नई दिल्ली: राजधानी में यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर भले ही कुछ भी दावे किए जाएं, लेकिन सच्चाई उससे कोसों दूर है. दरअसल नवरात्रि के बाद प्रतिमाओं और पूजा सामग्री को विसर्जित करने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से यमुना किनारे मदनपुर खादर इलाके में शिव घाट पर कृत्रिम तालाब बनाया गया था. हालांकि वह इतना बदहाल था कि लोगों को मजबूरी में यमुना नदी में ही प्रतिमाओं का विसर्जन करना पड़ा.
वहां बनाए कृत्रिम तालाब में बुधवार को पानी न के बराबर नजर आया और मंगलवार को किए गए प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद वहां की स्थिति काफी बदहाल हो चुकी थी. वहीं बुधवार को सरकार की तरफ से वहां विसर्जित की गई मूर्तियों को हटाने का कोई प्रबंध नहीं किया गया था. साथ ही सरकार की तरफ से यमुना नदी में मूर्तियों को प्रवाहित करने से रोकने के लिए भी किसी की तैनाती भी नहीं की गई थी, जिसके चलते लोग प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम तालाब में नहीं कर पाए. इसके लोगों ने यमुना नदी में ही प्रतिमाओं को विसर्जित किया.
गौरतलब है कि यमुना नदी में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक है. इसके लिए कालिंदीकुंज यमुना घाट के से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर शिव घाट पर मदनपुर खादर इलाके में कृत्रिम तालाब बनाया जाता है. हालांकि इस बार बनाया गया कृत्रिम तालाब मंगलवार को विसर्जन के बाद काफी बदहाल हो गया था, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
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