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एम्बुलेंस के लिए 14 घंटे तक एम्स के बाहर खड़ा रहा कोरोना पॉजिटिव ओटी टेक्नीशियन

एम्स नर्सिंग यूनियन से जुड़े एक व्यक्ति ने वीडियो बनाकर एम्स प्रशासन को बताया कि कैसे एक एम्पलॉई पिछले 14 घंटे से इलाज के लिए एम्स के बाहर खड़ा है. उसे वहां से वार्ड तक ले जाने के लिये ना कोई एम्बुलेंस आ रही है और ना ही एम्स प्रशासन ने एक फोन कर उसका हल-चाल पूछा. नोडल ऑफिसर जमशेद नय्यर हैं, उन्होंने भी कोई सुध नहीं ली. यह भी नहीं तय किया जा सका कि उन्हें भर्ती किया जाए या नहीं.

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Published : Jun 15, 2020, 3:07 AM IST

Updated : Jun 15, 2020, 9:04 AM IST

Covid positive AIIMS staff did not receive ambulance
कोविड पॉजिटिव एम्स स्टाफ को नहीं मिली एम्बुलेंस- घंटों करते रहे इंतजार

नई दिल्ली: एक तरफ कोरोना वॉरियर्स कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए हर मोर्चे पर डटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इनके कोविड पॉजिटिव होते ही इनके साथ सौतेला व्यवहार शुरू हो जाता है. ऐसा देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हो रहा है.

कोविड पॉजिटिव एम्स स्टाफ को नहीं मिली एम्बुलेंस- घंटों करते रहे इंतजार

एम्स के कोविड वॉरियर्स का आरोप है कि जो भी स्टाफ कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं हैं, उनके साथ एम्स प्रशासन का व्यवहार सही नहीं है. पॉजिटिव पाए गए स्टाफ को विभाग से तुरंत निकाल बाहर किया जाता है. इमरजेंसी में ओटी टेक्नीशियन जैसे ही कोविड पॉजिटिव पाए गये, उन्हें विभाग से बिना इलाज के ही तुरंत बाहर निकाल दिया गया.

नहीं ली किसी ने सुध

एम्स नर्सिंग यूनियन से जुड़े एक व्यक्ति ने वीडियो बनाकर एम्स प्रशासन को बताया कि कैसे एक एम्पलॉई पिछले 14 घंटे से इलाज के लिए एम्स के बाहर खड़ा है. उसे वहां से वार्ड तक ले जाने के लिये ना कोई एम्बुलेंस आ रही है और ना ही एम्स प्रशासन ने एक फोन कर उसका हल-चाल पूछा. नोडल ऑफिसर जमशेद नय्यर हैं, उन्होंने भी कोई सुध नहीं ली. यह भी नहीं तय किया जा सका कि उन्हें भर्ती किया जाए या नहीं.

अपने एम्प्लॉई के साथ ही सौतेला रवैया

एम्स के स्टाफ ने एम्स प्रशासन पर सवाल खड़ा किया है कि जब अपने स्टाफ के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तो बाहरी मरीजों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा? 14 घंटे से वो भूखे-प्यासे एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन इस बीच किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली.

अलग कमेटी बनाने की मांग की

एम्स स्टाफ ने एनडीएमसी के कर्मचारियों की तरह ही एम्स से अपने कर्मचारियों के लिए एक अलग से कमेटी बनाने की मांग की है. जो सिर्फ एम्स के स्टाफ को ही देखेगी. अगर ऐसा नही हुआ तो ज्यादा से ज्यादा स्टाफ कोविड इंफेक्शन की जद में आएंगे. अगर वे लोग इसी तरह बीमार होते रहे तो मरीजों की देखभाल कौन करेगा?


पहले भी आई है यह समस्या

आपको बता दें कि कोविड पॉजिटिव पाए गये नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और ओटी टेक्नीशियन के परिवार के सदस्यों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा नहीं दिए जाने को लेकर एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और स्टाफ के बीच काफी तनातनी चल रही है. जहां स्टाफ एम्बुलेंस सेवा की सुविधा देने की लगातार मांग कर रहा हैं, वहीं निदेशक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. एम्स सूत्रों के मुताबिक एम्स प्रशासन और स्टाफ एक-दूसरे को सुनने को तैयार नहीं है.

एम्स के निदेशक जिद पर अड़े

एक नर्सिंग स्टाफ ने अज्ञात रहने की शर्त पर बताया कि एम्स के निदेशक के अड़ियल रवैये की वजह से एम्स के स्टाफ काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि 'आखिर हमारी कौन-सी ऐसी मांग है जो उनके अधिकार क्षेत्र में न हो.

हम सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि ड्यूटी के दौरान जो भी स्टाफ कोविड पॉजिटिव पाये गये हैं उनके परिवार के कोविड सस्पेक्टेड सदस्यों को अस्पताल तक लाने के लिये एम्बुलेंस की सुविधा दी जाए. लेकिन निदेशक पता नहीं क्यों मना कर रहे हैं'. यह सुविधा तो आम लोगों के लिए भी उपलब्ध है तो कोविड वॉरियर्स के लिए क्यों नहीं.

नई दिल्ली: एक तरफ कोरोना वॉरियर्स कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए हर मोर्चे पर डटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इनके कोविड पॉजिटिव होते ही इनके साथ सौतेला व्यवहार शुरू हो जाता है. ऐसा देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हो रहा है.

कोविड पॉजिटिव एम्स स्टाफ को नहीं मिली एम्बुलेंस- घंटों करते रहे इंतजार

एम्स के कोविड वॉरियर्स का आरोप है कि जो भी स्टाफ कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं हैं, उनके साथ एम्स प्रशासन का व्यवहार सही नहीं है. पॉजिटिव पाए गए स्टाफ को विभाग से तुरंत निकाल बाहर किया जाता है. इमरजेंसी में ओटी टेक्नीशियन जैसे ही कोविड पॉजिटिव पाए गये, उन्हें विभाग से बिना इलाज के ही तुरंत बाहर निकाल दिया गया.

नहीं ली किसी ने सुध

एम्स नर्सिंग यूनियन से जुड़े एक व्यक्ति ने वीडियो बनाकर एम्स प्रशासन को बताया कि कैसे एक एम्पलॉई पिछले 14 घंटे से इलाज के लिए एम्स के बाहर खड़ा है. उसे वहां से वार्ड तक ले जाने के लिये ना कोई एम्बुलेंस आ रही है और ना ही एम्स प्रशासन ने एक फोन कर उसका हल-चाल पूछा. नोडल ऑफिसर जमशेद नय्यर हैं, उन्होंने भी कोई सुध नहीं ली. यह भी नहीं तय किया जा सका कि उन्हें भर्ती किया जाए या नहीं.

अपने एम्प्लॉई के साथ ही सौतेला रवैया

एम्स के स्टाफ ने एम्स प्रशासन पर सवाल खड़ा किया है कि जब अपने स्टाफ के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तो बाहरी मरीजों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा? 14 घंटे से वो भूखे-प्यासे एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन इस बीच किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली.

अलग कमेटी बनाने की मांग की

एम्स स्टाफ ने एनडीएमसी के कर्मचारियों की तरह ही एम्स से अपने कर्मचारियों के लिए एक अलग से कमेटी बनाने की मांग की है. जो सिर्फ एम्स के स्टाफ को ही देखेगी. अगर ऐसा नही हुआ तो ज्यादा से ज्यादा स्टाफ कोविड इंफेक्शन की जद में आएंगे. अगर वे लोग इसी तरह बीमार होते रहे तो मरीजों की देखभाल कौन करेगा?


पहले भी आई है यह समस्या

आपको बता दें कि कोविड पॉजिटिव पाए गये नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और ओटी टेक्नीशियन के परिवार के सदस्यों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा नहीं दिए जाने को लेकर एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और स्टाफ के बीच काफी तनातनी चल रही है. जहां स्टाफ एम्बुलेंस सेवा की सुविधा देने की लगातार मांग कर रहा हैं, वहीं निदेशक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. एम्स सूत्रों के मुताबिक एम्स प्रशासन और स्टाफ एक-दूसरे को सुनने को तैयार नहीं है.

एम्स के निदेशक जिद पर अड़े

एक नर्सिंग स्टाफ ने अज्ञात रहने की शर्त पर बताया कि एम्स के निदेशक के अड़ियल रवैये की वजह से एम्स के स्टाफ काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि 'आखिर हमारी कौन-सी ऐसी मांग है जो उनके अधिकार क्षेत्र में न हो.

हम सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि ड्यूटी के दौरान जो भी स्टाफ कोविड पॉजिटिव पाये गये हैं उनके परिवार के कोविड सस्पेक्टेड सदस्यों को अस्पताल तक लाने के लिये एम्बुलेंस की सुविधा दी जाए. लेकिन निदेशक पता नहीं क्यों मना कर रहे हैं'. यह सुविधा तो आम लोगों के लिए भी उपलब्ध है तो कोविड वॉरियर्स के लिए क्यों नहीं.

Last Updated : Jun 15, 2020, 9:04 AM IST
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