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AIIMS: कैंसर मरीजों के लिए एम्स में 22 सितंबर को लगेगा ब्लड डोनेशन कैंप

सितंबर महीना कैंसर अवेयरनेस मंथ और 22 सितंबर को कैंसर से जिंदगी गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए वर्ल्ड रोज डे के रूप में मनाया जाता है. एम्स इस अवसर पर अपने परिवार के दो सदस्यों की ब्लड कैंसर की वजह से हाल ही में मौत हो जाने पर उनकी याद में 22 सितंबर को श्रद्धांजलि सभा और ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन करने जा रहा है. कोरोना महामारी के दौरान भी एम्स में ब्लड डोनेशन कैंप के जरिए 3500 यूनिट ब्लड जमा किया जा चुका है.

Blood donation camp in AIIMS on 22 September in honor of cancer patients
AIIMS : कैंसर मरीजों के सम्मान में एम्स में 22 सितंबर को ब्लड डोनेशन कैंप
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Published : Sep 19, 2020, 5:29 PM IST

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ब्लड कैंसर के कारण एम्स परिवार ने हाल ही में दो साथियों को खो दिया था. उनकी याद में 22 सितंबर मंगलवार को एम्स के जवाहरलाल नेहरू ऑडिटोरियम में वर्ल्ड रोज डे के अवसर पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए एम्स के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में एम्स पहुंच कर रक्तदान करें.

वीडियो रिपोर्ट

एम्स के कोरोना वारियर्स को दी जाएगी श्रद्धांजलि

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि सितंबर महीना कैंसर जागरूकता महीना होता है और 22 सितंबर वर्ल्ड रोज डे कैंसर मरीजों की याद में मनाया जाता है. इसमें ब्लड कैंसर के उन मरीजों को रोज डे के दिन श्रद्धांजलि दी जाती है, जिनकी मौत हो जाती है.

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि एम्स परिवार ने ब्लड कैंसर की वजह से अपने दो सदस्यों को खो दिया है. रेडियो डायग्नोसिस डिपार्टमेंट के डॉक्टर अरुण और एक नर्सिंग ऑफिसर की ब्लड कैंसर की वजह से मौत हो गई थी. रोज डे के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. इसके अलावा एम्स परिवार के जितने भी कोरोना वॉरियर्स की मौत हुई है उन्हें भी श्रद्धांजलि दी जाएगी.

कैंसर के मरीजों के ब्लड की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैम्प

आपको बता दें कि कैंसर के मरीजों को ज्यादा मात्रा में ब्लड की आवश्यकता होती है. ब्लड की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन हर साल किया जाता है. कोरो काल में नर्सिंग ऑफिसर के सहयोग से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन कर 3500 यूनिट ब्लड जमा किया जा चुका है.

इनके प्रयासों की बदौलत ही कोरोना महामारी के दौरान एम्स में मरीजों के लिए ब्लड की कोई कमी नहीं होने दी गई. एम्स में मरीजों से रिप्लेसमेंट बल्ड नहीं लिया जाता है, क्योंकि यहां दूरदराज से मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं. इनके साथ कोई रिश्तेदार नहीं होता है, जो उनके लिए ब्लड डोनेट कर सके. ऐसी परिस्थिति में एम्स के ब्लड बैंक में जमा बल्ड से उनकी मदद की जाती है.

22000 एम्स परिवार के सदस्य

एम्स में सभी विभागों में 22000 से ज्यादा कर्मचारी फैकल्टी और अधिकारी काम करते हैं. यहां हर 6 महीने में मेगा ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है और हर महीने छोटे-छोटे कैंप का आयोजन किया जाता है ताकि कैंसर के मरीजों को ब्लड की कमी ना होने पाए.






नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ब्लड कैंसर के कारण एम्स परिवार ने हाल ही में दो साथियों को खो दिया था. उनकी याद में 22 सितंबर मंगलवार को एम्स के जवाहरलाल नेहरू ऑडिटोरियम में वर्ल्ड रोज डे के अवसर पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए एम्स के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में एम्स पहुंच कर रक्तदान करें.

वीडियो रिपोर्ट

एम्स के कोरोना वारियर्स को दी जाएगी श्रद्धांजलि

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि सितंबर महीना कैंसर जागरूकता महीना होता है और 22 सितंबर वर्ल्ड रोज डे कैंसर मरीजों की याद में मनाया जाता है. इसमें ब्लड कैंसर के उन मरीजों को रोज डे के दिन श्रद्धांजलि दी जाती है, जिनकी मौत हो जाती है.

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि एम्स परिवार ने ब्लड कैंसर की वजह से अपने दो सदस्यों को खो दिया है. रेडियो डायग्नोसिस डिपार्टमेंट के डॉक्टर अरुण और एक नर्सिंग ऑफिसर की ब्लड कैंसर की वजह से मौत हो गई थी. रोज डे के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. इसके अलावा एम्स परिवार के जितने भी कोरोना वॉरियर्स की मौत हुई है उन्हें भी श्रद्धांजलि दी जाएगी.

कैंसर के मरीजों के ब्लड की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैम्प

आपको बता दें कि कैंसर के मरीजों को ज्यादा मात्रा में ब्लड की आवश्यकता होती है. ब्लड की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन हर साल किया जाता है. कोरो काल में नर्सिंग ऑफिसर के सहयोग से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन कर 3500 यूनिट ब्लड जमा किया जा चुका है.

इनके प्रयासों की बदौलत ही कोरोना महामारी के दौरान एम्स में मरीजों के लिए ब्लड की कोई कमी नहीं होने दी गई. एम्स में मरीजों से रिप्लेसमेंट बल्ड नहीं लिया जाता है, क्योंकि यहां दूरदराज से मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं. इनके साथ कोई रिश्तेदार नहीं होता है, जो उनके लिए ब्लड डोनेट कर सके. ऐसी परिस्थिति में एम्स के ब्लड बैंक में जमा बल्ड से उनकी मदद की जाती है.

22000 एम्स परिवार के सदस्य

एम्स में सभी विभागों में 22000 से ज्यादा कर्मचारी फैकल्टी और अधिकारी काम करते हैं. यहां हर 6 महीने में मेगा ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है और हर महीने छोटे-छोटे कैंप का आयोजन किया जाता है ताकि कैंसर के मरीजों को ब्लड की कमी ना होने पाए.






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