नई दिल्ली : नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने सोमवार को कहा कि सिकल सेल रोग को खत्म करने का अभियान एक बहु-क्षेत्रीय मिशन है, जिसका लाभ समुदाय की एकजुटता और हितधारकों के सहयोग का उठाया जा सकता है. बजट के बाद के Budget Webinar Leaving No Citizen Behind ( वेबिनार- लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड )को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीमारी का उन्मूलन भारत में सभी के लिए स्वास्थ्य की समग्र दृष्टि को प्राप्त करने का एक अभिन्न अंग है. सिकल सेल रोग विकारों का एक समूह है जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं विकृत हो जाती हैं और टूट जाती हैं, संक्रमण, दर्द और थकान सिकल सेल रोग के लक्षण हैं.
Dr V K Pal ने सिकल सेल रोग के बारे में जागरूकता पैदा ( Sickle cell disease awareness ) करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "हमें जमीनी स्तर पर एक ऐसा तालमेल बनाना होगा जो प्रत्येक हितधारक को जोड़े. इससे बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज में तेजी आएगी. उन्होंने प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए माध्यम और तरीकों को परिभाषित करने में सामुदायिक लामबंदी और हितधारक सहयोग में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की भूमिका पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, "यह व्यापक रूप से ज्ञात होना चाहिए कि Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana ( प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ) सिकल सेल रोग के लिए मुफ्त में पूर्ण उपचार प्रदान करती है."
NITI Aayog member Dr V K Pal ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवर साझेदारी बनाने की वकालत की जो व्यापक आत्मसात करने और राष्ट्रव्यापी स्तर पर ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करेगी. उन्होंने गर्भावस्था जांच को शामिल करने के साथ-साथ हाइड्रोक्सी यूरिया और न्यूमोकोकल वैक्सीन की आसान पहुंच के महत्व पर जोर दिया. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सामूहिक कार्रवाई की जरूरत की बात दोहराई. उन्होंने कहा, "एक निश्चित समय सीमा के भीतर देश से इस बीमारी को खत्म करने के लिए सरकार और पूरे समाज का दृष्टिकोण आवश्यक है."
उन्होंने कहा कि सिकल सेल रोग प्रबंधन पर पोर्टल ( Sickle cell disease management website/portal ) पहले ही स्थापित किया जा चुका है और एक मोबाइल एप्लिकेशन भी चल रहा है, जिसके लिए राज्य सरकारों के लिए प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण शुरू हो गया है. अपने मंत्रालय की भूमिका पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि वह वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से राज्य सरकारों का समर्थन करेगा. राज्य सरकारें स्क्रीनिंग का स्तर चुन सकती हैं, यानी एक स्तर या दो स्तर की स्क्रीनिंग, जो उन्हें ठीक लगे. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके अलावा, तकनीकी मार्गदर्शन के संदर्भ में ICMR, AIIMS और मेडिकल कॉलेजों को सभी राज्यों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है.
(आईएएनएस)
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