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दीपावली के त्योहार पर मिट्टी के दीये की बढ़ी मांग, कारोबारी खुश

दीपावली को अब कुछ ही दिन रह गए हैं. लेकिन इस बार की दीपावली कुम्हारों के लिए भी बेहद खास होती नजर आ रही है. इस बार दीपावली पर दीपों की मांग बढ़ी है, जिससे व्यापारी खुश हैं.

Diwali festival
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Published : Oct 31, 2021, 8:34 AM IST

Updated : Nov 4, 2021, 12:25 PM IST

नई दिल्ली: दीपावली दीपों का त्योहार है. पिछले कुछ सालों में मिट्टी से बनने वाले दिए को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी जरूर, लेकिन दिए बनाने वालों की कमाई पर इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा. लेकिन इस बार दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस बार तो कारोबार दोगुनी रफ्तार पकड़ चुकी है और दीये की मांग इतनी की पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

उत्तम नगर की कुम्हार कॉलोनी में रहने वाले प्रजापति समाज के लोगों का पांच दशक से भी अधिक समय से मिट्टी के दिये और अन्य सामान बनाने का काम है. लेकिन इतने सालों में पहली बार इस कारोबार से जुड़े लोग बेहद खुश हैं. इस खुशी की दो वजह है, एक दीये की रिकॉर्डतोड़ ऑर्डर और दूसरा पिछले साल के मुकाबले दीये के दामों में दोगुना उछाल.

दिवाली पर बढ़ी दीयों की मांग

ये भी पढ़ें: देहरादून में ग्रीन दीपावली, तैयार किए जा रहे हैं इको फ्रेंडली दीये और मूर्तियां

दीये बनाने वालों का कहना है कि इसबार मिट्टी के दीयों की इतनी डिमांड है कि उन्हें खाने की भी फुरसत नहीं है. इनकी व्यस्तता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्राहकों के ऑर्डर पूरा करने के दबाव में वे अपने बच्चों को भी दीये बनाने का काम सीखा रहे हैं, जो दीये बनाने में अपने परिवार की मदद कर रहे हैं. इनकी मानें तो इस बार दिल्ली के अलावा यूपी, हरियाणा, जयपुर, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलुरु सहित कुछ और राज्यों से भी दीये के ऑर्डर आ रहे हैं. हालांकि दिल्ली से अलग दूसरे राज्यों से पहले भी ऑर्डर आते थे लेकिन इतना नहीं, और तो और कई दीये बनाने वाले तो कई ग्राहकों को मना करने पर मजबूर हैं. इनका कहना है कि जो ऑर्डर पहले से मिले हैं ये उसे ही पूरा कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं. इसकी वजह है बेमौसम बरसात, इस बरसात के कारण एक तो मिट्टी की शॉर्टेज हो गयी और जो माल बनाया उनमें से काफी भीग गया. मौसम खराब होने के कारण एक तो नए दीये बन नहीं सके और जो बने हुए थे उनको सुखाने में समस्या हुई.

ये भी पढ़ें: अयोध्या दीपोत्‍सव : रामभक्त 500 लेजर ड्रोन के जरिए देखेंगे रामकथा, 9 लाख दीये जलेंगे

प्रजापति समाज के लोगों का कहना है कि कोरोना ने इनके काम को बहुत प्रभावित किया, वरना यहां के बने दीये ऑस्ट्रेलिया, दुबई, ब्रिटेन सहित कई देशों में जाता था. बाकायदा वहां से दीये और मिट्टी के दूसरे सजावट के सामानों के ऑर्डर आते थे, लेकिन अब दो सालों से नहीं आ रहे. ये तो खुद ऑर्डर के साथ जाते थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

ये भी पढ़ें: अयोध्या : दीपोत्सव कार्यक्रम में 7.50 दीये जलाने का होगा रिकॉर्ड

इनसे मिली जानकारी के अनुसार दीये बनाने के लिए मिट्टी ये नजफगढ़ और हरियाणा बॉर्डर से मंगाते हैं. उसकी कीमत पिछले साल 2500 रुपये ट्रॉली थी जो इसबार बढ़कर 4500 हो गयी और इस वजह से मिट्टी के दीये कि जो कीमत पिछली बार 300 रुपये प्रति हजार थी वो इसबार 600 हो गयी है. पिछले साल तक इस सीजन में जो दीये कारोबारी एक से दो लाख दिए बनाते थे वो इसबार दो से चार लाख दिए बना रहे हैं.

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नई दिल्ली: दीपावली दीपों का त्योहार है. पिछले कुछ सालों में मिट्टी से बनने वाले दिए को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी जरूर, लेकिन दिए बनाने वालों की कमाई पर इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा. लेकिन इस बार दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस बार तो कारोबार दोगुनी रफ्तार पकड़ चुकी है और दीये की मांग इतनी की पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

उत्तम नगर की कुम्हार कॉलोनी में रहने वाले प्रजापति समाज के लोगों का पांच दशक से भी अधिक समय से मिट्टी के दिये और अन्य सामान बनाने का काम है. लेकिन इतने सालों में पहली बार इस कारोबार से जुड़े लोग बेहद खुश हैं. इस खुशी की दो वजह है, एक दीये की रिकॉर्डतोड़ ऑर्डर और दूसरा पिछले साल के मुकाबले दीये के दामों में दोगुना उछाल.

दिवाली पर बढ़ी दीयों की मांग

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दीये बनाने वालों का कहना है कि इसबार मिट्टी के दीयों की इतनी डिमांड है कि उन्हें खाने की भी फुरसत नहीं है. इनकी व्यस्तता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्राहकों के ऑर्डर पूरा करने के दबाव में वे अपने बच्चों को भी दीये बनाने का काम सीखा रहे हैं, जो दीये बनाने में अपने परिवार की मदद कर रहे हैं. इनकी मानें तो इस बार दिल्ली के अलावा यूपी, हरियाणा, जयपुर, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलुरु सहित कुछ और राज्यों से भी दीये के ऑर्डर आ रहे हैं. हालांकि दिल्ली से अलग दूसरे राज्यों से पहले भी ऑर्डर आते थे लेकिन इतना नहीं, और तो और कई दीये बनाने वाले तो कई ग्राहकों को मना करने पर मजबूर हैं. इनका कहना है कि जो ऑर्डर पहले से मिले हैं ये उसे ही पूरा कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं. इसकी वजह है बेमौसम बरसात, इस बरसात के कारण एक तो मिट्टी की शॉर्टेज हो गयी और जो माल बनाया उनमें से काफी भीग गया. मौसम खराब होने के कारण एक तो नए दीये बन नहीं सके और जो बने हुए थे उनको सुखाने में समस्या हुई.

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इनसे मिली जानकारी के अनुसार दीये बनाने के लिए मिट्टी ये नजफगढ़ और हरियाणा बॉर्डर से मंगाते हैं. उसकी कीमत पिछले साल 2500 रुपये ट्रॉली थी जो इसबार बढ़कर 4500 हो गयी और इस वजह से मिट्टी के दीये कि जो कीमत पिछली बार 300 रुपये प्रति हजार थी वो इसबार 600 हो गयी है. पिछले साल तक इस सीजन में जो दीये कारोबारी एक से दो लाख दिए बनाते थे वो इसबार दो से चार लाख दिए बना रहे हैं.

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Last Updated : Nov 4, 2021, 12:25 PM IST
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