नई दिल्ली: वेस्ट दिल्ली के हरिनगर स्थित संतोषी माता मंदिर में न सिर्फ वेस्ट दिल्ली बल्कि पूरी दिल्ली-NCR के लोग यहां दर्शन करने आते हैं. यहां की मान्यता बहुत अधिक है. नवरात्रि में तो इस मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला सुबह 4 बजे से ही शुरू हो जाता है और काफी लंबी लाइन भी लगती है.
संतोषी माता के दर्शन से पूरी होती मनोकामना: मंदिर प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार संतोषी माता मंदिर की स्थापना जुलाई 1981 को शमशेर बहादुर सक्सेना और उनकी पत्नी कांता सक्सेना द्वारा की गई थी. इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि इसकी स्थापना जोधपुर के संतोषी माता मंदिर की प्रेरणा से किया गया था, जो जोधपुर में पहाड़ों से गिरी बहुत ही पुरानी झील लाल सागर के करीब स्थित है. इस मंदिर के गर्भ गृह में तीन देवियां मां वैष्णो, मां संतोषी और मां सरस्वती विराजमान हैं. साथ ही इस मंदिर में 80 के दशक में ही मां संतोषी की अष्ट धातु की ऐसी मूर्ति का प्रतिस्थापन किया गया.
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इसके बारे में मान्यता है कि इस मंदिर स्थापित मां संतोषी की मूर्ती न सिर्फ भारत बल्कि विश्व में अपने तरह की सबसे बड़ी मूर्ति है. नवरात्रि में माता की इस अष्टधातु की मूर्ति के दर्शन करने की मान्यता और अधिक हो जाती है. यही वजह है कि भक्तों की भीड़ आम दिनों के मुकाबले कई गुना बढ़ जाती है. मंदिर प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने इस खास मूर्ति की मान्यताओं के बारे में बताया कि जो मां के इस स्वरूप के आगे आकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं वह अवश्य पूरी हो जाता है.
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दिल्ली के किसी भी हिस्से से यहां आना बेहद आसान है. अगर सड़क मार्ग से आने की बात की जाए तो लोग धौला कुआं से सीधी तिलक नगर आने वाली सड़क का इस्तेमाल कर अपने वाहनों के साथ-साथ ऑटो टैक्सी या बस से सीधा मंदिर के करीब पहुंच सकते हैं. क्योंकि इसी रोड पर हरी नगर स्थित जेल रोड के करीब यह मंदिर स्थित है. वहीं जो भक्त मेट्रो से यहां तक पहुंचना चाहते हैं. वह तिलक नगर मेट्रो से उतर कर वहां से ई रिक्शा लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं. मेट्रो स्टेशन से 1 किलोमीटर से कम की दूरी पर यह मंदिर स्थित है और इन दिनों नवरात्रों की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.
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