नई दिल्ली: जामिया में प्रदर्शन को लेकर प्रशासन ने 5 छात्रों को शो कॉज नोटिस भेजा था. जिसके बाद से ही लगातार प्रदर्शन जारी है, आज विरोध प्रदर्शन का 10वां दिन है. प्रदर्शनकारी छात्र मंगलवार से कुलपति के कार्यालय का घेराव किए हुए हैं.
प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि जब तक प्रशासन कारण बताओ नोटिस वापस नहीं लेती है और जिन छात्रों ने हाथापाई की है उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. तब तक प्रदर्शन बदस्तूर जारी रहेगा. प्रदर्शनकारी छात्रों ने कुलपति प्रोफ़ेसर नजमा अख्तर और प्रॉक्टर के खिलाफ नारेबाजी की.
'प्रशासन ने हम पर हमला करवाया'
प्रशासन की ओर से छात्रों को समझाने की कोशिश लगातार जारी है. पूरे घटनाक्रम को लेकर विश्वविद्यालय में बुधवार को हड़ताल रहा और कोई क्लास नहीं हुई. शो कॉज नोटिस पाने वाले छात्र अनस जमाल ने कहा कि अब यह मामला केवल शो कॉज नोटिस का नहीं बल्कि जामिया के छात्रों का हो गया है. प्रशासन ने हम छात्रों पर हमला किया है जोकि पूरी तरह से निंदनीय है.
'हमारा प्रदर्शन रहेगा जारी'
उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्वक 8 दिन तक प्रदर्शन करने के बाद जब कोई इतने दिनों से हमसे मिलने नहीं आया तो मंगलवार को अपनी बात लेकर कुलपति से मिलना चाह रहे थे. लेकिन प्रशासन की ओर से हम सभी पर कार्रवाई की गई जोकि क्या दर्शाता है. प्रशासन माहौल को खराब करना चाहता था. अनस जमाल ने कहा कि अब जब तक प्रशासन शो कॉज नोटिस वापस नहीं होता और जिन छात्रों ने हम पर हमला किया है. उन पर कार्रवाई नहीं होती तब तक हमारा प्रदर्शन बदस्तूर जारी रहेगा.
'दीक्षांत समारोह का करेंगे बहिष्कार'
छात्रों का आरोप है कि कुलपति एक खास विचारधारा से प्रभावित नजर आती हैं और वह उसी विचारधारा को जामिया में छात्रों पर थोपना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि जामिया में देशभर से छात्र पढ़ने के लिए आते हैं जो कि अलग - अलग विचारधारा और समुदाय के हैं. उन्होंने मंगलवार शाम छात्रों के साथ हुए दुर्व्यवहार को निंदनीय करार दिया. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन छात्रों की मांगे नहीं मानता तो 30 अक्टूबर को दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करेंगे.
'छात्र अपनी मांगों को लिखित में दें'
पूरे मामले को लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पीआरओ अहमद अज़ीम ने कहा कि बुधवार सुबह तक इन छात्रों को समझाने की पूरी कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि प्रशासन इन छात्रों से अपनी सभी मांगों को लिखित में देने के लिए कहा रहा है लेकिन यह बात वे समझने के लिए तैयार नहीं हैं. साथ ही छात्रों को समझाने के लिए कुलपति के सलाहकार, वरिष्ठ प्रोफेसर, पूर्व छात्रों द्वारा कई बार समझाने की कोशिश की गई जो नाकाम रही.