नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेनो प्राधिकरण कार्यालय पर आंदोलन कर रहे किसानों और प्राधिकरण अधिकारियों के बीच समझौते के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया है. किसानों को 30 जून तक हाई पावर कमेटी शासन स्तर पर गठित उनकी मांगों को निस्तारित करने का आश्वासन दिया गया है. हाई पावर कमेटी में औद्योगिक मंत्री, सांसद, विधायक व किसान प्रतिनिधियों सहित अधिकारियों को शामिल किया जाएगा. वहीं जेल में बंद 33 किसानों को भी रिहा कर दिया गया है. ग्रेटर नोएडा के 50 गांवों के किसान पिछले 61 दिनों से प्राधिकरण कार्यालय के बाहर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे.
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के 50 गांवों के किसान नए भूमि अधिग्रहण के तहत बढ़ा हुआ मुआवजा, 10% आवासीय प्लॉट, रोजगार, लीज बैक सहित अन्य मुद्दों को लेकर पिछले 61 दिनों से प्राधिकरण पर आंदोलन कर रहे हैं वहीं बीते 6 जून को किसानों व पुलिस के बीच प्रदर्शन के दौरान झड़प हो गई जिसके बाद पुलिस ने 33 किसानों को जेल भेज दिया था. रविवार को नोएडा में योगी आदित्यनाथ का दौरा है. उसी को देखते हुए प्राधिकरण व किसानों के बीच समझौता हुआ है.
किसान नेता रूपेश वर्मा ने बताया कि किसानों का धरना 15 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया है. प्राधिकरण किसानों के बीच यह लिखित समझौता है. वहीं किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि 15 जुलाई को एक बड़ी महापंचायत बुलाकर विजय दिवस मनाया जाएगा. जिसमें सभी विपक्षी पार्टियों एवं सहयोगी संगठनों का धन्यवाद दिया जाएगा. किसानों के साथ हुए समझौते पर प्राधिकरण के एसीईओ आनंद वर्धन के हस्ताक्षर और सरकार की ओर से राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने जेल में बंद किसानों से 6 दिन की मैराथन भागदौड़ के बाद यह समझौता संपन्न कराया.
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हाई पावर कमेटी में लिया जाएगा निर्णय: हाई पावर कमेटी नए कानून के अनुसार सर्किल रेट के रिवीजन के लिए एवं रोजगार के शासनादेश लागू करने के मुद्दों पर डीएम स्तर पर कमेटी का गठन किया जाएगा. वहीं 6 प्रतिशत के प्लॉटों पर पेनल्टी की समाप्ति, 40 वर्ग मीटर के भूमिहीनों के प्लॉट, आबादियों की लीज बैक, आबादियों की सुनवाई, आबादियों के चुने गए प्रकरणों को आगामी बोर्ड बैठक में पास कराने सहित अन्य सभी प्राधिकरण स्तर के मसलों पर प्राधिकरण स्तर से तुरंत कार्रवाई की जाएगी. यह समझौता प्राधिकरण के द्वारा लिखित हुआ है. जिसके अनुसार 15 जुलाई की तारीख तय की गई है. 15 जुलाई तक किसानों का धरना स्थगित है. कार्रवाई न होने पर किसान के द्वारा फिर से आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा.
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