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कोरोना कैसे बन जाता है मौत की वजह, पढ़ें

पांच महीने हो गए कोरोना के डर के साए में रहते हुए. आखिर कोरोना वायरस में ऐसा क्या है, जिससे पूरी दुनिया डरी हुई है? इस वायरस का संक्रमण इतना खतरनाक क्यों है? चलिए जानते हैं विशेषज्ञ से..

according to park hospital covid expert dr. sandeep aggarwal cytokine kills the covid patients
कोरोना
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Published : Aug 24, 2020, 10:16 PM IST

नई दिल्लीः कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. इसके इंफेक्शन से पूरे देश के लोग परेशान हैं. जब तक इसका कोई दवा या वैक्सीन नहीं आ जाए, तब तक डर और परेशानी का माहौल बने रहने की संभावना है. कोरोना का खौफ इस तरह लोगों के ऊपर हावी है कि वे अनावश्यक बाहर जाने से डरने लगे हैं. आखिर ऐसा क्या है? इस कोरोना वायरस इनफेक्शन में जिसकी वजह से लोगों के मन में इतना बड़ा डर है?

सुनें कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर संदीप अग्रवाल को

इस बारे में पार्क हॉस्पिटल के कोविड-19 एक्सपर्ट डॉ. संदीप अग्रवाल ने कुछ जानकारियां साझा की. उन्होंने बताया कि जब भी शरीर में कोई इंफेक्शन होता है, तो बॉडी के अंदर साइटोकाइन स्टॉर्म पैदा होता है. इसी वजह से हार्ट, किडनी और लंग्स समेत शरीर के विभिन्न वाइटल ऑर्गन्स पर काफी खराब असर पड़ता है.

मेडिकल टर्म में ऐसी कंडीशन को 'मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम' कहते हैं. इसकी वजह से लंग्स में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो जाती है. अगर इसका असर किडनी पर होता है, तो किडनी फेल हो जाता है. अगर इसका असर ब्रेन में होता है, तो ब्रेन डिस्फंक्शन करने लगता है. भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है और मरीज अजीबोगरीब हरकतें करना शुरू कर देता है.

साइटोकाइन स्टॉर्म से बचने का तरीका

साइटोकाइन बनने से मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. इसकी वजह से मरीज क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में एक ही उपाय बचता है, बॉडी से साइटोकाइन को बाहर निकालना. इसे बॉडी से बाहर निकालने का जो तरीका है, उसे साइटोसोर्ब कहते हैं. इसमें ब्लड को बॉडी से बाहर निकाला जाता है. उसके बाद ब्लड को फिल्टर कर प्यूरिफाई किया जाता है. उसके बाद ब्लड को फिर से मरीज के अंदर ट्रांसफ्यूज कर देते हैं.

डायलिसिस की तरह हो होता है साइटोसोर्ब

डॉ. संदीप बताते हैं कि डायलिसिस की तरह ही साइटोसोर्ब प्रक्रिया में भी मरीज की ब्लड से खतरनाक साइटोकाइन और इन्फ्लेमेटरी मॉलिक्यूल्स को बाहर निकालकर प्यूरिफाई किया जाता है. उसके बाद बॉडी के अंदर इसे वापस कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बॉडी के अंदर खतरनाक साइटोकाइनेटिक्स की मात्रा बहुत कम हो जाती है, इससे मरीज की सेहत काफी हद तक सुधर जाती है.

नई दिल्लीः कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. इसके इंफेक्शन से पूरे देश के लोग परेशान हैं. जब तक इसका कोई दवा या वैक्सीन नहीं आ जाए, तब तक डर और परेशानी का माहौल बने रहने की संभावना है. कोरोना का खौफ इस तरह लोगों के ऊपर हावी है कि वे अनावश्यक बाहर जाने से डरने लगे हैं. आखिर ऐसा क्या है? इस कोरोना वायरस इनफेक्शन में जिसकी वजह से लोगों के मन में इतना बड़ा डर है?

सुनें कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर संदीप अग्रवाल को

इस बारे में पार्क हॉस्पिटल के कोविड-19 एक्सपर्ट डॉ. संदीप अग्रवाल ने कुछ जानकारियां साझा की. उन्होंने बताया कि जब भी शरीर में कोई इंफेक्शन होता है, तो बॉडी के अंदर साइटोकाइन स्टॉर्म पैदा होता है. इसी वजह से हार्ट, किडनी और लंग्स समेत शरीर के विभिन्न वाइटल ऑर्गन्स पर काफी खराब असर पड़ता है.

मेडिकल टर्म में ऐसी कंडीशन को 'मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम' कहते हैं. इसकी वजह से लंग्स में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो जाती है. अगर इसका असर किडनी पर होता है, तो किडनी फेल हो जाता है. अगर इसका असर ब्रेन में होता है, तो ब्रेन डिस्फंक्शन करने लगता है. भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है और मरीज अजीबोगरीब हरकतें करना शुरू कर देता है.

साइटोकाइन स्टॉर्म से बचने का तरीका

साइटोकाइन बनने से मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. इसकी वजह से मरीज क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में एक ही उपाय बचता है, बॉडी से साइटोकाइन को बाहर निकालना. इसे बॉडी से बाहर निकालने का जो तरीका है, उसे साइटोसोर्ब कहते हैं. इसमें ब्लड को बॉडी से बाहर निकाला जाता है. उसके बाद ब्लड को फिल्टर कर प्यूरिफाई किया जाता है. उसके बाद ब्लड को फिर से मरीज के अंदर ट्रांसफ्यूज कर देते हैं.

डायलिसिस की तरह हो होता है साइटोसोर्ब

डॉ. संदीप बताते हैं कि डायलिसिस की तरह ही साइटोसोर्ब प्रक्रिया में भी मरीज की ब्लड से खतरनाक साइटोकाइन और इन्फ्लेमेटरी मॉलिक्यूल्स को बाहर निकालकर प्यूरिफाई किया जाता है. उसके बाद बॉडी के अंदर इसे वापस कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बॉडी के अंदर खतरनाक साइटोकाइनेटिक्स की मात्रा बहुत कम हो जाती है, इससे मरीज की सेहत काफी हद तक सुधर जाती है.

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