नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार इलाके में स्थित एक सरकारी स्कूल के तीन छात्रों ने क्लास के मॉनिटर को चाकू मारकर घायल कर दिया. बताया जा रहा है कि पीड़ित छात्र क्लास का मॉनिटर है. शिक्षकों के कहने पर उसने क्लास के कुछ उन बच्चों के नाम की सूची प्रिंसिपल को सौंपी थी जो क्लास में समस्या पैदा करते हैं. इस बात से नाराज छात्रों ने उस पर शुक्रवार सुबह चाकू से हमला कर दिया. मामला दक्षिणी दिल्ली जिले के तिगड़ी थाना क्षेत्र का है.
चाकू उसके पेट और पीठ में लगा है. चाकू के हमले से लहूलुहान छात्र को स्कूल के शिक्षकों ने अस्पताल पहुंचाया. इलाज के के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. छात्र के घर वालों ने पुलिस को शिकायत दी है. हमला करने वाले छात्रों में तीन चार छात्र हैं. सभी छात्र बारहवीं के हैं और तिगड़ी जेजे कॉलोनी में रहते हैं. सभी नाबालिग हैं.
पुलिस जांच में सामने आया है कि क्लास के मॉनिटर ने शरारती बच्चों की लिस्ट प्रिंसिपल को सौंपने के बाद 3 बच्चों के नाम क्लास के ब्लैक बोर्ड पर लिख दिए थे. इन बच्चों को शिक्षक द्वारा पनिशमेंट दिया जाना था. इस बात से नाराज तीनों छात्रों ने मॉनिटर को धमकी देते हुए कहा स्कूल के बाहर तुम्हें देखेंगे. इसके बाद स्कूल के गेट के बाहर ही तीनों ने पीड़ित छात्र पर चाकू से हमला कर दिया.
कालकाजी में भी हो चुकी है ऐसी घटनाः दिल्ली के कालकाजी इलाके में पिछले महीने ही सरकारी स्कूल में छात्र खेलते वक्त आपस में भिड़ गए थे. स्कूल के अंदर छोटे से झगड़े में चाकूबाजी और मारपीट की घटना हुई थी. इस चाकूबाजी में 14 साल का एक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया था. उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस घटना की जानकारी 19 अप्रैल को कालकाजी पुलिस स्टेशन में मिली थी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर सरकारी स्कूलों में छात्र चाकू जैसे हथियार लेकर कैसे पहुंच रहे हैं. यह हाल तब है जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पहले से काफी सुधारने की दावे किए जा रहे हैं.
छात्र क्यों दे देते हैं आपराधिक घटनाओं को अंजाम: इसको लेकर मनोचिकित्सक एवं इहबास अस्पताल के उपचिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओम प्रकाश कहते हैं कि स्कूल में भी दो तरह के बच्चे होते हैं. एक ऐसे जिनमें लीडरशिप के गुण होते हैं. एक वे जो दूसरे को फॉलो करते हैं. लीडरशिप के गुण वाले बच्चे दूसरे बच्चे के द्वारा खुद के साथ कोई असम्मानजनक व्यवहार होने पर उग्र हो जाते हैं. वे अपने लीडरशिप के गुण को प्रदर्शित करने के लिए इस तरह की घटना को अंजाम दे देते हैं. इस तरह की घटनाएं बच्चों में इसलिए बढ़ रही हैं, क्योंकि बच्चों में हाइलाइट होने की भी एक मानसिकता पनपने लगी है, जो समाज के लिए घातक है.यह मानसिकता पनपने से समाज में इसके घातक परिणाम भी सामने आ सकते हैं. कुछ बच्चों के दिमाग में यह बात भी रहती है कि वह नाबालिग हैं तो उनके खिलाफ कोई सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाएगी. साथ ही स्कूल में उनका दबदबा भी बन जाएगा. कुछ बच्चों की प्रवृत्ति भी आपराधिक होती है, तो वह जल्दी आवश में आ जाते हैं.