नई दिल्ली: एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में जीरो सुसाइड करने के लिए प्रशासन काम कर रहा है. तिहाड़ जेल में चलाए जा रहे समर्थन कार्यक्रम के तहत बीते एक वर्ष में सात हजार कैदियों को जेल में काउंसलिंग दी गई है. इसके चलते न केवल कैदियों के झगड़े बल्कि खुदकुशी की घटनाओं में भी लगभग 85 फीसदी की कमी आई है.
तिहाड़ जेल के डीजी अजय कश्यप ने बताया कि वर्ष 2017-18 के दौरान तिहाड़ जेल में खुदकुशी की 7 घटनाएं हुई थीं. उन्होंने जब कार्यभार संभाला तो पता चला कि जेल के भीतर आने पर कैदी बहुत परेशान होते हैं. वो अपने घर-परिवार और साथियों को बहुत याद करते हैं. ऐसे में वो जेल में खुद को फंसा महसूस करते हैं और कई बार खुदकुशी कर लेते हैं.
मिले पॉजिटिव रिजल्ट
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने एम्स के साइकेट्रिक विभाग के डॉक्टर नंद कुमार और गैर सरकारी संस्था के साथ मिलकर समर्थन कार्यक्रम की शुरुआत की. इसका नतीजा ये हुआ कि बीते एक वर्ष में खुदकुशी की केवल एक घटना तिहाड़ जेल में हुई है.
'बनाएंगे जीरो सुसाइड जेल'
दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव ने बताया कि जेल में 120 काउंसलर वहां आने वाले कैदियों की कॉउंसलिंग करते हैं. जेल में उनसे बातचीत कर उनका दर्द बांटते हैं. उन्हें समझाया जाता है कि जेल के भीतर वो अपना ध्यान काम में या पढ़ाई में लगायें. इस कॉउंसलिंग से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. कॉउंसलिंग पाने वाले कैदी बताते हैं कि उन्हें इससे काफी फायदा हुआ है. वहीं खुदकुशी की घटनाएं एक साल में ही सात से केवल एक पर आ गई हैं. जेल के भीतर मारपीट की घटनाओं में भी 35 से 40 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि खुदकुशी की घटना को शून्य पर लाना इस कार्यक्रम का मकसद है.
कैदियों को डिप्रेशन से दूर रखने की कोशिश
तिहाड़ जेल के डीजी अजय कश्यप ने बताया कि जेल में आने वाले कैदियों की तुरंत स्क्रीनिंग की जाती है. उन्हें काउंसलिंग देकर ये प्रयास किया जाता है कि वो डिप्रेशन का शिकार न हों. इसके लिए उन्हें पढ़ने, पेंटिंग करने, कंप्यूटर सीखने और अन्य कामों में लगाया जाता है. धीरे-धीरे वो इनमें लग जाते हैं तो डिप्रेशन का शिकार नहीं बनते.
इसके अलावा वो जब जेल से बाहर निकलते हैं तो उनके पास एक हुनर होता है, जिससे उनके लिए रोजी-रोटी की समस्या नहीं होती. इसके चलते वो अपराध से भी दूर रहते हैं.