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मालिक के हाथों शोषण की शिकार बच्ची को DCW ने मुक्त कराया

दिल्ली महिला आयोग ने जीटीबी नगर से एक 13 वर्षीय किशोरी को रेस्क्यू किया. किशोरी से जबरदस्ती पिछले चार साल से घरेलू नौकर के रूप में काम करवाया जा रहा था. साथ ही बच्ची के साथ नियमित रूप से दुर्व्यवहार और मारपीट की जा रही थी.

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Published : May 17, 2022, 10:55 AM IST

डीसीडब्ल्यू ने मुक्त कराया
डीसीडब्ल्यू ने मुक्त कराया

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग ने सोमवार को दिल्ली के जीटीबी नगर के एक घर से एक 13 वर्षीय अनाथ लड़की को रेस्क्यू किया, जिससे जबरन घरेलू नौकर के तौर पर काम करवाया जा रहा था, साथ ही उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता था. आयोग को 181 महिला हेल्पलाइन नंबर पर एक अज्ञात स्रोत के माध्यम से मामले की पूरी जानकारी मिली. सूचना देने वाले ने आयोग को 13 साल की बच्ची की जानकारी देते हुए बताया कि बच्ची को घरेलू नौकर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था. साथ ही आरोपी परिवार द्वारा बच्ची के साथ नियमित रूप से दुर्व्यवहार और मारपीट की जा रही थी.

मामले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही दिल्ली महिला आयोग की एक टीम तुरंत दिल्ली पुलिस के साथ लड़की को रेस्क्यू करने के लिए मौके पर पहुंची. वहां पहुंचने के बाद आयोग को बच्ची को छुड़ाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि आरोपी मामले को छिपाने की कोशिश में जुट गए और आयोग की टीम का विरोध करने लगे. अंतत: आयोग एवं दिल्ली पुलिस के प्रयासों से लड़की को बचा लिया गया और उसको सुरक्षित एक शेल्टर होम में ले जाया गया. बच्ची ने आयोग को उसके साथ उसके मालिक द्वारा किए गए सभी अत्याचारों एवं अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया.

लड़की ने आयोग को बताया कि वह अनाथ है और उसकी दो बहनें हैं और वह उत्तराखंड की रहने वाली है. पिछले चार साल से वह दिल्ली के इस घर में घरेलू सहायिका के रूप में मजबूरन काम कर रही थी, जिसके लिए उसको किसी तरह का कोई वेतन नहीं मिला. उसने आगे ये भी बताया कि जब उसको दिल्ली लाया गया तब वह केवल नौ वर्ष की थी और तब से आज तक आरोपी परिवार ने बच्ची को उसके परिवार से उसे मिलने की अनुमति नहीं दी. यहां तक ​​कि जब दो साल पहले उसकी मां की मृत्यु हुई तब भी आरोपी परिवार वालों ने उसको उसकी मां के अंतिम संस्कार तक में नहीं जाने दिया.

मासूम बच्ची ने बेहद दर्द से बताया कि उससे पूरे दिन घर का काम करवाया जाता था और आरोपी परिवार वाले छोटी से छोटी बातों पर उसके साथ बदसलूकी, मार-पीट और गाली-गलौज करते थे. पिछले चार सालों में बच्ची ने कई बार घर जाने के लिए कहा, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई और उस से जबरन एवं बिना किसी वेतन के काम करवाया जा रहा था. मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को तुरंत नोटिस जारी कर मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने तथा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. साथ ही बाल कल्याण समिति को मजदूरी वसूली एवं बालिका के पुनर्वास के लिए कहा गया है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने घटना पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, मैं उस दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकती जो उस मासूम सी लड़की को सहना पड़ा. इस मामले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उस बेचारी बच्ची के हक के पैसे और वेतन उसको अवश्य मिलना चाहिए और बाल कल्याण समिति द्वारा उसका पुनर्वास किया जाना चाहिए. आयोग बच्ची की मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करेगा.

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग ने सोमवार को दिल्ली के जीटीबी नगर के एक घर से एक 13 वर्षीय अनाथ लड़की को रेस्क्यू किया, जिससे जबरन घरेलू नौकर के तौर पर काम करवाया जा रहा था, साथ ही उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता था. आयोग को 181 महिला हेल्पलाइन नंबर पर एक अज्ञात स्रोत के माध्यम से मामले की पूरी जानकारी मिली. सूचना देने वाले ने आयोग को 13 साल की बच्ची की जानकारी देते हुए बताया कि बच्ची को घरेलू नौकर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था. साथ ही आरोपी परिवार द्वारा बच्ची के साथ नियमित रूप से दुर्व्यवहार और मारपीट की जा रही थी.

मामले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही दिल्ली महिला आयोग की एक टीम तुरंत दिल्ली पुलिस के साथ लड़की को रेस्क्यू करने के लिए मौके पर पहुंची. वहां पहुंचने के बाद आयोग को बच्ची को छुड़ाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि आरोपी मामले को छिपाने की कोशिश में जुट गए और आयोग की टीम का विरोध करने लगे. अंतत: आयोग एवं दिल्ली पुलिस के प्रयासों से लड़की को बचा लिया गया और उसको सुरक्षित एक शेल्टर होम में ले जाया गया. बच्ची ने आयोग को उसके साथ उसके मालिक द्वारा किए गए सभी अत्याचारों एवं अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया.

लड़की ने आयोग को बताया कि वह अनाथ है और उसकी दो बहनें हैं और वह उत्तराखंड की रहने वाली है. पिछले चार साल से वह दिल्ली के इस घर में घरेलू सहायिका के रूप में मजबूरन काम कर रही थी, जिसके लिए उसको किसी तरह का कोई वेतन नहीं मिला. उसने आगे ये भी बताया कि जब उसको दिल्ली लाया गया तब वह केवल नौ वर्ष की थी और तब से आज तक आरोपी परिवार ने बच्ची को उसके परिवार से उसे मिलने की अनुमति नहीं दी. यहां तक ​​कि जब दो साल पहले उसकी मां की मृत्यु हुई तब भी आरोपी परिवार वालों ने उसको उसकी मां के अंतिम संस्कार तक में नहीं जाने दिया.

मासूम बच्ची ने बेहद दर्द से बताया कि उससे पूरे दिन घर का काम करवाया जाता था और आरोपी परिवार वाले छोटी से छोटी बातों पर उसके साथ बदसलूकी, मार-पीट और गाली-गलौज करते थे. पिछले चार सालों में बच्ची ने कई बार घर जाने के लिए कहा, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई और उस से जबरन एवं बिना किसी वेतन के काम करवाया जा रहा था. मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को तुरंत नोटिस जारी कर मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने तथा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. साथ ही बाल कल्याण समिति को मजदूरी वसूली एवं बालिका के पुनर्वास के लिए कहा गया है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने घटना पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, मैं उस दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकती जो उस मासूम सी लड़की को सहना पड़ा. इस मामले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उस बेचारी बच्ची के हक के पैसे और वेतन उसको अवश्य मिलना चाहिए और बाल कल्याण समिति द्वारा उसका पुनर्वास किया जाना चाहिए. आयोग बच्ची की मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करेगा.

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