैं कि एक्यूट ऑस्टियोमाइलाइटिस स्थिति में संक्रमित स्थान में सड़न शुरू हो जाती है. इस अवस्था में संक्रमण बहुत तीव्र रूप में व तेजी से प्रभाव दिखाता है और इसके लक्षण भी तुरंत नजर आने लगते हैं जैसे अचानक प्रभावित स्थान पर असहनीय दर्द होने लगता है तथा तेज बुखार आ जाता है. यह समस्या ज्यादातर बच्चों में नजर आती है. एक्यूट ऑस्टियोमाइलाइटिस ज्यादातर हड्डी में उन स्थानों पर आती हैं जो जोड़ों से जुड़ी होती हैं या जोड़ों के पास होती हैं तथा जिन्हे बच्चों की लंबाई बढ़ने के साथ जोड़ कर देखा जाता है.जैसे जांघ से घुटने की तरफ मिलने वाले किनारे के पास , पांव की पिंडली से एडी के जोड़ के बीच की हड्डी, तथा कोहनी व उसके पास की हड्डी आदि. एक्यूट ऑस्टियोमाइलाइटिस के ज्यादातर मामले जोड़ों के मुकाबले हड्डी में ज्यादा नजर आते हैं. वह बताते हैं कि हमारी हड्डी एक सख्त टिश्यू होती है इसलिए इसमें सूजन तथा समस्या में दर्द भी बहुत ज्यादा होता है. इसलिए ऐसे मरीज विशेषकर बच्चे जिनमें तेज बुखार तथा हड्डी में किसी स्थान पर असहनीय दर्द के लक्षण नजर आ रहें हों उन्हे तत्काल हड्डी में संक्रमण की जांच के निर्देश दिए जाते हैं.वह बताते हैं कि संक्रमण की अवस्था में तेज दर्द व बुखार के साथ प्रभावित स्थान पर सूजन तथा लालिमा भी नजर आ सकती है. यह बेहद गंभीर समस्या है तथा इसका तत्काल इलाज बेहद जरूरी है.
Chronic osteomyelitis : इसमें समस्या धीरे धीरे बढ़ती है और लक्षण भी धीरे धीरे लेकिन लंबे समय तक नजर आते रहते हैं. जैसे संक्रमित स्थान में कभी दर्द होगा और कभी नहीं,कभी बुखार आ जाएगा और फिर वो ठीक भी हो जाएगा. आमतौर पर लोगों को इस समस्या के बारें में तब तक पता नहीं चल पाता है जब तक इसके लक्षण ज्यादा तीव्रता के साथ नजर ना आने लगे. जैसे टीबी को एक क्रोनिक संक्रमण माना जाता है क्योंकि यह धीरे धीरे बढ़ता है तथा इसके लक्षण भी धीरे धीरे ही नजर आते रहते हैं. लेकिन टीबी में ज्यादातर मामले जोड़ों में नजर आते हैं. वैसे क्रोनिक ऑस्टियोमाइलाइटिस के मामले हड्डी तथा जोडों, दोनों में नजर आ सकते हैं.
दोबारा भी हो सकता है
डॉ जोशी बताते हैं कि यह एक ऐसा संक्रमण है जिसमें यदि पूरी तरह से इलाज ना हो या मरीज अपना दवा का कोर्स पूरा ना करें तो यह दोबारा भी हो सकता है. उदारहण के लिए जैसे यदि किसी बच्चे में यह संक्रमण हो और उसका सही समय पर तथा पूरा इलाज ना हो तो बड़े होने के बाद या ज्यादा उम्र होने के बाद भी यह समस्या दोबारा नजर आ सकती है. वह बताते हैं कि उनके पास कई बार ऐसे भी मामले आते हैं जहां बचपन में यह रोग हुआ हो और वयस्क होने पर यह संक्रमण दोबारा हुआ हो. वह बताते हैं कि बच्चों में इस संक्रमण का सही समय पर इलाज ना होने की अवस्था में उनके शारीरिक विकास पर भी असर पड़ सकता है. इसके अलावा हड्डी में बैक्टीरियल संक्रमण की अवस्था में यदि इलाज समय पर न हो तो इसके चलते लीवर और किडनी और कई बार असर रीढ़ की हड्डी पर भी असर पड़ सकता है. वहीं कई बार पीड़ित में अपंगता तक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
Bone infection diagnosis तथा उपचार
Orthopedician Dr Hem Joshi बताते हैं कि संक्रमण की अवस्था में पैथोलॉजिकल जांच करवाई जाती है. ब्लड कल्चर, काउंटिंग ब्लड सेल्स (CBC), बोन स्कैन तथा एमआरआई जैसी जांच करवाई जाती है. संक्रमण की पुष्टि होने के बाद पीड़ित को कम से छः हफ्ते तक एंटीबायोटिक दी जाती है. जो पीड़ित कि अवस्था के अनुसार मौखिक, इंजेक्शन तथा ड्रिप किसी भी तरह से दी जा सकती है. एक्यूट संक्रमण में जहां पीड़ित को अस्पताल में भर्ती करना तथा उसका त्वरित इलाज शुरू करना जरूरी होता है, वहीं TB तथा क्रोनिक संक्रमण की अवस्था में पीड़ित में संक्रमण की स्थिति को देखते हुए उपचार दिया जाता है. इसके अलावा यदि संक्रमण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है कई बार ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है. वह बताते हैं कि ऐसे लोग विशेषकर बच्चे जो एनिमिक हो यानी जिनमें खून की कमी हो, जिनमें कोई गंभीर रोग या मधुमेह जैसी कोमोरटीबीटी हो तथा जो पहले से किसी प्रकार के संक्रमण का सामना कर रहें हो या उसे लेकर संवेदनशील हों, उन्हे हड्डी में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है.
High bp से हड्डियां हो सकती है कमजोर, लंबी हड्डियों पर दुष्प्रभाव ज्यादा