ETV Bharat / state

दिल्ली में गाड़ी वाले जरा हो जाएं सावधान...कहीं आप पर तो नहीं चोर गैंग की नज़र... - हेरोइन तस्कर

दिल्ली से चोरी हुई गाड़ियों को बाहर ले जाकर वाहन चोर बड़ी ही आसानी से बेच देते हैं. हैरानी की बात ये है कि राजधानी में सक्रिय चोर ऑर्डर लेकर चोरी करते हैं. जिस गाड़ी की ज्यादा डिमांड रहती है उसी गाड़ी को चोरी कर लिया जाता है और बेच दिया जाता है.

दिल्ली में गाड़ी वाले ज़रा हो जाए सावधान
author img

By

Published : Apr 9, 2019, 10:54 AM IST

Updated : Apr 9, 2019, 2:46 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में वाहन चोरी का कारोबार 100 करोड़ के पार चला गया है. बीते पांच साल में वाहन चोरी की वादातों में लगभग 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 100 करोड़ से ज्यादा का ये कारोबार लगातार फल-फूल रहा है और पुलिस इसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही है.

दिल्ली में गाड़ी वाले ज़रा हो जाए सावधान

दिल्ली से चोरी हुई गाड़ियों को बाहर ले जाकर वाहन चोर बड़ी ही आसानी से बेच देते हैं. हैरानी की बात ये है कि राजधानी में सक्रिय चोर ऑर्डर लेकर चोरी करते हैं. जिस गाड़ी की ज्यादा डिमांड रहती है उसी गाड़ी को चोरी कर लिया जाता है और बेच दिया जाता है.

चोरी के बाद सुनसान जगह ले जाते हैं वाहन
इन दिनों राजधानी में चोर पुलिस की निगाहों से बचने के लिए चोरी किए हुए वाहन को किसी सुनसान जगह पर छोड़ देते हैं. अगर उसमें जीपीएस लगा हो तो पुलिस गाड़ी तक पहुंच जाती है लेकिन 24 से 48 घंटे तक अगर गाड़ी लेने कोई नहीं आया तो बदमाश इस गाड़ी को ले जाकर बेच देते हैं.

खरीदार को भनक तक नहीं लगती
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि चोरी के वाहन खरीदने वाले गैंग पहले इंश्योरेंस कंपनी से कबाड़ हो चुकी गाड़ी दस्तावेज सहित खरीदते हैं. इस गाड़ी के मॉडल की दूसरी गाड़ी को चोरी करवाते हैं. इस पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर चढ़ाकर पहले से मौजूद दस्तावेज की नंबर प्लेट इस कार पर लगा देते हैं. इसके बाद जब खरीदार को यह गाड़ी बेची जाती है तो उसे पता ही नहीं चलता कि गाड़ी चोरी की है.

  • साल 2013- 14196 चोरी की वारदातें (31 दिसंबर तक)
  • साल 2018 - वारदातें -35938 (15 अक्टूबर तक)

पुलिस नहीं मानती गंभीर अपराध
दिल्ली पुलिस वाहन चोरी को गंभीर अपराध नहीं मानती. यही वजह है कि दिल्ली में आए दिन वाहन चोरी की वारदातें बढ़ रही है. दरअसल गाड़ी चोरी होने पर उसके मालिक को इंश्योरेंस कंपनी से पैसे मिल जाते हैं. वहीं अगर वाहन चोर पकड़ा जाए तो उसे कुछ ही दिनों में जमानत मिल जाती है. इसके बाद वो दोबारा सक्रिय हो जाता है.

मेरठ में होता है गाड़ियों का पोस्टमार्टम
क्राइम ब्रांच डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि यूपी के मेरठ सहित कई जगहों पर बड़े-बड़े गोदाम बने हुए हैं. यहां पर चोरी की गाड़ियों को बदमाश लेकर जाते हैं और उसे अलग-अलग हिस्सों में बांट देते हैं. इसके बाद इन हिस्सों को स्पेयर पार्टस की दुकान पर जाकर सस्ती कीमत में बेच दिया जाता है. ऐसे कई गैंग दिल्ली पुलिस न गिरफ्तार किए हैं.

नई दिल्ली: राजधानी में वाहन चोरी का कारोबार 100 करोड़ के पार चला गया है. बीते पांच साल में वाहन चोरी की वादातों में लगभग 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 100 करोड़ से ज्यादा का ये कारोबार लगातार फल-फूल रहा है और पुलिस इसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही है.

दिल्ली में गाड़ी वाले ज़रा हो जाए सावधान

दिल्ली से चोरी हुई गाड़ियों को बाहर ले जाकर वाहन चोर बड़ी ही आसानी से बेच देते हैं. हैरानी की बात ये है कि राजधानी में सक्रिय चोर ऑर्डर लेकर चोरी करते हैं. जिस गाड़ी की ज्यादा डिमांड रहती है उसी गाड़ी को चोरी कर लिया जाता है और बेच दिया जाता है.

चोरी के बाद सुनसान जगह ले जाते हैं वाहन
इन दिनों राजधानी में चोर पुलिस की निगाहों से बचने के लिए चोरी किए हुए वाहन को किसी सुनसान जगह पर छोड़ देते हैं. अगर उसमें जीपीएस लगा हो तो पुलिस गाड़ी तक पहुंच जाती है लेकिन 24 से 48 घंटे तक अगर गाड़ी लेने कोई नहीं आया तो बदमाश इस गाड़ी को ले जाकर बेच देते हैं.

खरीदार को भनक तक नहीं लगती
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि चोरी के वाहन खरीदने वाले गैंग पहले इंश्योरेंस कंपनी से कबाड़ हो चुकी गाड़ी दस्तावेज सहित खरीदते हैं. इस गाड़ी के मॉडल की दूसरी गाड़ी को चोरी करवाते हैं. इस पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर चढ़ाकर पहले से मौजूद दस्तावेज की नंबर प्लेट इस कार पर लगा देते हैं. इसके बाद जब खरीदार को यह गाड़ी बेची जाती है तो उसे पता ही नहीं चलता कि गाड़ी चोरी की है.

  • साल 2013- 14196 चोरी की वारदातें (31 दिसंबर तक)
  • साल 2018 - वारदातें -35938 (15 अक्टूबर तक)

पुलिस नहीं मानती गंभीर अपराध
दिल्ली पुलिस वाहन चोरी को गंभीर अपराध नहीं मानती. यही वजह है कि दिल्ली में आए दिन वाहन चोरी की वारदातें बढ़ रही है. दरअसल गाड़ी चोरी होने पर उसके मालिक को इंश्योरेंस कंपनी से पैसे मिल जाते हैं. वहीं अगर वाहन चोर पकड़ा जाए तो उसे कुछ ही दिनों में जमानत मिल जाती है. इसके बाद वो दोबारा सक्रिय हो जाता है.

मेरठ में होता है गाड़ियों का पोस्टमार्टम
क्राइम ब्रांच डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि यूपी के मेरठ सहित कई जगहों पर बड़े-बड़े गोदाम बने हुए हैं. यहां पर चोरी की गाड़ियों को बदमाश लेकर जाते हैं और उसे अलग-अलग हिस्सों में बांट देते हैं. इसके बाद इन हिस्सों को स्पेयर पार्टस की दुकान पर जाकर सस्ती कीमत में बेच दिया जाता है. ऐसे कई गैंग दिल्ली पुलिस न गिरफ्तार किए हैं.

Intro:खबर के विसुअल और फोटो मेल से भेज रहा हूँ।
नई दिल्ली
ड्रग्स की तस्करी करने वाले एक गैंग के चार सदस्यों को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है. इनके पास से 50 किलो हेरोइन बरामद की गई है जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई है. आरोपियों ने ड्रग्स छिपाने के लिए कार में ऐसी खुफिया जगह बना रखी थी जिसका पता लगाना पुलिस के लिए भी आसान नहीं था. पुलिस इस गैंग से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है.


Body:डीसीपी संजीव यादव के अनुसार ड्रग्स तस्करों को लेकर स्पेशल सेल की टीम लगातार छापेमारी कर रही है. इस वर्ष अब तक स्पेशल सेल 177 किलोग्राम हेरोइन बरामद कर 14 गैंग के 43 तस्करों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा अन्य मादक पदार्थों के खिलाफ भी स्पेशल सेल ने अभियान चला रखा है. हाल ही में स्पेशल सेल को सूचना मिली कि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार आदि राज्यों में तस्करों का एक गैंग सक्रिय है. वह दिल्ली एनसीआर में ड्रग्स सप्लाई करता है.


मणिपुर से लेकर आये 50 किलो हेरोइन
पुलिस को पता चला कि यह गैंग मणिपुर से हेरोइन लेकर आता है और उसे बेहतर क्वालिटी की हेरोइन बना कर बेचते हैं. हाल ही में एसआई प्रवीण राठी को सूचना मिली कि इस गैंग के दो सदस्य मोहम्मद सुफियान और मोहम्मद इस्माइल कार में हेरोइन लेकर एक युवक को सप्लाई करने आएंगे. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने बुराड़ी अथॉरिटी के पास से कार में सवार दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. मोहम्मद सुफियान के पास से 11 किलो हेरोइन जबकि मोहम्मद इस्माइल के पास से 14 किलो हेरोइन बरामद हुई. वहीं 25 किलो हेरोइन की खेप आरोपियों ने इस कार में खुफिया जगह बनाकर छुपा रखी थी. इस बाबत स्पेशल सेल में मामला दर्ज किया गया. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हें यह हीरोइन मणिपुर निवासी कबीर ने बिहार निवासी मनोज के इशारे पर दी थी.



बिहार से चल रहा था तस्करी का नेटवर्क
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह बिहार के बरौनी निवासी मनोज के लिए काम करते हैं. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने पटना से मनोज को गिरफ्तार कर लिया. उससे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस टीम ने हाशिम उर्फ नेता को बवाना से गिरफ्तार किया. मोहम्मद इस्माइल और मोहम्मद सुफियान ने पुलिस को बताया कि वह बीते 5 सालों से हेरोइन की तस्करी कर रहे हैं. वह कार में मणिपुर जाते हैं और वहां से हेरोइन की खेप लेकर आते हैं. वहां पर मौजूद कबीर के पास मनोज की तरफ से ऑर्डर जाता है जिस पर उन्हें हेरोइन दी जाती है.


गाड़ी में बना रखी थी खुफिया जगह
पुलिस से बचने के लिए उन्होंने गाड़ी में खासतौर से डिज़ाइन कर खुफिया जगह बनाई हुई थी. गाड़ी की डिग्गी एवं इंजन वाली जगह पर बनी इस खुफिया जगह के अंदर वह हेरोइन छुपा लेते थे. इससे पहले चार-पांच बार वह हेरोइन की बड़ी खेप यहां आकर सप्लाई कर चुके हैं. वह दिल्ली आकर हाशिम को ड्रग्स दे चुके हैं. गिरफ्तार किया गया मनोज इस गैंग का सरगना है और बीते 10 सालों से हेरोइन की तस्करी कर रहा है. हाशिम इनसे हेरोइन की खेप लेकर उसे आगे सप्लाई करता है.


Conclusion:
Last Updated : Apr 9, 2019, 2:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.