नई दिल्ली: तिहाड़ और तिहाड़ के अन्य जेलों में कैदियों पर नजर रखने और मोबाइल के इस्तेमाल के लिए सुरक्षा और भी चाक-चौबंद की जा रही है. इस सुरक्षा की मुस्तैदी में नए टेक्निकल सेफ्टी सिस्टम (new technical safety systems) का इस्तेमाल किया जा रहा.
इस विषय में तिहाड़ जेल के तिहाड़ जेल के एआईजी एचपीएस सरन से मिली जानकारी के अनुसार मंडोली जेल में एक जैमर लगाया गया है. खासतौर पर यह जेल नंबर 13, 14 और 15 के लिए है, साथ ही तिहाड़ जेल में मोबाइल के उपयोग को रोकने के लिए 3 जैमर लगाए गए हैं. उनके अनुसार यह नई तकनीक है हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम (Harmonious Call Blocking System). इस तकनीक में जैमर में जो एंटीना लगे होते हैं उसकी पावर अत्यधिक होती है. इसलिए अगर कहीं से भी कोई कॉल करने की कोशिश करता है तो वह कॉल या तो लगता नहीं है या फिर वह कॉल पूरा नहीं होता.
जानकारी के अनुसार, अब जिस तरह से 4G और 5G सिस्टम आ गया है उसमें पुरानी तकनीक इन कॉल को रोक पाने में सक्षम नहीं थी. तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि तमाम कोशिशें की जा रही हैं. बावजूद इसके कुछ जगहों पर कॉल लगने की संभावना रहती है, लेकिन उसकी जानकारी इकट्ठा करने के लिए भी तमिलनाडु पुलिस और जेल सुरक्षा कर्मियों की टीम लगातार मीटिंग्स और मॉनिटरिंग करती रहती है.
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उन्होंने बताया कि नई तकनीक की कमियों का भी लगातार रिव्यू कर रहे हैं, ताकि उन कमियों को पूरी तरह से खत्म किया जाए. किसी भी हिस्से से कोई कैदी मोबाइल का इस्तेमाल ना कर सके. इसके अलावा टीम पिछले कुछ हफ्तों से लगातार उस इलाके का भी पता कर रही है, जहां डोमिनेंट टावर वर्क करता है. कई बार तिहाड़ के आसपास के पावरफुल टावर की वजह से भी कॉल पूरा होता है तो उस पर भी खासतौर पर निगरानी रखी जा रही है.
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सरन ने बताया कि जेल में जीपीएस वाली घड़ी आएगी. इससे जेल स्टाफ का किसी वार्ड और किसी भी बैरक में आने जाने की जानकारी मिलती रहेगी. अगर योजना सफल हो पाती है तो इससे न सिर्फ कैदियों, जेल स्टाफ बल्कि उनके बीच की मिलीभगत की जानकारी भी मिल जाएगी. इसके अलावा तिहाड़ के साथ-साथ मंडोली और रोहिणी जेल में पैनिक बटन भी लगाया जाएगा.
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