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कोरोना काल: दशहरा पर्व पर रावण के पुतलों की घटी डिमांड - Dussehra festival

देश समेत राजधानी दिल्ली में इन दिनों कारोबार सुस्त है. दशहरा का त्योहार आने वाला है, लेकिन रावण के पुतलों के सबसे बड़े बाजार ततारपुर में रौनक ही गायब है. जिसके कारण रावण के पुतले बनाने वाले कारोबारियों में मायूसी छाई हुई है.

Demand of small effigies of Ravana on Dussehra festival during corona
कोरोना काल में आ रहे दशहरा पर्व पर रावण के पुतलों की घटी डिमांड
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Published : Oct 19, 2020, 9:00 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना के दौर क्या आया इसके प्रभाव से कोई भी बच नहीं पाया और पर्व त्योहार भी इस कोरोना से पूरी तरह प्रभावित होते हुए दिख रहा हैं. दशहरा का त्योहार आने वाला है, लेकिन रावण के पुतलों के सबसे बड़े बाजार ततारपुर में रौनक ही गायब है. इक्का-दुक्का रावण के पुतले बनाने वाले कारोबारी बैठे जरूर हैं, लेकिन रावण के पुतलों का कद इस बार छोटा हो गया है.

कोरोना काल में आ रहे दशहरा पर्व पर रावण के पुतलों की घटी डिमांड

परंपरा निभा रहे लोग

कारोबारी का कहना है कि जब मांग ही छोटे-छोटे पुतलों की है तो बड़े पुतला बनाकर क्या करना है. साथ ही कहा कि बड़े बना भी ले तो वह बिकेंगे नहीं. अब त्योहार है तो लोग परंपरा तो निभाएंगे. ऐसे में छोटे पुतलो के लिए ही लोग आ रहे हैं. यही वजह है कि हम छोटे-छोटे पुतले बनाकर ही अब अपनी जीविकोपार्जन में लगे हुए हैं. क्योंकि इस बार रावण जलाने की इजाजत नहीं है.

उम्मीद थी कारोबार होगा बेहतर

कारोबारी का कहना है इस बार राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो इन्हें उम्मीद थी कि जोर-शोर से रावण पूरे देश भर में जलाए जाएंगे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण कारोबार पूरी तरह से सुस्त है. पहले रावण के पुतलों को बनाने के लिए दूसरे राज्यों से भी कारीगर आते थे. लेकिन इस कोरोना के कारण सब कुछ बेकार हो गया और जबरदस्त नुकसान हुआ है.

लाखों का कारोबार चौपट

कोरोना काल से पहले ततारपुर इन दिनों चारों और रावण के पुतलों से पटा पड़ा होता था और यहां 3 फीट के रावण से लेकर 100 फुट के रावण के पुतलों को बनाया जाता था. जिसके कारण दशहरे के दौरान लाखों का कारोबार होता था. जिससे हजारों लोग इससे अपना जीवन यापन करते थे. इस कारोबार से जुड़े अधिकतर लोग साल भर की कमाई रावण के पुतलों से ही निकालते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण सब बर्बाद हो गया.

नई दिल्ली: कोरोना के दौर क्या आया इसके प्रभाव से कोई भी बच नहीं पाया और पर्व त्योहार भी इस कोरोना से पूरी तरह प्रभावित होते हुए दिख रहा हैं. दशहरा का त्योहार आने वाला है, लेकिन रावण के पुतलों के सबसे बड़े बाजार ततारपुर में रौनक ही गायब है. इक्का-दुक्का रावण के पुतले बनाने वाले कारोबारी बैठे जरूर हैं, लेकिन रावण के पुतलों का कद इस बार छोटा हो गया है.

कोरोना काल में आ रहे दशहरा पर्व पर रावण के पुतलों की घटी डिमांड

परंपरा निभा रहे लोग

कारोबारी का कहना है कि जब मांग ही छोटे-छोटे पुतलों की है तो बड़े पुतला बनाकर क्या करना है. साथ ही कहा कि बड़े बना भी ले तो वह बिकेंगे नहीं. अब त्योहार है तो लोग परंपरा तो निभाएंगे. ऐसे में छोटे पुतलो के लिए ही लोग आ रहे हैं. यही वजह है कि हम छोटे-छोटे पुतले बनाकर ही अब अपनी जीविकोपार्जन में लगे हुए हैं. क्योंकि इस बार रावण जलाने की इजाजत नहीं है.

उम्मीद थी कारोबार होगा बेहतर

कारोबारी का कहना है इस बार राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो इन्हें उम्मीद थी कि जोर-शोर से रावण पूरे देश भर में जलाए जाएंगे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण कारोबार पूरी तरह से सुस्त है. पहले रावण के पुतलों को बनाने के लिए दूसरे राज्यों से भी कारीगर आते थे. लेकिन इस कोरोना के कारण सब कुछ बेकार हो गया और जबरदस्त नुकसान हुआ है.

लाखों का कारोबार चौपट

कोरोना काल से पहले ततारपुर इन दिनों चारों और रावण के पुतलों से पटा पड़ा होता था और यहां 3 फीट के रावण से लेकर 100 फुट के रावण के पुतलों को बनाया जाता था. जिसके कारण दशहरे के दौरान लाखों का कारोबार होता था. जिससे हजारों लोग इससे अपना जीवन यापन करते थे. इस कारोबार से जुड़े अधिकतर लोग साल भर की कमाई रावण के पुतलों से ही निकालते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण सब बर्बाद हो गया.

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