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त्वचा को रोगी बना सकते हैं ये 7 कारक - how to have a healthy skin

त्वचा को स्वस्थ तथा समस्यामुक्त रखने के लिये सिर्फ उसकी देखभाल ही नहीं, बल्कि उसे नुकसान पहुंचाने वाले कारकों से बचाना भी जरूरी है. आइए जानते हैं कि कौन-कौन से कारक त्वचा के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं और कैसे.

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त्वचा को रोगी बना सकते हैं ये 7 कारक
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Published : Mar 9, 2022, 7:16 PM IST

खूबसूरत या अच्छा दिखना हर महिला और पुरुष की इच्छा होती है. सिर्फ नाक-नक्श ही नहीं अच्छी, साफ और स्वस्थ त्वचा भी व्यक्ति के आकर्षण को बढ़ाती है. लेकिन त्वचा स्वस्थ तभी नजर आती है जब वह रोगमुक्त हो. कई बार कई कारणों से हमारी त्वचा को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है.

उत्तराखंड की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. आशा सकलानी बताती हैं कि त्वचा के स्वास्थ्य को बाहरी वातावरण के साथ शारीरिक समस्याएं भी काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं. कई शारीरिक रोग, समस्याएं या किसी प्रकार की कमी त्वचा को समस्याग्रस्त बना सकती हैं. त्वचा को कांतिहीन तथा रोगी बनाने के लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • प्रदूषण

त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले वातावरणीय कारणों की बात करें तो प्रदूषण उनमें सबसे प्रमुख माना जाता है. हवा में मौजूद प्रदूषण के कण त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं, जिससे त्वचा का सांस लेना मुश्किल हो जाता है और उसमें समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. प्रदूषित हवा न सिर्फ हमारी त्वचा से नमी खींचकर उसे शुष्क तथा बेजान बना देती है बल्कि उसमें मौजूद ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा पार्टिक्यूलेट मैटर आदि कण त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को नुकसान पहुंचाते है. जिससे त्वचा में जलन, लालिमा, एक्जिमा, समय से पहले उम्र का प्रभाव/ झुर्रियां, एलर्जी, डार्क स्पॉट्स्, डर्मेटाइटिस, सोरायसिस और कुछ मामलों में स्किन कैंसर होने का खतरा भी बढ़ा जाता हैं.

  • सूरज की रोशनी

सूर्य की हानिकारक किरणें वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कणों के साथ मिलकर त्वचा में हाइपरपिग्मेंटेशन, झुर्रियां, एलर्जी और टैन सहित कई आम या गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं. 'मैकेनिकल बिहैवियर ऑफ बायोमैटीरियल्स' पत्रिका में प्रकाशित बिंगहैम्टन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में भी सामने आया है कि सूर्य की पराबैंगनी किरणों की चपेट में आने से त्वचा कैंसर होने तक का खतरा हो सकता है.

  • पानी की कमी

मानव शरीर में 60 प्रतिशत पानी होता है. ऐसे में सेहत के हर पहलू को दुरुस्त रखने में पानी की भूमिका काफी अहम मानी जाती है. इसकी कमी से कई बीमारियों तथा समस्याओं के पनपने की आशंका बढ़ जाती है. गौरतलब है कि पानी त्वचा के छिद्रों को साफ रखने में और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है. यह त्वचा को प्राकृतिक रूप से हाइड्रेटेड और मॉइस्चराइज रखता है. पानी की कमी त्वचा को रूखा बनाती है.

  • नींद की कमी

त्वचा की देखभाल के लिए ब्यूटी स्लीप को काफी कारगर माना जाता है. दरअसल, अच्छी मात्रा में ली गई अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमारे शरीर की जैविक घड़ी को दुरुस्त रखती है जिसका असर हमारी त्वचा पर भी नजर आता है. कुछ शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि नींद की गुणवत्ता हमारे सेलुलर फंक्शन और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया पर सीधा प्रभाव डालती हैं. नींद की कमी महिलाओं की त्वचा की कोशिकाओं में न सिर्फ उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करती हैं बल्कि त्वचा पर सनबर्न और एक्ने जैसी समस्याओं के उभरने का कारण भी बनती हैं.

  • तनाव

ज्यादा तनाव हमारी त्वचा के स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर डालता है. दरअसल, तनाव शरीर में कोर्टीसोल नामक हार्मोन की मात्रा को बढ़ाता है जो त्वचा के सेल्स को नुकसान पहुंचाता. जिससे मुंहासे, आंखों के आसपास काले घेरे, समय से पहले त्वचा पर उम्र का प्रभाव नजर आने तथा एक्जिमा और सोरायसिस जैसी कई समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है.

  • धूम्रपान

धूम्रपान त्वचा में कोलेजन फाइबर को प्रभावित करता है. इससे शरीर में एक एंजाइम बनता है जो त्वचा के इलास्टिक फाइबर को नुकसान पहुंचाता है. वहीं धूम्रपान अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से होने वाले खतरे को भी बढ़ा देता है. क्योंकि इससे धमनियां सिकुड़ने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके चलते त्वचा के कनेक्टिव टिश्यूज को नुकसान पहुंचने की आशंका भी बढ़ जाती है.

  • अस्वास्थकारी आहार

कई बार अस्वास्थकारी आहार के ज्यादा मात्रा में सेवन के चलते हमारे रक्त में टॉक्सिन्स की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है. यदि शरीर में टॉक्सिन्स जरूरत से ज्यादा बनने या एकत्रित होने लगे तो लिवर पर बोझ बढ़ने लगता है. नतीजतन लिवर के अलावा त्वचा से भी टॉक्सिन्स फोड़े-फुंसी और दानों के रूप में बाहर निकलने लगते हैं. त्वचा पर टॉक्सिन्स का प्रभाव फोड़े-फुंसी के अलावा कई और समस्याओं के रूप में भी नजर आ सकता है.

ध्यान दें
डॉ आशा बताती हैं कि त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि इन सभी कारकों से बचाव का प्रयास किया जाए. अच्छा व स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, सक्रिय दिनचर्या, जरूरी मात्रा में नींद, जरूरी मात्रा में पानी का सेवन, त्वचा की सही देखभाल तथा नियमित रूप से सनस्क्रीन तथा मॉइस्चराइजर का उपयोग त्वचा को समस्यामुक्त बनाए रखने में काफी मदद कर सकता है.

पढ़ें- ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स से छुटकारा पाने के लिए अपनाए ये सरल उपाय

खूबसूरत या अच्छा दिखना हर महिला और पुरुष की इच्छा होती है. सिर्फ नाक-नक्श ही नहीं अच्छी, साफ और स्वस्थ त्वचा भी व्यक्ति के आकर्षण को बढ़ाती है. लेकिन त्वचा स्वस्थ तभी नजर आती है जब वह रोगमुक्त हो. कई बार कई कारणों से हमारी त्वचा को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है.

उत्तराखंड की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. आशा सकलानी बताती हैं कि त्वचा के स्वास्थ्य को बाहरी वातावरण के साथ शारीरिक समस्याएं भी काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं. कई शारीरिक रोग, समस्याएं या किसी प्रकार की कमी त्वचा को समस्याग्रस्त बना सकती हैं. त्वचा को कांतिहीन तथा रोगी बनाने के लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • प्रदूषण

त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले वातावरणीय कारणों की बात करें तो प्रदूषण उनमें सबसे प्रमुख माना जाता है. हवा में मौजूद प्रदूषण के कण त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं, जिससे त्वचा का सांस लेना मुश्किल हो जाता है और उसमें समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. प्रदूषित हवा न सिर्फ हमारी त्वचा से नमी खींचकर उसे शुष्क तथा बेजान बना देती है बल्कि उसमें मौजूद ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा पार्टिक्यूलेट मैटर आदि कण त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को नुकसान पहुंचाते है. जिससे त्वचा में जलन, लालिमा, एक्जिमा, समय से पहले उम्र का प्रभाव/ झुर्रियां, एलर्जी, डार्क स्पॉट्स्, डर्मेटाइटिस, सोरायसिस और कुछ मामलों में स्किन कैंसर होने का खतरा भी बढ़ा जाता हैं.

  • सूरज की रोशनी

सूर्य की हानिकारक किरणें वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कणों के साथ मिलकर त्वचा में हाइपरपिग्मेंटेशन, झुर्रियां, एलर्जी और टैन सहित कई आम या गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं. 'मैकेनिकल बिहैवियर ऑफ बायोमैटीरियल्स' पत्रिका में प्रकाशित बिंगहैम्टन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में भी सामने आया है कि सूर्य की पराबैंगनी किरणों की चपेट में आने से त्वचा कैंसर होने तक का खतरा हो सकता है.

  • पानी की कमी

मानव शरीर में 60 प्रतिशत पानी होता है. ऐसे में सेहत के हर पहलू को दुरुस्त रखने में पानी की भूमिका काफी अहम मानी जाती है. इसकी कमी से कई बीमारियों तथा समस्याओं के पनपने की आशंका बढ़ जाती है. गौरतलब है कि पानी त्वचा के छिद्रों को साफ रखने में और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है. यह त्वचा को प्राकृतिक रूप से हाइड्रेटेड और मॉइस्चराइज रखता है. पानी की कमी त्वचा को रूखा बनाती है.

  • नींद की कमी

त्वचा की देखभाल के लिए ब्यूटी स्लीप को काफी कारगर माना जाता है. दरअसल, अच्छी मात्रा में ली गई अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमारे शरीर की जैविक घड़ी को दुरुस्त रखती है जिसका असर हमारी त्वचा पर भी नजर आता है. कुछ शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि नींद की गुणवत्ता हमारे सेलुलर फंक्शन और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया पर सीधा प्रभाव डालती हैं. नींद की कमी महिलाओं की त्वचा की कोशिकाओं में न सिर्फ उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करती हैं बल्कि त्वचा पर सनबर्न और एक्ने जैसी समस्याओं के उभरने का कारण भी बनती हैं.

  • तनाव

ज्यादा तनाव हमारी त्वचा के स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर डालता है. दरअसल, तनाव शरीर में कोर्टीसोल नामक हार्मोन की मात्रा को बढ़ाता है जो त्वचा के सेल्स को नुकसान पहुंचाता. जिससे मुंहासे, आंखों के आसपास काले घेरे, समय से पहले त्वचा पर उम्र का प्रभाव नजर आने तथा एक्जिमा और सोरायसिस जैसी कई समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है.

  • धूम्रपान

धूम्रपान त्वचा में कोलेजन फाइबर को प्रभावित करता है. इससे शरीर में एक एंजाइम बनता है जो त्वचा के इलास्टिक फाइबर को नुकसान पहुंचाता है. वहीं धूम्रपान अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से होने वाले खतरे को भी बढ़ा देता है. क्योंकि इससे धमनियां सिकुड़ने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके चलते त्वचा के कनेक्टिव टिश्यूज को नुकसान पहुंचने की आशंका भी बढ़ जाती है.

  • अस्वास्थकारी आहार

कई बार अस्वास्थकारी आहार के ज्यादा मात्रा में सेवन के चलते हमारे रक्त में टॉक्सिन्स की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है. यदि शरीर में टॉक्सिन्स जरूरत से ज्यादा बनने या एकत्रित होने लगे तो लिवर पर बोझ बढ़ने लगता है. नतीजतन लिवर के अलावा त्वचा से भी टॉक्सिन्स फोड़े-फुंसी और दानों के रूप में बाहर निकलने लगते हैं. त्वचा पर टॉक्सिन्स का प्रभाव फोड़े-फुंसी के अलावा कई और समस्याओं के रूप में भी नजर आ सकता है.

ध्यान दें
डॉ आशा बताती हैं कि त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि इन सभी कारकों से बचाव का प्रयास किया जाए. अच्छा व स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, सक्रिय दिनचर्या, जरूरी मात्रा में नींद, जरूरी मात्रा में पानी का सेवन, त्वचा की सही देखभाल तथा नियमित रूप से सनस्क्रीन तथा मॉइस्चराइजर का उपयोग त्वचा को समस्यामुक्त बनाए रखने में काफी मदद कर सकता है.

पढ़ें- ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स से छुटकारा पाने के लिए अपनाए ये सरल उपाय

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