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विश्व कैंसर दिवस पर AIIMS की नर्स और छात्राओं ने किया हेयर डोनेट

दिल्ली AIIMS में शुक्रवार को विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर एम्स की छात्राओं और नर्सों ने हेयर डोनेट किए. इन बालों की मदद से कैंसर के मरीजों के लिए विग बनाया जायेगा.

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Published : Feb 4, 2023, 5:08 PM IST

AIIMS की नर्स और छात्राओं ने कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए किया हेयर डोनेट

नई दिल्ली: हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे लोगों को कैंसर के रोकथाम, जल्द पहचान और उपचार के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है. यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल ने विश्व कैंसर दिवस को मनाने का कदम 2008 में उठाया था. विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर से होने वाली बीमारी और मृत्यु को कम करना है.

शनिवार को पूरे देश में विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है. विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर दिल्ली एम्स में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए 50 से अधिक नर्स और छात्राओं ने कैंसर मरीजों की मदद के लिए अपने हेयर डोनेट किए. इनमें ज्यादातर एम्स की नर्स और नर्सिग की छात्राएं हैं. वहीं, दिल्ली की छात्राओं और कम उम्र की कुछ लड़कियों ने भी हेयर डोनेट किए. एम्स के कर्मचारियों के बनाए ज्वाइंट टूगेदर ट्रस्ट नामक संगठन की पहल पर यह हेयर डोनेट हुआ. दान में मिले बालों के विग बनाकर संगठन कैंसर के मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराएगा. इसका उद्देश्य यह है कि इलाज के दौरान बाल झड़ने पर मरीज इनका इस्तेमाल कर सकें.

इसे भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल का मोदी सरकार पर जोरदार हमला, पूछा- केंद्र सरकार सबसे लड़ती क्यों है?

कैंसर मरीजों के लिए क्यों जरूरी है विग?: कैंसर के मरीज इलाज में पहले ही बड़ी रकम खर्च कर चुके होते हैं. ऐसी स्थिति में विग के लिए अलग से खर्च करना आसान नहीं होता. कैंसर के इलाज में कीमो व रेडियोथेरेपी के बाद मरीजों के बाल झड़ जाते हैं. दोबारा बाल आने में पांच से छह माह लग जाते हैं. इससे मरीजों की मानसिक परेशानी बढ़ जाती है. खास तौर पर कई महिला मरीज मानसिक बीमारी की शिकार हो जाती हैं, क्योंकि बाल झड़ने के कारण महिला मरीजों का घर से बाहर निकाला मुश्किल हो जाता है.

इस वजह से कई मरीजों के मन में आत्महत्या की भावना भी आ जाती है. कुछ समय पहले ऐसी ही एक घटना विदेश में हुई थी. डाक्टरों ने मरीज की जब कॉउंसलिंग की थी तो पता चला था कि उसका बच्चा उसके पास आने से डरता था. तीन माह से वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकल पाई थी. इसके बाद कैंसर मरीजों को विग उपलब्ध कराने का विचार मन में आया था. उन्होंने बताया कि सात साल की बच्ची से लेकर 55 साल की महिलाओं ने केश दान किए हैं.

इसे भी पढ़ें: World cancer day: इलाज की सुविधा का विकेंद्रीकरण हो जाए तो लाइलाज बीमारी नहीं रहेगी कैंसर

AIIMS की नर्स और छात्राओं ने कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए किया हेयर डोनेट

नई दिल्ली: हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे लोगों को कैंसर के रोकथाम, जल्द पहचान और उपचार के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है. यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल ने विश्व कैंसर दिवस को मनाने का कदम 2008 में उठाया था. विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर से होने वाली बीमारी और मृत्यु को कम करना है.

शनिवार को पूरे देश में विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है. विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर दिल्ली एम्स में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए 50 से अधिक नर्स और छात्राओं ने कैंसर मरीजों की मदद के लिए अपने हेयर डोनेट किए. इनमें ज्यादातर एम्स की नर्स और नर्सिग की छात्राएं हैं. वहीं, दिल्ली की छात्राओं और कम उम्र की कुछ लड़कियों ने भी हेयर डोनेट किए. एम्स के कर्मचारियों के बनाए ज्वाइंट टूगेदर ट्रस्ट नामक संगठन की पहल पर यह हेयर डोनेट हुआ. दान में मिले बालों के विग बनाकर संगठन कैंसर के मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराएगा. इसका उद्देश्य यह है कि इलाज के दौरान बाल झड़ने पर मरीज इनका इस्तेमाल कर सकें.

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कैंसर मरीजों के लिए क्यों जरूरी है विग?: कैंसर के मरीज इलाज में पहले ही बड़ी रकम खर्च कर चुके होते हैं. ऐसी स्थिति में विग के लिए अलग से खर्च करना आसान नहीं होता. कैंसर के इलाज में कीमो व रेडियोथेरेपी के बाद मरीजों के बाल झड़ जाते हैं. दोबारा बाल आने में पांच से छह माह लग जाते हैं. इससे मरीजों की मानसिक परेशानी बढ़ जाती है. खास तौर पर कई महिला मरीज मानसिक बीमारी की शिकार हो जाती हैं, क्योंकि बाल झड़ने के कारण महिला मरीजों का घर से बाहर निकाला मुश्किल हो जाता है.

इस वजह से कई मरीजों के मन में आत्महत्या की भावना भी आ जाती है. कुछ समय पहले ऐसी ही एक घटना विदेश में हुई थी. डाक्टरों ने मरीज की जब कॉउंसलिंग की थी तो पता चला था कि उसका बच्चा उसके पास आने से डरता था. तीन माह से वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकल पाई थी. इसके बाद कैंसर मरीजों को विग उपलब्ध कराने का विचार मन में आया था. उन्होंने बताया कि सात साल की बच्ची से लेकर 55 साल की महिलाओं ने केश दान किए हैं.

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