नई दिल्ली: राजधानी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर योग से अल्जाइमर के इलाज पर शोध कर रहे हैं, जो तीन वर्ष तक चलेगा. उन्हें उम्मीद है कि योग माइल्ड अल्जाइमर के इलाज में मददगार होगा और इसकी मदद से हल्के लक्षण वाले अल्जाइमर को गंभीर बीमारी में तब्दील होने से रोका जा सकेगा. हालांकि शोध के परिणाम आने के बाद ही डॉक्टर किसी नतीजे फर पहुंचेंगे. यह बात एम्स के डॉक्टरों ने बताई.
एम्स के न्यूरोलॉजी और एनाटॉमी विभाग के डॉक्टर मिलकर यह शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ने का असर शरीर के हर हिस्से पर होता है, जिससे मस्तिष्क भी अछूता नहीं है. इस वजह से लोगों को भूलने की समस्या होने लगती है. अल्जाइमर की शुरुआत हल्के लक्षणों के साथ होती है, जिसे अक्सर लोग समझ नहीं पाते, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारी गंभीर हो जाती है. यह डिमेंशिया के करीब 70 प्रतिशत मामलों का कारण बनता है.
वहीं न्यूरोलॉजी विभाग की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि डिमेंशिया की हल्की बीमारी से पीड़ित 25 प्रतिशत मरीजों की बीमारी, हर वर्ष गंभीर डिमेंशिया में तब्दील हो जाती है. जेनेटिक कारणों के साथ-साथ गलत जीवनशैली भी इस बीमारी का कारण बनता है. इसका मुख्य कारण मोटापा, लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने की आदत, हाइपरटेंशन, धूमपान, तनाव, मस्तिष्क पर बार-बार चोट लगना आदि होता है. योग से मस्तिष्क नियंत्रित रहता है.
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वहीं एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने कहा कि योग पर पहले हुए अध्ययन में पाया गया है कि इससे न्यूरो प्लास्टिसिटी बेहतर होती है. योग से तनाव कम होता है और बुढ़ापे की प्रक्रिया भी धीमी होती है. इसे ही ध्यान में रखकर अल्जाइमर का योग की मदद से इलाज करने पर शोध शुरू किया गया है. 45 से कम उम्र के वे लोग इसमें हिस्सा ले सकते हैं, जिन्हें भूलने की बीमारी है. वे एम्स के मातृ एवं शिशु ब्लाक में मौजूद योग सेंटर में पहुंच सकते हैं. स्क्रीनिंग और जांच के बाद उन्हें इस शोध में शामिल किया जाएगा.