नई दिल्ली: सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज जारी है. यहां तक की दिल्ली के सभी अस्पताल कोरोना मरीजों से ग्रस्त हैं. ऐसे में जो नॉन-कोविड मरीज है और जो खतरनाक बीमारी से पीड़ित है, उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं.
कुछ ऐसा ही दिल्ली के शास्त्री पार्क निवासी मोहम्मद सुल्तान के साथ हुआ. वे पिछले 6 महीने से बिस्तर पर है. उनके कूल्हे की हड्डी पूरी तरह से गल चुकी है और उन्हे इसकी वजह से काफी दर्द भी होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते हर अस्पताल से उन्हे लौटा दिया जा रहा है.
वह परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति है. ऑटो चलाकर किराये के मकान में रहकर किसी तरह गुजारा करते थे, लेकिन अब वो ये काम भी नहीं कर पा रहे है. 30 अप्रैल को वह जीटीबी अस्पताल में गये थे, लेकिन वहां से भी उन्हे फटकार कर भगा दिया गया.
नॉन-कोविड मरीजों के लिए बढ़ी परेशानी
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ओपीडी सेवा बंद है और पूरा स्टाफ कोविड मरीजों को ही अटेंड कर रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कुछ अस्पतालों को नॉन कोविड मरीजों के इलाज के लिए क्यों नहीं आरक्षित किया गया. अगर ऐसा हुआ होता तो आज सुल्तान अपने किराये के घर में तिल-तिल कर मर नहीं रहे होते.
15 साल पहले हुआ था एक्सीडेंट
सुल्तान के पड़ोसियों ने बताया कि करीब 15 साल पहले सुल्तान का एक्सीडेंट हो गया था. उस समय ठीक से इलाज कराया नहीं जा सका. तभी से उन्हे कूल्हे में दर्द रहने लगा. पिछले साल जब उनके कुल्हे का दर्द ज्यादा बढ़ गया तो वे आरएमएल अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे.
वहां दवाई देकर दर्द को ठीक कर दिया गया. लेकिन दवाई का असर जब खत्म हुआ तो एक बार फिर उनको असहनीय दर्द उठा. इस बार वे सेंट स्टीफन हॉस्पिटल गये. वहां सारी जांच करने के बाद हिप रिप्लेसमेंट के बारे में कहा गया, जिसका खर्च 2 लाख रुपये बताया गया. सुल्तान के पास ऑटो के अलावा कोई और प्रॉपर्टी नहीं है. वो इसे बेचकर भी अपना इलाज कराना चाहते है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनके ऑटो का कोई खरीददार भी नहीं मिल रहा है.
जीटीबी अस्पताल से लौटाया
30 अप्रैल को जब सुल्तान की तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी तो उन्हे जीटीबी अस्पताल ले जाया गया. वहां उन्हे यह कहकर भगा दिया गया कि जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता है और ओपीडी सेवा शुरू नहीं हो जाती है, तब तक उनका इलाज वहां नहीं हो सकता है.
सुल्तान ने जब स्थानीय विधायक दिलीप पांडे से जब मदद की गुहार लगाई गई तो उन्होंने उसके हॉस्पिटल के सारे पेपर्स देखने के बाद कहा कि मरीज की तबीयत ज्यादा गंभीर नहीं है. जब कोई इमरजेंसी होगी तभी उन्हे इमरजेंसी वार्ड में दिखाया जाएगा.