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Shraddha Murder Case: आफताब के नार्को टेस्ट से खुलेंगे कई राज, साकेत कोर्ट में पुलिस ने दिया आवेदन

श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) में दिल्ली पुलिस ने आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन दिया (Application in Saket court for narco test of accused Aftab) है. कोर्ट के आदेश के बाद आरोपी का नार्को टेस्ट कराया जाएगा. फिलहाल श्रद्धा के शव के टुकड़ों की खोज चल रही है.

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आफताब का होगा नार्को टेस्ट
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Published : Nov 16, 2022, 4:48 PM IST

Updated : Nov 16, 2022, 6:39 PM IST

नई दिल्ली: श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) में सच्चाई तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस ने आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन दिया (Application in Saket court for narco test of accused Aftab) है. कोर्ट ने इस मामले में अभी तक अपना आदेश नहीं दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद ही इस मामले में नार्को टेस्ट की अनुमति मिल पाएगी. बता दें इस मामले में श्रद्धा के परिजनों द्वारा उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसमें आफताब पर गुमराह कर अपहृत करने का आरोप लगाया गया था.

महरौली के जंगलों में श्रद्धा के शव के अवशेषों को लेकर दिल्ली पुलिस लगातार सर्च अभियान चला रही है. हालांकि अभी तक श्रद्धा का सिर बरामद नहीं किया जा सका है. सिर बरामद ना होने की दशा में डीएनए टेस्ट की एकमात्र जरिया होगा, जिससे श्रद्धा के अवशेषों की पहचान संभव हो सकेगी. हालांकि करीब 5 माह पहले खुले में फेंके गए शव के अवशेषों को एकत्र करना भी एक चुनौती है. साथ ही अवशेषों के जानवरों द्वारा क्षेत्र आए जाने इधर-उधर किए जाने की भी संभावना है.

  • Shraddha murder case | Delhi Police had applied for the Narco test of the accused Aftab on Saturday but till now no permission has been granted by the Court: Delhi Police Sources

    — ANI (@ANI) November 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहता है कानूनः

कानून के जानकारों के अनुसार इस केस में अभी केवल अपहरण और गुमशुदगी की धाराओं में ही मुकदमा दर्ज है. जब तक शव मिल नहीं जाता या फिर सब मिलने की पुष्टि नहीं हो जाएगी, तब तक इस मामले में हत्या की धाराओं को नहीं जोड़ा जा सकेगा. आतंकी घटनाओं के मामले में भी शव के लापता होने पर करीब 7 वर्षों तक जब तक पुलिस अनट्रेसेबल रिपोर्ट दाखिल नहीं करती है, तब तक उस व्यक्ति को लापता ही माना जाता है, मृत नहीं माना जाता. वर्ष 2005 में सरोजिनी नगर बम ब्लास्ट मामले में भी कई लोग लापता हो गए थे, जिनके परिजनों को 7 वर्षों तक सरकार द्वारा दिया गया मुआवजा केवल इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके परिजनों को पुलिस ने मृत घोषित नहीं किया था.

आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन
आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन

डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे श्रद्धा और आफताब

श्रद्धा और आफताब डेटिंग ऐप बंबल के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आए थे. बाद में वे एक कॉल सेंटर में साथ काम करने लगे. जब श्रद्धा के परिवार ने इस रिश्ते पर आपत्ति जताई तो वे दिल्ली चले आए और महरौली में रहने लगे. दिल्ली पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, श्रद्धा का कातिल आफताब जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. वह श्रद्धा के मोबाइल फोन और जिस हथियार से शव के कई टुकड़े किए. उसकी जानकारी पुलिस को नहीं दे रहा है. इस मामले में जांच तेज करने के लिए पुलिस श्रद्धा के पिता को मुंबई से दिल्ली बुला सकती है.

ये भी पढ़ेंः Shraddha Walker Murder Case: डॉक्टर का खुलासा, हत्या के बाद आरोपी इलाज के लिए आया था अस्पताल

जांच में पुलिस को पता चला कि 26 मई को श्रद्धा के नेट बैंकिंग एप्पलीकेशन से आफताब के एकाउंट में 54 हजार रुपये ट्रांसफर हुए थे. जबकि आफताब ने पुलिस को बताया था कि 22 मई से वो श्रद्धा के सम्पर्क में नहीं है. बस फिर क्या था आफताब की यही पहली सबसे बड़ी गलती थी, जिसने उसे खुद के बुने जाल में फंसा दिया था.

आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन
आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन

जानिए क्या होता है नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट के जरिये किसी अपराधी या संदिग्ध व्यक्ति से सच उगलवाने की पूरी संभावना रहती है. इसके जरिये व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है. कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन लगाया जाता है. खून में ये दवा पहुंचते ही व्यक्त‍ि अर्धचेतना की अवस्था में पहुंच जाता है. उस व्यक्त‍ि से अर्धम‍ूर्छित अवस्था में टीम अपने पैटर्न से सवाल करती है. ये टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की टीम एकसाथ मिलकर करती है. इस दौरान सुस्त अवस्था में सोच रहे व्यक्ति से सवाल-जवाब घटनाक्रम आदि के बारे में पूछा जाता है. इस दौरान व्यक्त‍ि में तर्क क्षमता काफी कम होती है, ऐसे में उससे सच उगलवाने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

नई दिल्ली: श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) में सच्चाई तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस ने आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन दिया (Application in Saket court for narco test of accused Aftab) है. कोर्ट ने इस मामले में अभी तक अपना आदेश नहीं दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद ही इस मामले में नार्को टेस्ट की अनुमति मिल पाएगी. बता दें इस मामले में श्रद्धा के परिजनों द्वारा उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसमें आफताब पर गुमराह कर अपहृत करने का आरोप लगाया गया था.

महरौली के जंगलों में श्रद्धा के शव के अवशेषों को लेकर दिल्ली पुलिस लगातार सर्च अभियान चला रही है. हालांकि अभी तक श्रद्धा का सिर बरामद नहीं किया जा सका है. सिर बरामद ना होने की दशा में डीएनए टेस्ट की एकमात्र जरिया होगा, जिससे श्रद्धा के अवशेषों की पहचान संभव हो सकेगी. हालांकि करीब 5 माह पहले खुले में फेंके गए शव के अवशेषों को एकत्र करना भी एक चुनौती है. साथ ही अवशेषों के जानवरों द्वारा क्षेत्र आए जाने इधर-उधर किए जाने की भी संभावना है.

  • Shraddha murder case | Delhi Police had applied for the Narco test of the accused Aftab on Saturday but till now no permission has been granted by the Court: Delhi Police Sources

    — ANI (@ANI) November 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या कहता है कानूनः

कानून के जानकारों के अनुसार इस केस में अभी केवल अपहरण और गुमशुदगी की धाराओं में ही मुकदमा दर्ज है. जब तक शव मिल नहीं जाता या फिर सब मिलने की पुष्टि नहीं हो जाएगी, तब तक इस मामले में हत्या की धाराओं को नहीं जोड़ा जा सकेगा. आतंकी घटनाओं के मामले में भी शव के लापता होने पर करीब 7 वर्षों तक जब तक पुलिस अनट्रेसेबल रिपोर्ट दाखिल नहीं करती है, तब तक उस व्यक्ति को लापता ही माना जाता है, मृत नहीं माना जाता. वर्ष 2005 में सरोजिनी नगर बम ब्लास्ट मामले में भी कई लोग लापता हो गए थे, जिनके परिजनों को 7 वर्षों तक सरकार द्वारा दिया गया मुआवजा केवल इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके परिजनों को पुलिस ने मृत घोषित नहीं किया था.

आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन
आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन

डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे श्रद्धा और आफताब

श्रद्धा और आफताब डेटिंग ऐप बंबल के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में आए थे. बाद में वे एक कॉल सेंटर में साथ काम करने लगे. जब श्रद्धा के परिवार ने इस रिश्ते पर आपत्ति जताई तो वे दिल्ली चले आए और महरौली में रहने लगे. दिल्ली पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, श्रद्धा का कातिल आफताब जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. वह श्रद्धा के मोबाइल फोन और जिस हथियार से शव के कई टुकड़े किए. उसकी जानकारी पुलिस को नहीं दे रहा है. इस मामले में जांच तेज करने के लिए पुलिस श्रद्धा के पिता को मुंबई से दिल्ली बुला सकती है.

ये भी पढ़ेंः Shraddha Walker Murder Case: डॉक्टर का खुलासा, हत्या के बाद आरोपी इलाज के लिए आया था अस्पताल

जांच में पुलिस को पता चला कि 26 मई को श्रद्धा के नेट बैंकिंग एप्पलीकेशन से आफताब के एकाउंट में 54 हजार रुपये ट्रांसफर हुए थे. जबकि आफताब ने पुलिस को बताया था कि 22 मई से वो श्रद्धा के सम्पर्क में नहीं है. बस फिर क्या था आफताब की यही पहली सबसे बड़ी गलती थी, जिसने उसे खुद के बुने जाल में फंसा दिया था.

आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन
आफताब के नार्को टेस्ट के लिए साकेत कोर्ट में आवेदन

जानिए क्या होता है नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट के जरिये किसी अपराधी या संदिग्ध व्यक्ति से सच उगलवाने की पूरी संभावना रहती है. इसके जरिये व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है. कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन लगाया जाता है. खून में ये दवा पहुंचते ही व्यक्त‍ि अर्धचेतना की अवस्था में पहुंच जाता है. उस व्यक्त‍ि से अर्धम‍ूर्छित अवस्था में टीम अपने पैटर्न से सवाल करती है. ये टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की टीम एकसाथ मिलकर करती है. इस दौरान सुस्त अवस्था में सोच रहे व्यक्ति से सवाल-जवाब घटनाक्रम आदि के बारे में पूछा जाता है. इस दौरान व्यक्त‍ि में तर्क क्षमता काफी कम होती है, ऐसे में उससे सच उगलवाने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

Last Updated : Nov 16, 2022, 6:39 PM IST
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