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वीर बाल दिवस कार्यक्रम में शहीदों को याद कर रमेश बिधूड़ी हुए भावुक

Veer Bal Diwas 2023: बीजेपी सांसद बिधूड़ी वसंत कुंज में आयोजित वीर बाल दिवस कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत हमें अपने बच्चों को सिखानी चाहिए.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 26, 2023, 9:52 PM IST

बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी

नई दिल्ली: बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी अक्सर आक्रामक बयान देने के लिए जाने जाते हैं, उन्हें बहुत कम देखा गया है कि वह किसी मंच पर भावुक हुए हैं. लेकिन मंगलवार को वीर बाल दिवस कार्यक्रम के मौके पर वह बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदान की गाथा सुनाते हुए भावुक हो गए.

दरअसल, 26 दिसंबर को देश भर में वीर बाल दिवस मनाया गया. उद्देश्य यही है कि कैसे 7 साल और 9 साल की उम्र में इन वीर बालकों ने अपने धर्म के रक्षा के लिए अपनी बलिदान दे दी. इनकी बलिदान जाया ना जाए इसके लिए इन्हें याद कर इनके पथ पर चलना सबको सीखना है. ताकि भविष्य में हमारा धर्म, हमारे देश की संस्कृति पर कोई गलत निगाह देखने से पहले सौ बार सोचें.

वसंत कुंज में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजक निगम पार्षद जगमोहन मेहलावत थे. यहां सिख समुदाय के लोगों के अलावा स्थानीय लोग एवं RWA के लोग भी मौजूद रहे. जब कार्यक्रम में स्पीच के दौरान दक्षिणी दिल्ली के सांसद भावुक हुए, उसके बाद उनसे इस बारे में पूछा गया. तब उन्होंने कहा कि बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदान से हमें सीखने की जरूरत है. पहले मुगलों और उसके बाद अंग्रेजों ने भारत और यहां की सनातन संस्कृति को खत्म करने की कोशिश की. वहीं, आजादी के बाद भी तुष्टीकरण के राजनीति के लिए स्थिति कुछ खास नहीं बदली.

राजनीति के नाम पर धर्म विरोधी चीज आजादी के बाद भी होती रही, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद एक परिवर्तन आया है. जिसका नतीजा है की बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदानी को आज एक शहीद बाल दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है.

बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी

नई दिल्ली: बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी अक्सर आक्रामक बयान देने के लिए जाने जाते हैं, उन्हें बहुत कम देखा गया है कि वह किसी मंच पर भावुक हुए हैं. लेकिन मंगलवार को वीर बाल दिवस कार्यक्रम के मौके पर वह बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदान की गाथा सुनाते हुए भावुक हो गए.

दरअसल, 26 दिसंबर को देश भर में वीर बाल दिवस मनाया गया. उद्देश्य यही है कि कैसे 7 साल और 9 साल की उम्र में इन वीर बालकों ने अपने धर्म के रक्षा के लिए अपनी बलिदान दे दी. इनकी बलिदान जाया ना जाए इसके लिए इन्हें याद कर इनके पथ पर चलना सबको सीखना है. ताकि भविष्य में हमारा धर्म, हमारे देश की संस्कृति पर कोई गलत निगाह देखने से पहले सौ बार सोचें.

वसंत कुंज में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजक निगम पार्षद जगमोहन मेहलावत थे. यहां सिख समुदाय के लोगों के अलावा स्थानीय लोग एवं RWA के लोग भी मौजूद रहे. जब कार्यक्रम में स्पीच के दौरान दक्षिणी दिल्ली के सांसद भावुक हुए, उसके बाद उनसे इस बारे में पूछा गया. तब उन्होंने कहा कि बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदान से हमें सीखने की जरूरत है. पहले मुगलों और उसके बाद अंग्रेजों ने भारत और यहां की सनातन संस्कृति को खत्म करने की कोशिश की. वहीं, आजादी के बाद भी तुष्टीकरण के राजनीति के लिए स्थिति कुछ खास नहीं बदली.

राजनीति के नाम पर धर्म विरोधी चीज आजादी के बाद भी होती रही, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद एक परिवर्तन आया है. जिसका नतीजा है की बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बलिदानी को आज एक शहीद बाल दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है.

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