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भाईचारे की मिसाल हैं ये रावण के पुतले, जिन्हें हर धर्म के बच्चे मिलकर करते हैं तैयार

टैगोर गार्डन में छोटे छोटे बच्चे ना सिर्फ धार्मिक एकता बल्कि सामाजिक तौर पर भी मिसाल पेश कर रहे हैं. दरअसल अपनी सांस्कृतिक परंपरा के लिए हिन्दू, मुस्लिम और सिख बच्चे, जिनकी उम्र 9 से 17 साल के हैं. खुद अपने हाथों से रावण के पुतले बनाते हैं.

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Published : Oct 5, 2019, 4:23 PM IST

भाईचारे की मिसाल हैं ये रावण के पुतले etv bharat

नई दिल्ली: दशहरे पर रावण दहन के लिए कुशल कारीगर तो रावण के पुतले बनाते ही हैं लेकिन वेस्ट दिल्ली के टैगोर गार्डन इलाके में छोटे-छोटे बच्चे पिछले कई सालों से रावण के पुतले बनाते हैं. ये बच्चे मुस्लिम, सिख, हिन्दू सभी समुदायों से आते हैं एकता और भाईचारे की एक अलग मिसाल कायम करते हैं.

सभी धर्मों के बच्चे मिलकर बनाते हैं रावण के पुतले

30 फुट लंबा बनता है रावण का पुतला

हर साल ये बच्चे रावण के 30 फुट ऊंचे पुतले बनाते हैं. रावण बनाने के लिए, ये बच्चे अपनी जेब से पैसे खर्च करते हैं और कम पड़ने पर आस पास के लोगों से पैसा इकट्ठा करते है. टैगोर गार्डन में छोटे छोटे बच्चे ना सिर्फ धार्मिक एकता बल्कि सामाजिक तौर पर भी मिसाल पेश कर रहे हैं. दरअसल अपनी सांस्कृतिक परंपरा के लिए हिन्दू, मुस्लिम और सिख बच्चे, जिनकी उम्र 9 से 17 साल के हैं. खुद अपने हाथों से रावण के पुतले बनाते हैं.

इनकी उम्र के साथ रावण के पुतले की लंबाई भी साल दर साल बढ़ती जा रही है. दिन रात मेहनत करके, ये जूनियर कलाकार इस बार करीब 30 फुट का सीनियर रावण बना रहे हैं. लेकिन इस बार बच्चों को एमसीडी से शिकायत है, जो इस बार इन्हें बहुत परेशान कर रही है. वाकई दिलवालों की दिल्ली में त्यौहार के दौरान कहीं ये बच्चे लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, तो कहीं रामलीला में धार्मिक एकता की मिसाल दे रहे है.

नई दिल्ली: दशहरे पर रावण दहन के लिए कुशल कारीगर तो रावण के पुतले बनाते ही हैं लेकिन वेस्ट दिल्ली के टैगोर गार्डन इलाके में छोटे-छोटे बच्चे पिछले कई सालों से रावण के पुतले बनाते हैं. ये बच्चे मुस्लिम, सिख, हिन्दू सभी समुदायों से आते हैं एकता और भाईचारे की एक अलग मिसाल कायम करते हैं.

सभी धर्मों के बच्चे मिलकर बनाते हैं रावण के पुतले

30 फुट लंबा बनता है रावण का पुतला

हर साल ये बच्चे रावण के 30 फुट ऊंचे पुतले बनाते हैं. रावण बनाने के लिए, ये बच्चे अपनी जेब से पैसे खर्च करते हैं और कम पड़ने पर आस पास के लोगों से पैसा इकट्ठा करते है. टैगोर गार्डन में छोटे छोटे बच्चे ना सिर्फ धार्मिक एकता बल्कि सामाजिक तौर पर भी मिसाल पेश कर रहे हैं. दरअसल अपनी सांस्कृतिक परंपरा के लिए हिन्दू, मुस्लिम और सिख बच्चे, जिनकी उम्र 9 से 17 साल के हैं. खुद अपने हाथों से रावण के पुतले बनाते हैं.

इनकी उम्र के साथ रावण के पुतले की लंबाई भी साल दर साल बढ़ती जा रही है. दिन रात मेहनत करके, ये जूनियर कलाकार इस बार करीब 30 फुट का सीनियर रावण बना रहे हैं. लेकिन इस बार बच्चों को एमसीडी से शिकायत है, जो इस बार इन्हें बहुत परेशान कर रही है. वाकई दिलवालों की दिल्ली में त्यौहार के दौरान कहीं ये बच्चे लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, तो कहीं रामलीला में धार्मिक एकता की मिसाल दे रहे है.

Intro:दशहरे पर रावण दहन के लिए कुशल कारीगर तो रावण के पुतले बनाते ही हैं लेकिन वेस्ट दिल्ली के टैगोर गार्डन इलाके में छोटे छोटे बच्चे पिछले कई सालों से खुद ही रावण के लगभग 30 फुट पुतले बनाते हैं. रावण बनाने के लिए, ये बच्चे अपनी जेब से पैसे खर्च करते है और कम पड़ने पर आस पास से पैसे इक्कठा करते है.

Body:टैगोर गार्डन में छोटे छोटे बच्चे ना सिर्फ धार्मिक एकता बल्कि सामाजिक तौर पर भी मिसाल पेश कर रहे हैं. दरअसल अपनी सांस्कृतिक परंपरा के लिए हिन्दू, मुस्लिम और सिख बच्चे, जिनकी उम्र लगभग 9 से 17 साल के बीच है. खुद अपने हाथों से रावण के पुतले बनाते हैं, और इनकी उम्र के साथ रावण के पुतले की लंबाई भी साल दर साल बढ़ती जा रही है. दिन रात मेहनत करके, ये जूनियर इस बार लगभग 30 फुट का सीनियर रावण बना रहे हैं. लेकिन इस बार बच्चों को एमसीडी से शिकायत है, जो इस बार इन्हें बहुत परेशान कर रही है.

Conclusion:वाकई दिलवालों की दिल्ली में त्यौहार के दौरान कहीं ये बच्चे लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, तो कहीं रामलीला में धार्मिक एकता की मिसाल दे रहे है.

बाईट--सन्नी, जूनियर कलाकार
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