नई दिल्ली : कोरोना महामारी की वजह से पिछले 9 महीने से रुका हुआ पोलियो टीकाकरण अभियान दोबारा शुरू हो गया है. आंगनबाड़ी सेविकाएं गली-गली घूमकर पांच साल तक के बच्चों को पोलियो की बूंदें पिला रही हैं. संगम विहार गली नंबर 16 में 7 बच्चों को 9 महीने के अंतराल के बाद टीके भी लगे. लंबे गैप का बच्चों पर क्या असर होगा ईटीवी भारत ने इस पर विशेषज्ञ से बात की.
लंबे लॉकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्ट सेवाएं बंद थीं और एक जगह भीड़ इकट्ठा होने से बचने के लिए स्वास्थ्य केंद्र को भी बंद कर दिया गया था. इसकी वजह से कभी नहीं थमने वाला टीकाकरण प्रोग्राम अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया था. विशेषज्ञ मानते हैं कि टीकाकरण प्रोग्राम निरंतर चलते रहना चाहिए. एक खुराक भी छूटी तो सुरक्षा चक्र टूटेगा.
2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में पोलियो का उन्मूलन घोषित किया था, लेकिन साथ ही सुरक्षा के लिहाज से पोलिया अभियान को जारी रखने की भी सलाह दी थी. 9 महीने तक टीकाकरण प्रभावित रहा. ऐसे में इसका कितना असर पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
पोलियो के लिए गैप से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा
एनडीएमसी के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनिल बंसल मानते हैं कि भारत से पोलियो का पहले की उन्मूलन हो चुका है. अभी जिन बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती थी, वो सावधानी के तौर पर लगाए जा रही थी. इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है. अब दोबारा अभियान शुरू कर दिया गया है तो जो संभावना भी बची होगी तो वो खत्म हो जाएगी. इसलिए जिनके घर में पांच साल तक के बच्चे हैं उन्हें जरूर पोलियो की खुराक दी जानी चाहिए.
डब्लूएचओ ने पोलियो टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की दी सलाह
' दो बूंद जिंदगी की' पल्स पोलियो अभियान कोविड की वजह से थम गया तो भारत में ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने जिसे कुछ वर्ष पूर्व ही भारत से उन्मूलित घोषित किया है, कहीं वो लौट ना आए. हेल्थ एक्सपर्ट भी मानते हैं कि कोविड ने सारी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है. कोविड की वजह से जो भी टीकाकरण अभियान रुक गए थे, उन्हें फिर से तेजी लाने की सलाह दी है.
वैक्सीनेशन से बचती हैं 30 लाख जिंदगियां
इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के माध्यम से भारत में हर साल होने वाली 20 से 30 लाख मौतों की संभावना को खत्म किया जाता है. भारत में हर गर्भवती महिलाएं और बच्चों को इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत कुछ बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने मिशन इंद्रधनुष प्रोग्राम शुरू किया था.
यह प्रोग्राम 2014 में शुरू किया गया था. मरीजों की संख्या के लिहाज से अगर देखा जाए तो मिशन इंद्रधनुष प्रोग्राम दुनिया का सबसे बड़ा प्रोग्राम है. इस मिशन के तहत भारत के 2 करोड़ 70 लाख बच्चों को हर वर्ष कम से कम पांच संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा मिलती है.
इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम रुकने पर डब्लूएचओ ने क्या कहा
इम्यूनाइजेशन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस प्रोग्राम में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आनी चाहिए, अगर थोड़े समय के लिए भी इस प्रोग्राम में रुकावट आती है तो जिन बीमारियों की सुरक्षा के लिए इम्यूनाइजेशन का प्रोग्राम चलाया जाता है वह अप्रभावी हो जाता है. वो बीमारियां फिर से उभर सकती है, खास कर खसरा और पोलियो जैसी बीमारियां. प्रोग्राम का रुक जाना या इसमें रुकावट आना सिर्फ भारत की समस्या नहीं है. कोविड-19 महामारी की वजह से पूरी दुनिया भर में यह समस्या है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि कोविड-19 की वजह से वैक्सीनेशन प्रोग्राम में जो रुकावट आई है वह बड़ी चिंता की बात है. लॉकडाउन के दौरान डिप्थीरिया पोलियो और ट्यूबरक्लोसिस प्रोग्राम काफी प्रभावित हुआ है. हेपेटाइटिस और जितने भी अलग तरह के वैक्सीन अगर समय पर नहीं लगेंगे तो ऐसा ना हो कोरोना तो ज्यादा तंग नहीं करेगा, लेकिन जिन बीमारियों पर अब तक हम नियंत्रण पा रहे थे वो बीमारियां फिर से ना परेशान करने लगे. किसी भी हाल में वैक्सीनेशन प्रोग्राम नहीं रुकनी चाहिए.