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सिर के बल पानी में छलांग लगाना घातक, ISIC ने दिया 26 वर्षीय महिला को नया जीवन

इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर ने स्विमिंग पूल में गलत तरह से छलांग लगा कर घायल होने वाली महिला की सर्जरी सफलतापूर्वक की. महिला ने स्विमिंग पूल में गलत तरह से छलांग लगा दी थी, जिसकी वजह से उसकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो गईं. इस वजह से वह लकवाग्रस्त की स्थिति में चली गईं, लेकिन डॉक्टरों के प्रयास से वह अब काफी हद तक ठीक हो चुकी हैं.

ISIC ने सफलतापूर्वक की सर्जरी
ISIC ने सफलतापूर्वक की सर्जरी
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Published : Apr 7, 2023, 4:03 PM IST

ISIC ने सफलतापूर्वक की गर्दन की हड्डी की सर्जरी

नई दिल्ली: 26 साल की पर्ल गुप्ता नामक महिला को यह कभी अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि स्विमिंग पूल में की गई उनकी एक गलती से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है. वह स्विमिंग पूल में जब तैरने के लिए उतरी तो उन्होंने सिर के बल छलांग लगाई, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो गईं. इस कारण वह लकवाग्रस्त की स्थिती में चली गईं, फिलहाल इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (ISIC) के सर्जनों के अनुभव और विशेषज्ञता के परिणामस्वरूप वह अब अपनी लकवाग्रस्त स्थिति से उबर चुकी है और पहले से काफी हद तक ठीक भी हो चुकी हैं.

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (ISIC) के मिनिमली इनवेसिव और स्पाइनल डिफ़ॉर्मिटी रोबोटिक सर्जन के सीनियर कंसल्टेंट और यूनिट चीफ डॉ. गुरुराज सांगोंडीमठ ने पर्ल की रीढ़ की सर्जरी सफलतापूर्वक की. उन्होंने बताया कि लोग जागरुकता की कमी के कारण स्थिर पानी में सिर के बल कूदते हैं, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो जाती हैं और वो चोट लगने से लकवाग्रस्त की स्थिति में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि हम स्पाइनल फ्यूजन और फिक्सेशन सर्जरी करते हैं, जिसमें आमतौर पर लगभग डेढ़ से तीन घंटे लगते हैं. इसके बाद मरीज को ठीक होने में डेढ़ से छह महीने का वक्त लग सकता है.

स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाना है खतरनाक: पर्ल गुप्ता के बारे में बात करते हुए डॉ. गुरुराज ने बताया कि लोगों में तैराकी को लेकर जागरुकता की कमी के चलते, जब वे स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाते हैं तो उनकी गर्दन की हड्डी टूट जाती है. पर्ल के मामले में भी यही हुआ, उसने जैसे ही स्विमींग पूल में छलांग लगाया उसकी गर्दन अंदर से छतिग्रस्त हो गई, फिर उसे आईएसआईसी में लाया गया. गहन मूल्यांकन के बाद यह बात पता चली कि जहां गर्दन की हड्डी रीढ़ से जुड़ी हुई थी वहीं पर फ्रैक्चर हो गया था. इस स्थिति में फ्रैक्चर को स्थिर करने, दबाव को दूर करने व रीढ़ की हड्डी को डीकंप्रेस करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता थी, जिसके बाद यह जटिल सर्जरी की गई और उसे बचाया गया.

1.52 मीटर से कम गहरे पानी में आती हैं 89% चोटें: आईएसआईसी कई सालों से इस प्रकार के मामले देखते आ रहा है, जिसमें ज्यादातर 15 से 35 साल के लोग पानी में छलांग लगाने के दौरान घायल हो जाते हैं. इसके लिए उन्हें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए तभी वे इस दौरान चोट लगने से बच सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक छलांग लगाने से पहले पानी की गहराई का अंदाजा लगाना चाहिए. कुछ अध्ययन के अनुसार 89% चोटें 1.52 मीटर से कम गहरे पानी में ही आती हैं. 1.5 मीटर की अधिकतम गहराई वाले पानी में छलांग के बाद रीढ़ की हड्डी की चोट की घटनाएं 1.2 और 21% के बीच होती हैं.

सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति में सुधार: पर्ल ने आईएसआईसी के विशेषज्ञों का धन्यवाद देते हुए बताया कि वे अब वेंटिलेटर और आईसीयू से बाहर आ गई हैं और धीरे-धीरे बैठने भी लगी हैं. उन्होंने बताया कि आईएसआईसी के प्रयासों के बाद अब मेरे ऊपरी अंगों की शक्ति धीरे-धीरे वापस आ गई है, लेकिन निचले अंगों की शक्ति आने में समय लग रहा है, परंतु फिजियोथेरेपी से मुझे अब निचले अंगों में धीरे-धीरे कुछ सनसनी महसूस हो रही है. डॉ. गुरुराज की सलाह पर मैं सख्ती से रिहैबिलिटेशन करवा रही हूं और मुझे अब विश्वास है कि मैं व्हीलचेयर के बाद धीरे-धीरे चलने भी लगूंगी.

विशेषज्ञों के अनुसार, अब पुनर्वास प्रक्रिया से धीरे-धीरे मरीज की स्थिति में सुधार हो रहा है. यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे मरीज को मानसिक और शारीरिक शक्ति भी वापस आती है और वह नया जीवन जी सकता है. इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर सुगंध अहलूवालिया ने कहा कि इस प्रकार के चोटों को लेकर हमें लोगों को उपचार और देखभाल के बारे में जानकारी देनी होगी.

इसे भी पढ़े: एकतरफा प्यार में अंधे आशिक की करतूत का वीडियो वायरल, युवती को गोली मारने के बाद खा लिया था जहर

ISIC ने सफलतापूर्वक की गर्दन की हड्डी की सर्जरी

नई दिल्ली: 26 साल की पर्ल गुप्ता नामक महिला को यह कभी अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि स्विमिंग पूल में की गई उनकी एक गलती से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है. वह स्विमिंग पूल में जब तैरने के लिए उतरी तो उन्होंने सिर के बल छलांग लगाई, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो गईं. इस कारण वह लकवाग्रस्त की स्थिती में चली गईं, फिलहाल इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (ISIC) के सर्जनों के अनुभव और विशेषज्ञता के परिणामस्वरूप वह अब अपनी लकवाग्रस्त स्थिति से उबर चुकी है और पहले से काफी हद तक ठीक भी हो चुकी हैं.

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (ISIC) के मिनिमली इनवेसिव और स्पाइनल डिफ़ॉर्मिटी रोबोटिक सर्जन के सीनियर कंसल्टेंट और यूनिट चीफ डॉ. गुरुराज सांगोंडीमठ ने पर्ल की रीढ़ की सर्जरी सफलतापूर्वक की. उन्होंने बताया कि लोग जागरुकता की कमी के कारण स्थिर पानी में सिर के बल कूदते हैं, जिससे उनकी गर्दन की हड्डियां छतिग्रस्त हो जाती हैं और वो चोट लगने से लकवाग्रस्त की स्थिति में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि हम स्पाइनल फ्यूजन और फिक्सेशन सर्जरी करते हैं, जिसमें आमतौर पर लगभग डेढ़ से तीन घंटे लगते हैं. इसके बाद मरीज को ठीक होने में डेढ़ से छह महीने का वक्त लग सकता है.

स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाना है खतरनाक: पर्ल गुप्ता के बारे में बात करते हुए डॉ. गुरुराज ने बताया कि लोगों में तैराकी को लेकर जागरुकता की कमी के चलते, जब वे स्थिर पानी में सिर के बल छलांग लगाते हैं तो उनकी गर्दन की हड्डी टूट जाती है. पर्ल के मामले में भी यही हुआ, उसने जैसे ही स्विमींग पूल में छलांग लगाया उसकी गर्दन अंदर से छतिग्रस्त हो गई, फिर उसे आईएसआईसी में लाया गया. गहन मूल्यांकन के बाद यह बात पता चली कि जहां गर्दन की हड्डी रीढ़ से जुड़ी हुई थी वहीं पर फ्रैक्चर हो गया था. इस स्थिति में फ्रैक्चर को स्थिर करने, दबाव को दूर करने व रीढ़ की हड्डी को डीकंप्रेस करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता थी, जिसके बाद यह जटिल सर्जरी की गई और उसे बचाया गया.

1.52 मीटर से कम गहरे पानी में आती हैं 89% चोटें: आईएसआईसी कई सालों से इस प्रकार के मामले देखते आ रहा है, जिसमें ज्यादातर 15 से 35 साल के लोग पानी में छलांग लगाने के दौरान घायल हो जाते हैं. इसके लिए उन्हें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए तभी वे इस दौरान चोट लगने से बच सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक छलांग लगाने से पहले पानी की गहराई का अंदाजा लगाना चाहिए. कुछ अध्ययन के अनुसार 89% चोटें 1.52 मीटर से कम गहरे पानी में ही आती हैं. 1.5 मीटर की अधिकतम गहराई वाले पानी में छलांग के बाद रीढ़ की हड्डी की चोट की घटनाएं 1.2 और 21% के बीच होती हैं.

सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति में सुधार: पर्ल ने आईएसआईसी के विशेषज्ञों का धन्यवाद देते हुए बताया कि वे अब वेंटिलेटर और आईसीयू से बाहर आ गई हैं और धीरे-धीरे बैठने भी लगी हैं. उन्होंने बताया कि आईएसआईसी के प्रयासों के बाद अब मेरे ऊपरी अंगों की शक्ति धीरे-धीरे वापस आ गई है, लेकिन निचले अंगों की शक्ति आने में समय लग रहा है, परंतु फिजियोथेरेपी से मुझे अब निचले अंगों में धीरे-धीरे कुछ सनसनी महसूस हो रही है. डॉ. गुरुराज की सलाह पर मैं सख्ती से रिहैबिलिटेशन करवा रही हूं और मुझे अब विश्वास है कि मैं व्हीलचेयर के बाद धीरे-धीरे चलने भी लगूंगी.

विशेषज्ञों के अनुसार, अब पुनर्वास प्रक्रिया से धीरे-धीरे मरीज की स्थिति में सुधार हो रहा है. यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे मरीज को मानसिक और शारीरिक शक्ति भी वापस आती है और वह नया जीवन जी सकता है. इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर सुगंध अहलूवालिया ने कहा कि इस प्रकार के चोटों को लेकर हमें लोगों को उपचार और देखभाल के बारे में जानकारी देनी होगी.

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