नई दिल्ली: राजधानी में वाहन चोरी का कारोबार 100 करोड़ के पार चला गया है. बीते पांच साल में वाहन चोरी की वादातों में लगभग 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 100 करोड़ से ज्यादा का ये कारोबार लगातार फल-फूल रहा है और पुलिस इसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही है.
दिल्ली से चोरी हुई गाड़ियों को बाहर ले जाकर वाहन चोर बड़ी ही आसानी से बेच देते हैं. हैरानी की बात ये है कि राजधानी में सक्रिय चोर ऑर्डर लेकर चोरी करते हैं. जिस गाड़ी की ज्यादा डिमांड रहती है उसी गाड़ी को चोरी कर लिया जाता है और बेच दिया जाता है.
चोरी के बाद सुनसान जगह ले जाते हैं वाहन
इन दिनों राजधानी में चोर पुलिस की निगाहों से बचने के लिए चोरी किए हुए वाहन को किसी सुनसान जगह पर छोड़ देते हैं. अगर उसमें जीपीएस लगा हो तो पुलिस गाड़ी तक पहुंच जाती है लेकिन 24 से 48 घंटे तक अगर गाड़ी लेने कोई नहीं आया तो बदमाश इस गाड़ी को ले जाकर बेच देते हैं.
खरीदार को भनक तक नहीं लगती
क्राइम ब्रांच के डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि चोरी के वाहन खरीदने वाले गैंग पहले इंश्योरेंस कंपनी से कबाड़ हो चुकी गाड़ी दस्तावेज सहित खरीदते हैं. इस गाड़ी के मॉडल की दूसरी गाड़ी को चोरी करवाते हैं. इस पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर चढ़ाकर पहले से मौजूद दस्तावेज की नंबर प्लेट इस कार पर लगा देते हैं. इसके बाद जब खरीदार को यह गाड़ी बेची जाती है तो उसे पता ही नहीं चलता कि गाड़ी चोरी की है.
- साल 2013- 14196 चोरी की वारदातें (31 दिसंबर तक)
- साल 2018 - वारदातें -35938 (15 अक्टूबर तक)
पुलिस नहीं मानती गंभीर अपराध
दिल्ली पुलिस वाहन चोरी को गंभीर अपराध नहीं मानती. यही वजह है कि दिल्ली में आए दिन वाहन चोरी की वारदातें बढ़ रही है. दरअसल गाड़ी चोरी होने पर उसके मालिक को इंश्योरेंस कंपनी से पैसे मिल जाते हैं. वहीं अगर वाहन चोर पकड़ा जाए तो उसे कुछ ही दिनों में जमानत मिल जाती है. इसके बाद वो दोबारा सक्रिय हो जाता है.
मेरठ में होता है गाड़ियों का पोस्टमार्टम
क्राइम ब्रांच डीसीपी राम गोपाल नाइक ने बताया कि यूपी के मेरठ सहित कई जगहों पर बड़े-बड़े गोदाम बने हुए हैं. यहां पर चोरी की गाड़ियों को बदमाश लेकर जाते हैं और उसे अलग-अलग हिस्सों में बांट देते हैं. इसके बाद इन हिस्सों को स्पेयर पार्टस की दुकान पर जाकर सस्ती कीमत में बेच दिया जाता है. ऐसे कई गैंग दिल्ली पुलिस न गिरफ्तार किए हैं.