नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आहत और नाराज छावला गैंगरेप (chhawla gangrape case) की पीड़िता के परिजनों के साथ अन्य लोग पिछले 14 दिन से लगातार कैंडल मार्च निकाल कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की समीक्षा की मांग कर रहे थे. इस मामले में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया, जिसके बाद, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने को मंजूरी दे दी है.
पीड़िता के परिजनों ने एलजी और दिल्ली सरकार के इस कदम को उनके न्यायपालिका पर भरोसा बढ़ाने वाला बताया है, लेकिन इसके साथ ही, उन्होंने तुरंत ही दोषियों के गिरफ्तारी की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि जब तक दोषियों को फांसी नहीं मिल जाती और उनकी बेटी को न्याय नहीं मिल जाता है, तब तक उनका कैंडल मार्च हर दिन यूं ही दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में निकलता रहेगा.
बता दें कि पीड़िता दिल्ली के छावला की निवासी थी और 09 फरवरी 2012 में ऑफिस से घर लौटने के दौरान कुतुब विहार से उसका अपहरण कर लिया गया था. अपहरण के तीन दिन बाद हरियाणा में उसका शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था. इस मामले में तीनों आरोपियों राहुल, रवि और विनोद को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि 2014 में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. लेकिन हाई कोर्ट के बाद लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में चले इस मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने साक्ष्यों की कमी का हवाला देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला पलटकर उन्हें बरी कर दिया था.
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सालों से अपनी बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे पीड़िता के परिजन सुप्रीम कोर्ट के इस अप्रत्याशित फैसले से काफी आहत हैं, और लगातार इसके खिलाफ अपना विरोध भी दर्ज करा रहे हैं. हालांकि उपराज्यपाल द्वारा समीक्षा याचिका की मंजूरी के बाद, उन्हें फिर से न्यायपालिका से उम्मीद जगी है.
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