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RML अस्पताल की बड़ी लापरवाही, अंतिम संस्कार के बाद बताई कोरोना पॉजिटिव होने की बात - corona virus news

आरएमएल अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां कुणाल को कोरोना संदिग्ध होने के चलते भर्ती कराया गया. जिसकी 21 अप्रैल को मौत हो गई. वहीं मृतक के शव को उनके पिता से उठाने के लिए कहा गया. हैरानी वाली बात ये है कि अंतिम संस्कार के बाद कुणाल के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट सामने आई.

after cremation of kunal rml hospital confirmed that he was corona positive in delhi
अंतिम संस्कार के बाद बताई कोरोना पॉजिटिव होने की बात
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Published : Apr 23, 2020, 9:38 AM IST

Updated : May 26, 2020, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: इसे काम का दबाव कहे या लापरवाही, कोरोना संकट में फ्रंट वॉररियर्स डॉक्टर्स से भी चूक होने लगी है. मामला दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) अस्पताल का है. जहां 34 वर्षीय कुणाल की मौत कोरोना संक्रमण से हुई या डाइलिसिस की कमी से हुई. यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं. लेकिन अगर कोरोना संक्रमण से मौत हुई है तो इसकी जानकारी परिजनों को न देकर उसके शव को उसके पिता से उठवाने को कहा गया.



माता-पिता को होम क्वारंटाइन में भेजा
कुणाल के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसके माता, पिता, बहन और जीजा को होम क्वारंटाइन कर दिया गया. मृतक कुणाल की पत्नी 4 वर्षीय बेटे के साथ पिछले 2 महीने से मायके में है. कुणाल के पिता का बड़ा सवाल यही है कि जब कुणाल कोरोना संक्रमित था तो उनसे शव को क्यों रखवाया गया. उसे डाइलिसिस की जरूरत थी, उसे क्यों नहीं दिया गया.

14 अप्रैल को ले गए थे दिखाने
सदर बाजार निवासी हेमंत ने अपने 34 वर्षीय बेटे कुणाल को हर्निया की समस्या के लिए 14 अप्रैल को लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल ले गए. उसकी किडनी पिछले डेढ़ साल से फेल थी. वहां उसकी बॉडी का टेम्परेचर चेक किया गया जो 99.1 डिग्री फारेनहाइट था. कुणाल को हल्की खांसी भी हो रही थी, तो उसे कोरोना संदिग्ध मानते हुए वहां से आरएमएल अस्पताल रेफर कर दिया गया. 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे आरएमएल अस्पताल पहुंचे. कोरोना जांच के लिए लगी लंबी कतार में लगने के बाद शाम 7 बजे उसकी बारी आई तो कोरोना की जांच के लिए उसका सैंपल लेकर उसे वापस भेज दिया गया.


20 अप्रैल को बताया कि कोरोना के लक्षण हैं
हेमंत ने बताया कि 17 अप्रैल को कुणाल की जब ज्यादा तबियत खराब हो गयी तो उसे डाइलिसिस के लिए वे आरएमएल अस्पताल ले गए. लेकिन वहां कोई जससे ठीक से बात करने को भी तैयार नहीं था. इस बीच कुणाल को कुछ दवाई दी गयी तो हर्निया के दर्द में आराम हो गया, लेकिन सांस लेने में कठिनाई होने लगी. 20 अप्रैल को उसे बताया गया कि कुणाल में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. अगले ही दिन 21 अप्रैल को अस्पताल से फोन आया कि कुणाल की मौत हो गयी है, शव ले जाओ.

अंतिम संस्कार के 1 घंटे बाद रिपोर्ट पॉजिटिव
हेमंत ने बताया कि अस्पताल में जब वो अपने बेटे का शव लेने आए तो उनसे खुद शव को वैन में डालने को कहा गया. अस्पताल का कोई भी स्टाफ मदद के लिए आगे नहीं आया. शव को सीधे निगम बोध घाट पर ले जाने को कहा गया. वहां सीएनजी में अंतिम संस्कार किया गया, उसके ठीक 1 घंटे बाद दोपहर तीन बजे बताया गया कि उसके बेटे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है.

पहले से ही जवान बेटे की मौत से परिवार सदमा में था. ऊपर से कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद उनकी हालत और बिगड़ गयी. पूरे परिवार के लोग, जिसमें मृतक के जीजा और बहन भी शामिल है, कोरोना के संदिग्धों में शामिल हो गए. इसके अलावा कुणाल के संपर्क में आने वाले कई लोग कोरोना के संदिग्ध मरीज हो गए.

नई दिल्ली: इसे काम का दबाव कहे या लापरवाही, कोरोना संकट में फ्रंट वॉररियर्स डॉक्टर्स से भी चूक होने लगी है. मामला दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) अस्पताल का है. जहां 34 वर्षीय कुणाल की मौत कोरोना संक्रमण से हुई या डाइलिसिस की कमी से हुई. यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं. लेकिन अगर कोरोना संक्रमण से मौत हुई है तो इसकी जानकारी परिजनों को न देकर उसके शव को उसके पिता से उठवाने को कहा गया.



माता-पिता को होम क्वारंटाइन में भेजा
कुणाल के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसके माता, पिता, बहन और जीजा को होम क्वारंटाइन कर दिया गया. मृतक कुणाल की पत्नी 4 वर्षीय बेटे के साथ पिछले 2 महीने से मायके में है. कुणाल के पिता का बड़ा सवाल यही है कि जब कुणाल कोरोना संक्रमित था तो उनसे शव को क्यों रखवाया गया. उसे डाइलिसिस की जरूरत थी, उसे क्यों नहीं दिया गया.

14 अप्रैल को ले गए थे दिखाने
सदर बाजार निवासी हेमंत ने अपने 34 वर्षीय बेटे कुणाल को हर्निया की समस्या के लिए 14 अप्रैल को लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल ले गए. उसकी किडनी पिछले डेढ़ साल से फेल थी. वहां उसकी बॉडी का टेम्परेचर चेक किया गया जो 99.1 डिग्री फारेनहाइट था. कुणाल को हल्की खांसी भी हो रही थी, तो उसे कोरोना संदिग्ध मानते हुए वहां से आरएमएल अस्पताल रेफर कर दिया गया. 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे आरएमएल अस्पताल पहुंचे. कोरोना जांच के लिए लगी लंबी कतार में लगने के बाद शाम 7 बजे उसकी बारी आई तो कोरोना की जांच के लिए उसका सैंपल लेकर उसे वापस भेज दिया गया.


20 अप्रैल को बताया कि कोरोना के लक्षण हैं
हेमंत ने बताया कि 17 अप्रैल को कुणाल की जब ज्यादा तबियत खराब हो गयी तो उसे डाइलिसिस के लिए वे आरएमएल अस्पताल ले गए. लेकिन वहां कोई जससे ठीक से बात करने को भी तैयार नहीं था. इस बीच कुणाल को कुछ दवाई दी गयी तो हर्निया के दर्द में आराम हो गया, लेकिन सांस लेने में कठिनाई होने लगी. 20 अप्रैल को उसे बताया गया कि कुणाल में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. अगले ही दिन 21 अप्रैल को अस्पताल से फोन आया कि कुणाल की मौत हो गयी है, शव ले जाओ.

अंतिम संस्कार के 1 घंटे बाद रिपोर्ट पॉजिटिव
हेमंत ने बताया कि अस्पताल में जब वो अपने बेटे का शव लेने आए तो उनसे खुद शव को वैन में डालने को कहा गया. अस्पताल का कोई भी स्टाफ मदद के लिए आगे नहीं आया. शव को सीधे निगम बोध घाट पर ले जाने को कहा गया. वहां सीएनजी में अंतिम संस्कार किया गया, उसके ठीक 1 घंटे बाद दोपहर तीन बजे बताया गया कि उसके बेटे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है.

पहले से ही जवान बेटे की मौत से परिवार सदमा में था. ऊपर से कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद उनकी हालत और बिगड़ गयी. पूरे परिवार के लोग, जिसमें मृतक के जीजा और बहन भी शामिल है, कोरोना के संदिग्धों में शामिल हो गए. इसके अलावा कुणाल के संपर्क में आने वाले कई लोग कोरोना के संदिग्ध मरीज हो गए.

Last Updated : May 26, 2020, 7:38 PM IST
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